संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

बर्बर पुलिसिया दमन के विरोध में मध्य प्रदेश भवन पर प्रदर्शन

मेधा पाटकर का छिन्दवाड़ा की जेल में भूख हड़ताल का दूसरा दिन

आज भी नहीं सुनी सिटी मजिस्ट्रेड ने जमानत अर्जी,

मेधा पाटकर व अन्य को अवैधानिक रूप से हिरासत में रखने के विरोध में जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर

मध्य-प्रदेश भवन पर प्रदशर्न के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चोहान ने अपना छिन्दवाड़ा में 7 नवम्बर को आयोजित कार्यक्रम रद्द किया

दिल्ली के मध्य-प्रदेश भवन पर आज सामाजिक संगठनों, कार्यकर्त्ताओं और छात्र-नौजवानों ने छिंदवाड़ा में चल रहे बर्बर पुलिसिया दमन और किसानों की जबरन भूमि कब्जाने की सरकारी नीति के विरोध में प्रदर्शन किया. इस विरोध प्रदर्शन में अन्ना हजारे ने भी आज पहली बार डॉ. सुनीलम, मेधा पाटकर एवं दूसरे साथियों पर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा पुलिसिया दमन का विरोध करते हुए कहा कि मेधा और साथियों को रिहा करो नहीं तो पुरे देश में आन्दोलन होगा. (देखें विडियों में).

जस्टिस राजेंद्र सच्चर, जया जेटली, विनोंद सिंह, अरविन्द गोड, भूपेंद्र सिंह रावत, संजीव कुमार आदि वक्तओं ने वरिष्ठ समाजकर्मी मेधा पाटकर, आराधना भार्गव और डॉ सुनीलम सहित 23 अन्य किसानों की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए मांग की, की उनको तत्काल रिहा किया जाय. साथ ही, किसानों की जबरन कब्जा कि जा रही ज़मीन पर रोक लगाई जाये.


भूपेंद्र सिंह रावत ने पेंच व्यपवर्तन परियोजना पर चर्चा करते हुए कहा कि छिंदवाड़ा  जिले में पेंच नदी पर 41 मीटर का बड़ा बांध केन्द्रीय मंत्री कमलनाथ के चुनाव क्षेत्र में राज्य और केन्द्र शासन मिलकर बिना किसी मंजूरी के बना रहे हैं। इसके खिलाफ बाम्हनवाड़ा के किसान काफी लंबे समय से संघर्षरत है. इस परियोजना में 31 गांव डूब क्षेत्र में आ रहे हैं, लगभग 5600 हेक्टेयर भूमि जो कि किसानों की है इसमें से अधिकांश किसानों की भूमिअर्जन का कार्य पूरा नहीं हुआ है। बांध को 1984 में पर्यावरण विभाग था मंत्रालय नहीं था उस समय दी गई एक सादे कागज की मंजूरी थी अब आवेदन पत्र श्री मुदगल पर्यावरण एवं वनविभाग से केन्द्रीय जल आयोग को एवं पर्यावरण निर्धारण कमेटी को अनापत्ति जताने वाला फैसला उपलब्ध है जो कि 21 अप्रैल 1984 को आया था। उक्त एक पन्ने की मंजूरी अब निरस्त मानी गई है। इस महत्वपूर्ण विषय पर बांध निर्माण के लिए कानूनन मंजूरी लेना अत्यंत आवश्यक है। पर्यावरण सुरक्षा कानून 1996 और वन सुरक्षा कानून 1980 से मंजूरी नहीं ली गई। 
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि क्षेत्र की अनेकों ग्रामसभाओं ने बांध के निर्माण के विरोध में प्रस्ताव पारित किये हैं जिसमें अधिकतम ग्राम आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। वहां ग्राम सभा की सहमति भूअर्जन की प्रक्रिया के पूर्व लिया जाना आवश्यक था जो कि नहीं ली गई है। जबर्दस्ती काम आगे बढ़ाने तथा किसानों से गांव खाली कराने के लिए 1400 की संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। एडवोकेट आराधना भार्गव की 3 नवंबर 2012 को धारा 151 के अंतर्गत गिरफ्तारी की गई है। 

धारा 144 लगने के बाद भी उक्त बांध के निर्माण कार्य का भूमिपूजन और शुभारंभ 4 नवम्बर 2012 को नारियल फोड़कर कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी छिंडवाड़़ा में बिना मंजूरी के किया है। इस बांध के नीचे तोतलाडोह बांध है जिससे पेंच नदी पर उक्त बांध बनने से तोतलाडोह बांध के लाभ भी निश्चित रूप से प्रभावित होंगे। बांध के नीचे बहती नदी के परकोलेशन पर घना जंगल और पेंच नेशनल पार्क तथा टाइगर प्रोजेक्ट है यह भी निश्चित रूप से प्रभावित होगा इसलिए यह अतिआवश्यक हो जाता है कि वाईल्ड लाइफ बोर्ड की मंजूरी प्रथम दृष्टि में ली जावें, उसके पश्चात र्प्यावरण म्ंत्रालय की अनुमति ली जा सकती है। 
पूरे छिंदवाड़ा जिले में धारा 144 लगने के बाद भी भाजपा किसान मोर्चा का सम्मेलन 3 नवम्बर 2012 को चौरई में हुआ था, साथ ही तामिया में एडवेंचर उपस्थिति में हजारों किसानों के बीच लगवाया गया। 4 नवम्बर को भी सैकड़ों हजारों लोग बस और ट्रेनों से छिंदवाड़ा से बाहर से आ जा रहे थे. प्रशासन इन्हें नहीं रोक रहा था.
ऐसी परिस्थिति में धारा 144 का औचित्य क्या सिर्फ मेधा पाटकर और उनके सहयोगी जनसंगठनों और साथियों के लिए आवश्यक है? जनसंगठनों ने प्रशासन की इस कार्यवाही को लोकतंत्र की हत्या की संज्ञा दी, साथ ही इस परिप्रेक्ष्य में की गई गिरफ्तारियों की निंदा की गई।
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