संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मजदूर अधिकार संघर्ष रैली : रामलीला मैदान से संसद मार्ग, 3 मार्च 2019

बहनो, साथियो!

जिस दिन का हम सब बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे वह दिन आ गया है। आनेवाली 3 मार्च को दिल्ली के घरेलू कामगारों की हुंकार से संसद हिल उठेगी । देश भर के मज़दूरों, छात्रों-नौजवानों और बेरोजगारों के साथ हम दिल्ली के घरेलू कामगार अपनी माँगों का झंडा बुलंद करेंगे। 3 मार्च को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक हमारे हक़ और अधिकारों की माँग का डंका बजेगा । 3 मार्च वह दिन है , जब हमें मोदी सरकार की नींद उड़ा देनी है।

याद रखो, यह वही सरकार है जिसने हमारे घर उजाड़े हैं। यह वही सरकार है जिसने हमारे बच्चों के सर से छत छीन ली है। यह वही सरकार है जिसने विकास के नाम पर गरीब मेहनतकश अवाम को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिनोरात कोठियों और बंगलों में हाड़तोड़ मेहनत करने के बाद भी हमें क्या मिलता है? बस इतना कि किसी तरह जी लेते हैं। उसपर भी गालियाँ, बेइज्जती और अपमान रोज सहना पड़ता है। मालिकों, मालकिनों की कमाई में वृद्धि के पीछे हमारी मेहनत का कोई मोल नहीं। हमें घरेलू गुलाम समझा जाता है । लेकिन अब और नहीं सहना है। अब अपने इन हालात के लिए किस्मत को कोसने कुछ नहीं होनेवाला। हमारे हालत बदलने के लिए कोई अवतार या मसीहा भी आसमान से नहीं उतरनेवाला। जो करना होगा हमें खुद करना होगा। हमें अपनी लड़ाई के लिए खुद खड़ा होना होगा।

हमें अगर मज़दूर का दर्ज़ा पाना है तो एकजुट होना ही होगा। बार-बार सरकारों की नाक में दम कर देना होगा। हम पहले भी कहते रहे हैं कि यह एक दिन की लड़ाई नहीं है। हमें तबतक लड़ना होगा जबतक हमें हमारे हक़ मिल नहीं जाते। यह हमारी बार-बार दस्तक का ही नतीजा है कि मोदी सरकार को हमारी सुध लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अभी हाल ही में घरेलू कामगारों को लेकर केंद्र सरकार नीति बनाने पर विचार कर रही है। लेकिन, हमें यहीं नहीं रुकना होगा। क्योंकि अगर हमने इनपर ही सबकुछ छोड़ दिया तो कुछ हासिल नहीं होगा। इन नेता-मंत्रियों के लिए गरीब मेहनतकश अवाम के दुखों का कोई मतलब नहीं। इन्हें जबतक हम बार-बार याद नहीं दिलाएँगे, ऐसी नीतियाँ आती-जाती रहेंगी। इसलिए हमें इनसे बार-बार जवाब लेना होगा। जबतक इसपर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, हम चुप नहीं बैठेंगे।

साथियो, 2019 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। अब हर पार्टी के नेता-मंत्री बरसाती मेढकों की तरह टर्राते हुए हमारे पास आएँगे। ये तब नहीं आते जब हम पर महँगाई की मार पड़ती है। ये तब नहीं आते जब हमारे घर उजाड़ दिए जाते हैं। ये तब नहीं आते जब हमारी खून-पसीने की कमाई पर बुल्डोजर चलाकर रौंद दिया जाता है। ये तब नहीं आते जब बिना पानी के, प्यासे हम जेठ की दुपहरिया काटते हैं। ये तब नहीं आते जब हमारे बच्चों का आये दिन अपहरण होता है। ये तब आते हैं जब इन्हें वोट की जरूरत होती है। हमें भी इस बार के चुनाव में इन्हें दिखा देना है। जो पार्टी ऊपर लिखी हमारी तमाम माँगों को पूरा करेगी इस चुनाव में हम उसका बहिष्कार नहीं करेंगे।
बहनो, साथियो! हमें देश भर में चले किसानों के आन्दोलन से सबक लेना चाहिए। किसानों ने अपने हक़ों के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी और अब भी लड़ रहे हैं। आज उन्हें जो कुछ भी हासिल हुआ है वह उनकी लड़ाई के दम से ही हासिल हुआ है। ऐसा इसलिए हुआ कि उन्होंने पूरे देश में अपनी माँगों को एक मुद्दा बना दिया। हमें भी अगर मज़दूरों का दर्ज़ा पाना है और पक्के रोजगार की गारंटी लेनी है, तो ऐसी ही एकजुटता दिखानी होगी।

दिल्ली के घरेलू कामगारों की मुख्य माँगें:

  1. घरेलू कामगारों को श्रम कानूनों के दायरे में लाओ! ऐसा क़ानून बनने के पहले सरकार शासनादेश/नोटिफिकेशन जारी करके घरेलू कामगारों को बुनियादी अधिकार एवं सुविधाएँ (जैसे पंजीकरण,न्यूनतम वेतन, ओवरटाइम दर, चिकित्सा सुविधाएँ आदि) प्रदान करे!
  2. एक घर में पूरा कार्यदिवस काम करनेवाले घरेलू कामगार के काम के घंटे निर्धारित किये जाएँ! साप्ताहिक छुट्टी और अन्य अवकाशों के प्रावधान किये जाएँ। खाना बनाने, बर्तन धोने की मजदूरी दर घर के सदस्यों की संख्या के हिसाब से और साफ-सफाई की मजदूरी दर मकान के क्षेत्रफल के हिसाब से तय हो । वेतन, ओवरटाइम, बोनस, पी. एफ़ , पेंशन, भत्ते आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
  3. घरेलू कामगारों के हित में विशेष आवास योजनाएँ बनाओ और लागू करो! घरेलू कामगारों को पक्के मकान दो!
  4. घरेलू कामगारों के बच्चों की शिक्षा और परिवार के दवा-इलाज के लिए विशेष योजनाएँ बनाओ और लागू करो!
  5. ‘हरेक काम करने योग्य नागरिक को स्थायी रोजगार व सभी को समान एवं निशुल्क शिक्षा’ के अधिकार को संवैधानिक संशोधन करके मूलभूत अधिकारों में शामिल करो!
  6. ‘भगतसिंह राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून’ बनाओ ! गाँव-शहर दोनों स्तर पर पक्के रोजगार की गारंटी दो! रोजगार न दे पाने की सूरत में सभी को न्यूनतम 10,000 रु. प्रतिमाह गुजारे योग्य बेरोजगारी भत्ता प्रदान करो !
  7. नियमित प्रकृति के कार्य पर ठेका प्रथा तत्काल प्रतिबंधित करो!

इसलिए हमें यह गारंटी करनी होगी कि 3 मार्च को कोई छूटने न पाए। अपनी गली, मोहल्ले, नाते-रिश्तेदार सभी को यह बता दो। 3 मार्च को संसद पर देश भर के मज़दूरों, घरेलू कामगारों, छात्रों-नौजवानों ,महिलाओं, बेरोजगारों का होगा महाजुटान। अभी से जुट जाइए , लोगों को बताइए। मुट्ठियाँ तान लेने का दिन आ गया है। अगर यूनियन की सदस्यता नहीं ली है तो सदस्यता लीजिए। अपने आसपास के लोगों को सदस्यता दिलवाइये। 3 मार्च को संसद पर भरेंगे हुंकार, दिल्ली के घरेलू कामगार!

बिन हवा न पत्ता हिलता है! बिन लड़े न कुछ भी मिलता है!!

दिल्ली घरेलू कामगार यूनियन
9582498020, 8929182904

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