संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

दिल्ली में किसान मुक्ति संसद : देश भर के किसान कर्ज माफी को लेकर एकजूट

आज दिल्ली  में  देश भर के किसान अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले जुटे हैं। करीब 180 किसान संगठनों से जुड़े हजारों किसान रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक रैली लेकर पहुंचे। इन किसानों द्वारा कर्ज माफी और फसल का लागत से डेढ़ गुणा मूल्य की मांग की जा रही है। संसद मार्ग पर ‘किसान मुक्ति संसद’ बुलाई गई जिसमे किसानों ने एक स्वर में कहा कि भारत के किसान कर्ज़े और आत्महत्याओं से मुक्ति चाहते हैं। पढ़े एआईकेएससीसी की विज्ञप्ति; 

किसान मुक्ति संसद में संपूर्ण कर्जा मुक्ति बिल एवं कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी बिल पारित
देश में पहली बार हुई महिलाओं की संसद
कई दशकों के बाद देखने को मिली किसान संगठनों की व्यापक एकजुटता
20 नवंबर 2017, दिल्ली। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 19 राज्यों के दस हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा पूरी करने के बाद 20 नवंबर को दिल्ली में किसान मुक्ति संसद शुरू हुई, जिसमें लाखों किसानांं ने भाग लिया। सुबह से ही हजारों की संख्या में किसान रामलीला ग्राउंड, अम्बेडकर भवन, गुरूद्वारा रकाबगंज, विभिन्न रेलवे स्टेशनों लाल-हरे-पीले-नीले झंडे लेकरे नारेबाजी करते हुए दिल्ली की सड़कों पर होते हुए किसान मुक्ति संसद में पहुंचे। शुरूआत में मंदसौर से अब तक विभिन्न पुलिस गोलीचालनों में शहीद हुए किसानों, आत्महत्या करने वाले किसानों, यवतमाल में कीटनाशक के कारण 32 शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी गयी।


संसद में आये किसानों का स्वागत करते हुए संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि पहले उत्तम खेती थी, अब खेती घाटे का सौदा हो गया। इसीलिए प्रधानमंत्री के किसानों के वायदे कि खेती का कर्ज माफ करेंगे और फसल की लागत का डेढ़़ गुना मूल्य दिलाएंगे। सारा पुराना कर्ज माफ किया जाएगा। किसानों ने विश्वास किया तो प्रधानमंत्री को भी वायदा निभाना पड़ेगा। तत्पश्चात आत्हत्या करने वाले किसान परिवारों की 545 महिलाओं एवं महिला किसानों की महिला संसद की अध्यक्षता नर्मदा बचाओ आंदोलन-जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की सुश्री मेधा पाटकर ने की। महिला किसान एवं आशा की संयोजक कविता कुरूघंटी ने महिला किसानों की समस्याओं को लेकर विस्तृत विचार रखे तथा किसानों के संपूर्ण कर्जा मुक्ति एवं सभी किसानों की लागत के ड्योढ़े दाम पर समर्थन मूल्य तय कर खरीद सुनिश्चित करने को लेकर संसद में विल पारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

देशभर से आत्महत्या करने वाले परिवारों से आयी महिलाओं ने जब अपनी पारिवारिक जानकारी संसद के समक्ष रखी तब पूरा माहौल गमगीन हो गया। महिलाओं ने कहा कि पहली बार उन्हें लगा कि कोई उनकी बात सुनने वाला है तथा उन्हें उम्मीद जागी है कि उनके परिवार के साथ जो कुछ हुआ वह दूसरे परिवारें में नहीं होगा। किसान आत्महत्या नहीं करेंगे बल्कि संघर्ष करेंगे।

महिला संसद को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि आज देश के लिए ऐतिहासिक क्षण है जब महिलायें अपनी संसद बिठा कर अपने सवालों पर न केवल चर्चा कर रही हैं बल्कि महिला संसद के माध्यम से किसान मुक्ति संसद के समक्ष किसानों, खेतिहर मजदूरों, आदिवासियों, भूमिहीनों, बटाईदारों, मछुआरों के जीवन में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए विल पारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकारों ने नर्मदा घाटी सहित देश भर में 10 करोड़ किसानों को विस्थापित किया है जिनका आज तक संपूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है। वैकल्पिक विकास की नीति की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान नीति देश के किसानों, मजदूरों और लगभग सभी तत्वों के लिए विनाशकारी है। हम सबका विकास चाहते हैं, विनाश नहीं।

महिला सांसदों ने हाथ खड़ा कर विल पेश करने की अनुमति दी। अखिल भारतीय किसान सभा के महामंत्री एवं पूर्व सांसद हन्नान मौला द्वारा किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति तथा स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के अध्यक्ष एवं सांसद राजू शेट्टी द्वारा कृषि उपज लाभकारी मूल्य गारंटी विल पेश किया गया।

किसान मुक्ति संसद में महाराष्ट्र किसान आंदोलन ने विशिष्ट योगदान तथा सत्तारूढ गठबंधन को छोड कर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति में शामिल होने के लिए सांसद राजू शेट्टी एवं राजस्थान के किसान आंदोलन में विशिष्ट योगदान हेतु पूर्व विधायक अमरा राम को पगड़ी बांध कर संयोजक वी एम िंसंह द्वारा तालियों की गडगडाट के बीच विशेष तौर पर सम्मानित किया गया।

हन्नान मौला ने कहा कि किसानों को कम दाम देकर लगातार सरकारों ने लूटा है, उन्हें कर्जदार बनाया है, जिसके चलते 5 लाख किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हुए हैं। अब किसान अपना शोषण नहीं होने देंगे। कार्पोरेट को छूट देकर किसानों को अब लूटने की छूट अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति नहीं देगी। उन्होंने कहा कि देश के किसान संगठन लंबे अरसे से कर्जा माफी की बात करते थे लेकिन हम कर्जा मुक्ति की न केवल मांग कर रहे हैं बल्कि हमने एक विल तैयार किया है जिस पर संसद को विचार कर पारित करना चाहिए। छुट-पूट कर्जा मुक्ति से अब काम चलने वाला नहीं।

सांसद राजू शेट्टी जी ने कहा कि किसानों को धोखा देने वालों को हम छोड़ेंगे नहीं। हमें धोखा देकर दिल्ली के तख्त को हथियाने वालों को नीचे लाने की हिम्मत किसानों में है। पिछले 3 सालों पहले किसी भी पार्टी को संसद में स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। किसानों के भरोसे पर नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार को स्पष्ट बहुमत मिला है। किसानों को फसल का डेंढ़ गुना मूल्य दिलवाने के वायदे पर। हम इसे लेकर रहेंगे, अब हम चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि हमने जब किसान मुक्ति संसद की तारीख तय की थी तब यह सोच कर की थी कि हम संसद के सत्र के दौरान अंदर ही नहीं बाहर भी अपनी बात रखेंगे। लेकिन प्रधानमंत्री भाग खड़े हुए। वे संसद का सामना करने से घबरा रहे हैं।

जय किसान आंदोलन-स्वराज अभियान के नेता योगेन्द्र यादव ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि आज की मुक्ति संसद देश के किसान आंदोलन के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगी। पहली बार हरे झंडे और लाल झंडे वाले किसान आंदोलनों का संगम हुआ है। साथ में पीले और नीले झंडे जुड़ने से किसान संघर्ष का इन्द्र धनुष बना है। किसान ने बहुत धोखा खाया है। सरकारों से और नेताओं से, लेकिन अब किसान धोखा नहीं खाएगा।

अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजान ने विशाल किसान रैली को संबोधित करते हुए कहा कि देसी और परदेसी कार्पोरेट घराने भारत में विशाल बीज, खाद, कीटनाशक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए खेती का कंपनीकरण चाहते हैं। अंजान ने आगे कहा कि सरकारें एवं कुछ कृषि अर्थशास्त्री यह झूठा प्रचार कर हैं कि छोटे-मझोले-गरीब किसान की जोत कम है, इसलिए उनकी उत्पादकता कम है। देश का 54 फीसदी गेहूं और 57 फीसदी धान छोटे-मझोले-गरीब किसान पैदा करते हैं।

अ. भा. किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधायक राजाराम सिंह ने कहा कि देश में सरकार लगातार किसान विरोधी योजनाएं चला रही है। कार्पोरेटों को मुनाफा और किसानों को घाटा दे रही है। देश में भाजपा शासित राज्यों में भूख से मौतों का सिलसिला लगातार बढ़ा है। इसलिए हम किसान मजदूर एक होकर अपना हक लेकर रहेंगे। नहीं तो सरकार को नहीं चलने देंगे।

अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन (दकौन्दा) के अध्यक्ष बुट्टा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में सभी किसानों का पूरा कर्ज माफ करने का वायदा किया था। लेकिन हमारे संगठनों के संघर्ष के बाद डॉक्टर हक की अध्यक्षता में बनी कमेटी की कर्जमाफी की मांग में से केवल क्राप्स लोन ही माफ किया, वह भी 5 एकड़ से कम और मूल व ब्याज 2 लाख से कम हो केवल उन्हीं किसानों का। वह भी केवल उन्हीं किसानों का जिन्होंने सहकारी बैंको से कर्ज लिया था, जो पंजाब के कुल किसानों के कर्ज का केवल 10 फीसदी से भी कम बनता है। इसलिए हताश होकर किसान आत्महत्या की ओर बढ़ रहे हैं।

अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के अध्यक्ष वी वैंकट रमैया ने कहा कि सरकार ने वायदा किया था कि किसानों की आमदनी दुगनी होगी लेकिन मूल्य लागत से कम तय किया है। 17 फसलों में से 9 फसलों को जो सीएसीपी में उत्पादन लागत का एस्टीमेट किया है उससे कम दिया। केंद्र सरकार इस दुगनी वाली पॉलिसी लागू नहीं कर रही है इससे किसान और कर्ज में डूब जाएगा। इसलिए हम कर्जमाफी की मांग कर रहे हैं। सरकार कहती है कि किसानों की कर्ज माफी करके देश की आर्थिकी कमजोर होगी। ऐसा कहकर सरकार गलत प्रचार कर रही है, जबकि सरकार कार्पोरेटों को लाखों-करोड़ों रुपये सब्सिडी देती है।

लोक संघर्ष मोचे की अध्यक्ष प्रतिभा शिंदे ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी जिस गुजरात से आते हैं उसी गुजरात से हजारों किसान इस संसद में यह बात रखने आये हैं कि गुजरात का किसान सरकार की नीतियों की मार से परेशान है और महाराष्ट्र में यही भाजपा की सरकार ने कर्जा मुक्ति का एलान करते हुए भी किसानों को कर्जा मुक्ति के जाहिर कार्यक्रम करके प्रमाणत्र देने के बावजूद भी एक भी किसान का कर्जा माफ नहीं हुआ। इससे इस सरकार का चरित्र किसान विरोधी उजागर होता है। महाराष्ट्र में 3 लाख किसानों ने आत्महत्या की।

कर्नाटक राज्य रैयत संघ के अध्यक्ष कोडीहल्ली चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार की नीति कार्पोरेट के पक्ष में और किसानों के विरोध में है। कार्पोरेटों की लागत के सामान खाद, बीज, कीटनाशक दवा बहुत महंगे हैं। सरकार उनको इनसे दाम कम नहीं करवाती। किसानों से कहती है कि जमीन गिरवीं रख कर सामान खरीदो। डीजल भारत में 58 रुपये प्रति लीटर, पाकिस्तान में 49 रुपये प्रति लीटर, श्रीलंका में 41 रुपये प्रति लीटर। किसानों की फसल सस्ते मे खरीदने के लिए एग्रो प्रोसेस में भी विदेशी कंपनियों को बुलाया जा रहा है।

किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक, पूर्व विधायक डॉ सुनीलम ने कहा कि मोदी जी ने किसानों की आमदनी दुगुना करने का वायदा किया था लेकिन महंगाई, नोटबंदी, जीएसटी के चलते किसानों की आमदनी लगातार घट रही है। गत तीन वर्षों में सरकारी कर्ज 8.11 लाख करोड़ से बढ़ कर 10.65 करोड हो गया है। यह हालत तब है जब कि किसान ने गत 10 वर्षों में अनाज, सब्जी, फल का उत्पादन डेढ़ गुना बढ़ा कर 534 करोड टन तक पहुंचा दिया है। केंद्र सरकार देश पर मोदानी मॉडल थोप कर किसान, किसानी और गांव को खत्म करना चाहती है तथा चुनौती देने वाले किसानों पर मुलताई से लेकर मंदसौर तक गोलीचालन किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में किसान आंदोलन की भूमिका अग्रणी रही, आज फिर 184 किसान संगठन मिलकर अभूतपूर्व किसान आंदोलन एकजुट होकर खड़ा कर रहे हैं जिससे देश के किसानों में नई ऊर्जा और आशा का संचार हुआ है।

किसान संसद के दौरान असम के कृषक संग्राम संघर्ष समिति के किसान नेता अखिल गोगई को राष्ट्रद्रोह एवं राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत बिना मुकदमा चलाये एक साल जेल भेजे जाने के आदेश को लोकतंत्र की हत्या बतलाते हुए अखिल गोगई की बिना शर्त रिहाई की मांग की गयी। देशभर से आये किसान नेताओं ने कहा कि वे अखिल गोगई की रिहाई के लिए समितियां बनाकर अपने अपने राज्यों में संघर्ष करेंगे।

किसान संसद को सत्यवान, आशीष मित्तल, रामपाल जाट, अविक साहा, किरण, लोक संघर्ष मोर्चा – सचिन घाडे, शेतकारी सभा, के पुटनैया, के आर एस एस एम एल ए, चुक्की नंजुल, स्वामी, शिवप्पा, वेदान्ता- केएमएसएस, असम, जम्मू कश्मीर के पूर्व सांसद शेख अब्दुर्रहमान, प्रो. प्रकाश पोफले, किसान संघर्ष समिति के डॉ ए के खान, एडवोकेट आराधना भार्गव, मंदसौर के दिलीप पाटीदार, परमानंद पाटीदार, भानुजा रैयत स्वराज वेदिके, सोमा, महिला किसान अधिकार मंच सहित 25 राज्यों से आये 184 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।

किसान संसद का संचालन डा सुनीलम, प्रतिभा शिंदे, कविता कुरूघंटी, डा दर्शन पाल, आशीष मित्तल, प्रेम िंसंह गहलावत और जय किसान आंदोलन के अध्यक्ष अविक शाहा द्वारा किया गया।

– डा सुनीलम, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (9425109770)
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