संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

धुले में संघर्ष यात्रा का जोरदार स्वागत: भूअधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष तेज

‘दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक कोरीडोर’ के क्षेत्र में चल रही मुम्बई-दिल्ली कोरीडोर विरोधी संघर्ष यात्रा 10 मार्च को महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र से चलकर खानदेश, उत्तर महाराष्ट्र में पहूंची। एनएपीएम के तत्वाधान में चल रही यात्रा में दस राज्यों के यात्री शामिल है। कर्ला सेज क्षेत्र, लोनावाला से देर रात यात्रा के साथी चलकर सुबह मालेगांव पहुंचे। वहाँ राष्ट्र सेवा दल के साथियों ने स्वागत किया। यात्रा का पहला पड़ाव जोडगे गांव था। जहाँ पांच गांवो के 3600 हेक्टेयर जमीन को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास कानून (एमआईडीए) के तहत नोटिस दिया गया था। जोडगे, जायकू, चिचारोवर, सायाने बीके ओर सायाने एकएच गांवो की 30,000 आबादी को यह नोटिस दी गई है। गांव के लोगों ने इस पूरी योजना को नकारा है। उनका कहना है कि एमआईडीए के पास पहले से अधिग्रहित भूमि है तो फिर बिना कोई वजह बतायें और ग्रामसभा की सहमति के बिना, जबरदस्ती का भूअधिग्रहण बिल्कुल मंजूर नही है। वहाँ के लोगो के आंदोलन को सहयोग देने और उनके संघर्ष को पूरे देश से जोड़ने का आह्वान करते हुये यात्रा आगे धुले शहर पंहुची। 

राष्ट्रभाषा भवन में श्यामपाटिल ने सभी का स्वागत किया और धुले-नरदाना औद्योगिक क्षेत्र के बारे में जानकारी दी उन्होने कहा की एमआईडीसी की पहले से ही टैक्सटाईल औद्योगिक क्षेत्र चल रहा है कि लेकिन फिर भी एमआईडीसी ने मालिच, गोरणे, बाघोदे, मेणाणे आदि गांवो में 634 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण के लिये एमआईडीसी एक्ट के तहत धारा 32 (1) और (2) की प्रक्रिया पूरी की है।



मालीव गांव के सुरेश देसले ने कहा कि पहले ही जिनकी जमीन गई है उन्हे न्याय नही मिला है और आज जिन गांवो को नोटिस मिला है वहाँ दो फसली खेती होती है। उन्होने इस बाबत ग्रामसभा के प्रस्ताव के साथ कलेक्टर से बात भी की और सचिव और मंत्री से भी बात की लेकिन आजतक कोई निष्कर्ष नही निकला है और अधिग्रहण की तलवार उनके सिर पर लटक रही है। वहंा के किसानो के समर्थन में एक छोटी समिति का भी गठन धुले में किया गया है।

धुले के बाद सोनगीर गांव में हमारी बैठक ग्राम पंचायत के सदस्यों और ग्रामवासियों के साथ हुई। वहाँ की जमीन भी धुले बरदाना औद्योगिक क्षेत्र में चिन्हित है लेकिन अभी अधिग्रहण की प्रक्रिया चालू नही हुई है। उन्होने कहा की ग्राम पंचायत की 43 एकड़ जमीन कलैक्टर ने बिना किसी कानूनी कार्यवाही और ग्राम पंचायत की सहमति को धुले-इटारसी वायरिंग कंपनी को दे दी गई है। जो कि पूरी तरह है गैरकानूनी है।

यात्रा डोंडइका और साकरी में बड़ी जनसभाये करके अपने आगे के पड़ाव की ओर बढ़ी। हर क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिये भरे-पूरे गांवो के उजड़ने का खतरा सामने दिखता है।
  
पूरी यात्रा के दौरान एमसीडीसी का भयानक चेहरा हर जगह उभरा। पूरे महाराष्ट में कोकंण, मराठवाड़ा, खानदेश से लेकर विदर्भ तक हर जगह करीब 17 लाख एकड़ जमीन पिछले पचास वर्षो ने अधिग्रहण हुई है। जगह-जगह लोगो ने डीएमआईसी के खिलाफ रोष प्रकट किया और अपने विरोध को तेज करने का संकल्प लिया।
 

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