संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

‘अच्छे’ दिनों की शुरुआत, भूमि-अधिग्रहण अध्यादेश के बाद ‘राजीव आवास योजना’ भी खटाई में : आवास हक सत्याग्रह का आज सातवां दिन


मुंबई | 1 जून 2015;  महाराष्ट्र में मुंबई के हजारों हज़ार गरीब परिवारों ने पिछले 10 सालो से चलाया घर बचाओ घर बनाओ आन्दोलन ने हर बार हर सरकार को याद दिलाया की मुंबई के करीब 60% लोग गरीब बस्तियों में रहते है | वह श्रमिक है, मुंबई बनाते, बसाने एवं साफ़ भी रखते है | उन्हें हर बुनियादी ज़रूरत के साथ-साथ आवास का भी अधिकार है | मुंबई की जो 9% केवल ज़मीन इन बस्तियों के नीचे है, उस ज़मीन पर ही उनका विकास और आवास होना चाहिए, ना ही पूंजीनिवेशकों के नाते बिल्डरों को उसी ज़मीन में हिस्सा, कमर्शियल टावर्स और मकान, दुकाने बनाने की मंज़ूरी देनी चाहिए | CAG ने मार्च 2011 के रिपोर्ट से साबित हुआ है कि ‘’झोपड़ पट्टी विकास योजना’’ संपन्न नहीं हुई और 40 लाख घरों के दावे के बावजूद केवल दो लाख घर आवंटित हुए लेकिन हर SRA परियोजना में बिल्डर/विकासक का फ़ायदा हुआ|

इस परियोजना में गरीब बस्तियों को केवल SRA का आमिष दिखाना, भ्रष्टाचार के रूप में उनकी ज़मीन हड़पने के लिए बिल्डरों ने झूठे कागज़ात, सूचियों, झूटी बैठकों के अवाल बनाना…..और अन्य बस्तियों पर शासन- प्रशासन ने पुलिस के बल पर बुलडोज़र चलाने, घरों को बनाते रहना मंज़ूर नहीं था | आंदोलन ने गोलीबार, कोलीवाडा, चंदिवली आदि उदाहरणों से भ्रष्टाचार सामने लाया, लेकिन सरकार ने उसकी जांच करवाने के बावजूद अंतिम निर्णय और गैर कानूनी कार्य के खिलाफ कार्यवाही नहीं की | ऐसी स्थिति में गरीबों के आवास की ऐसी योजना जिसमे मुफ्त घर नहीं दें लेकिन अपनी ही ज़मीन पर खुद के योगदान के साथ शासकीय सहभाग जोड़ कर घर बने…इसका आग्रह राज्य के साथ पिछली केंद्र सरकार के सामने देश भर के शहरी गरीब संगठनो को लेकर हमने रखा और ‘स्लम फ्री सिटी’- झोपड़पट्टी मुक्त शहर, गरीबी हटाओ के बदले ‘गरीब हटाओ’ की दिशा में नहीं हो सकता, यह चेतावनी दी | जन आन्दोलनो के बहुत से मुद्दे लेकर बनी ‘राजीव आवास योजना’ | पिछली UPA शासन के साथ संवाद बना रहा | कुमारी शेलाजा ने काफी सहयोग किया, जैसे हव्केर्स जोन बनने में, वैसे ही ‘राजीव आवास योजना’ में भी | लेकिन मुंबई में इसका अमल होने के लिए हमे संघर्ष ही करना पड़ा |

उपवास, धरना, 2013 तक का संघर्ष ‘राजीव आवास योजना’ को बोर्ड पर लाया…..मुंबई में केन्द्रीय मंत्री आकर, महापोर, आमदार, बिल्डर्स के साथ आंदोलन के प्रतिनिधि उम्र भाई, सोनू बहन, अनवरी , मेधा पाटकर आदि भी संमेलन में शामिल हुए | आखिर मुंबई सहित 25 महानगर पालिकाओं को प्रत्येक 1 करोड़ तक केंद्र से ‘राजीव आवास योजन’ के लिए आवंटित हुआ | फिर हुआ संघर्ष 10 दिन तक आज़ाद मैदान में जिसके बाद ही एम-वार्ड को चिन्हित करके, बस्ती-बस्ती का सर्वे शुरू हुआ मंडाला के बस्ती के 5 हज़ार घर तोड़े गए थे इसलिए उसे छोड़कर अन्य बस्तियों का सर्वे करीबन पूरा हुआ, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल की एक संस्था को टेंडरिंग द्वारा महानगर पालिका ने इसके लिए नियुक्त किया था | साठे नगर, मानखुर्द की जगह चुनी गयी जहाँ घर बचाओ घर बनाओ आन्दोलन के संघर्ष ने उजागर किया था की बॉम्बे सोप फैक्ट्री को 2016 तक लीज पर दी गयी ज़मीन खाली पड़ी है जो शासन ने अपने कब्ज़े में ले ली |

लेकिन आज जबकि मंडाला की बस्ती 2009 से प्रस्तुत किये अपने गृह निर्माण से विकास के प्रस्ताव पर शासन से आग्रह कर रही है, सत्याग्रह के द्वारा मानखुर्द की 55 एकड़ ज़मीन पर बैठकर, कुछ जगह और सामाजिक अवकाश की मांग करते, तब स्पष्ट हुआ है की महाराष्ट्र की नयी सरकार ने अब ‘राजीव गाँधी योजना’ की योजना पूर्णता बाजू में रख दी है और साठे नगर का DPR भी नहीं बनाने के आदेश हैं | खबर है की अब फिर से पीडीपी मॉडल ही आएगा जो बिल्डर्स के फायदे में और गरीबो के खिलाफ, करोड़ों का नफा और अमूल्य ज़मीन धनिको की और मोड़ लेगा |

देश भरके शेहरी गरीबों को, 2013 के भूमिअधिग्रहण कानून के तहत भी विस्थापन के साथ पुनर्वास का लाभ नहीं मिला है, न ही हीरानंदानी जैसे बिल्डर्स को 40 पैसे/ एकड़ से झूठे आधार पर गैरकानूनी रूप से, दी गयी वैसी ज़मीन लीज़ पर मिली | उनके कुछ पक्ष में आई ‘राजीव आवास योजना’ भी अब मोदी जी की सरकार रद्द करने चली…और अदानी जैसे का मुंबई के गृहनिर्माण प्रवेश भी ज़ाहिर हो चुका है|

इसका धिक्कार और विरोध करेगा ‘घर बनाओ घर बचाओ आन्दोलन’| हमारा ऐलान है की देश भर के शहरी गरीब और मुफ्त नहीं, सस्ते घरों की, गरीब और माध्यम वर्गीय का ही हक देने वाली योजना का आग्रह रखें |

‘राजीव आवास योजना’ रद्द करके, नई कोई भी योजना मोदी सरकार ने 1 साल में नहीं लायी है| बल्कि गरीबों की आवास योजना के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण का प्रावधान भी ‘अध्यादेश’ के द्वारा राष्ट्रीय भूमि-अधिग्रहण कानून में लाना, न केवल शहर के अन्दर की किन्तु ग्रामीण पड़ोस, गरीब पारंपरिक समाजों की (जैसे, मुंबई के कोलिवाड़े) ज़मीन हड़प कर बिल्डरों के खाते में डालने की साजिश है | देश भर के संवेदनशील लोग, जन संगठनों को, राजनितिक दलों को इस पर तत्काल भूमिका लेना ज़रूरी है |

आज आवास हक सत्याग्रह का सातवां  दिन है और शासन प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई बल्कि पुलिस की तरफ से डराना धमकाना जारी रहा | सत्याग्रहियों का आज एक दल पानी की सुचारू रूप से सत्याग्रह स्थल पर सप्लाई हो व शौच गाड़ी का प्रबंध हो का आवेदन एम वार्ड ऑफिसर को देकर आया जिसमे पानी की मांग मंज़ूर कर ली गयी व शौच की सुविधा के लिए दुसरे विभाग से पूछकर बताने को कहा है तब तक सत्याग्रही महिलाओं को दिक्कत उठाते रहना पड़ेगा |

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