संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

हम मछुआरों का एक ही नारा नहीं छोड़ेगे पेंच किनारा

मध्य प्रदेश के छिन्द्वारा जिले में किसान संघर्ष समिति द्वारा 19 दिसम्बर को खकरा चौरई में पेंच नदी के किनारे रहनें वाले मछुआरों का पेंच नदी में रेत खेती (डिंगरबाडी) डूब का मुआवजा दो सम्मेलन, हरि बनवारी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। पेंच नदी पर बांध बनने से प्रभावित गाडरा नकझिर, राजाखोढाना, सिंगोडी, बांका, मढकासिहोरा, भूलामोहगांव, बरहाबिरहारी, केवलारी, देवरी, बाम्हमनवाड़ा, मांचागोरा, भूतेरा, जम्होडी, जटलापुर ग्राम के मछुआरों नें सम्मेलन में भागीदारी की। सम्मेलन के दौरान जहां जमीन डूबी हमारी, पानी मछली कैसे तुम्हारी? हम मछुआरों का एक ही नारा नहीं छोछोड़ेगे पेंच किनारा, जैसे नारे लगातार गुंजते रहें।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए हरि प्रसाद बनवारी, शंकर कहार, शुभम कहार, महेन्द्र, सुभाष भांडरे ने बताया कि  पेंच नदी मंे हम पीढियो से डिंगरबाड़ी लगाकर तथा मछली पकडकर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। एक हेक्येटर में 30 ट्राली तरबूज पैदा करतें हैं औसतन एक हेक्येटर से 4 लाख रूपये की आमदनी होती हैं। हम टिंडे,करेले,गिल्की,लोकी,बरवटी,ककडी,आदि की पैदावार कर अपने परिवार को पालते हैं। पेंच नदी पर ही हम मछलियां पकडकर मछली का व्यवसाय करते हैं, पहाडी मछलिया होने के कारण उनकी कीमत भी हमें को अच्छी मिलती हैं, किन्तु पेंच नदी में बांध बनने के कारण अब हम भूखमरी के कगार पर खड़े है। हमारे पास रोजगार का कोई अवसर नहीं हैं। सरकार नें हमें कोई मुआवजा भी नहीं दिया हैं।

मुख्यआतिथि किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष तथा जन-आंदोलनो के राष्ट्रीय संयोजक पूर्व विधायक डॉ.सुनीलम् नें सम्मेंलन को संबोधित करते हुए कहां कि नर्मदा नदी तथा तवा नदी के किनारे मछुआरा समाज को जो अधिकार मिले हैं वही अधिकार पेंच नदी के किनारे रहने वाले मछुआरों को मिलना चाहिए, उन्होनंे कहां कि म0प्र0 सरकार कि पुर्नवास नीति में इसका स्पष्ट उल्लेख है उन्होनें कहां कि पेंच नदी पर बने मांचागोरा बांध मंे मछली पालने का अधिकार पेंच के किनारे बसे मछुआरों को ही देना चाहिए, जैसा की बर्गी बांध, तवा बांध और सरदार सरोवर बांध में दिया गया हैं। उन्होनें कहां कि मछुआरों को मछली पकडनें, काटा करनें, तथा रेत के अवैध उत्खन्न को रोकने का अधिकार देना चाहिए।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेष उपाध्यक्ष एड.आराधना भार्गव ने कहां  कि बांध से प्रभावित होने वाले हर व्यक्ति का पुर्नवास करना सरकार की जिम्मेदारी हैं, बिना सम्पूर्ण पुर्नवास की व्यवस्था किये बांध के काम को आगे बढाना सर्वोच्च न्यायालय की निर्देषो की अवमानना हैं। एड.भार्गव नें कहां कि पेंच व्यपवर्धन परियोजना से दो हजार मछुआरे प्रभावित हो रहे है, उन्होनें पीडित मछुआरों से अपील की कि वे अपना अधिकार हासिल करने के लिए संगठित होकर संघर्ष करे।

उन्होनें बताया कि नेषनल फेडरेषन ऑफ फिष वर्कष के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुडूचेरी के पूर्व विधायक इंलागांे 11 जनवरी 2016 को छिन्दवाड़ा पहुंच रहें है जो विस्तार से छिन्दवाड़ा के मछुआरों के साथ उनक अधिकारो को लेकर विस्तृत बातचीत करेगें। सम्मेलन मे मछुआरा संघर्ष समिति का गठन करनें का निर्णय लिया गया। अध्यक्ष हरि बनवारी, खकरा चौरई, उपाध्यक्ष अनूप कहार जटलापुर, महांसचिव कमलेष कहार खकरा चौरई, कोषाअध्यक्ष उमेष लाल बाकामुकाषा, सचिव मनीष कहार मांचागोरा, शैलेष कहार सिहोरामढका, अर्जुन कहार जटलापुर, रतिराम कहार भूतेरा, जितेन्द्र बनवारी बरहबिरहारी, अनिल बनवारी, रन्तु कहार भूलामोहगांव, दुर्गेष कहार बांकामुकाषा, मनेष भान्दरे राजाखोढाना, बलराम कहार जम्होडी पंड़ा, संतोषी बाई पटनियां आदि को सचिव बनाया गया।

गांव में समिति बनाने की जिम्मेदारी धनीराम कहार जटलापुर, संतराम कहार बारहबिरहारी, रघुनाथ मांचागोरा, संतोष कहार बंकामुकाषा, षिवपाल कहार जम्होडी पंड़ा, हरिचेन कहार सिहोरा मढका, रतनलाल कहार पटनिया, षिवराम बनवारी राजाखोढाना, बबलू कहार भूतेरा, नर्मदा प्रसाद बनवारी खकरा चौरई, जितेन्द्र कहार भूलामोहगांव, सुमरलाल सिंगोडी, शोभाराम आदि को गांव की संमितियां सात दिन के भीतर गठित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। सम्मेलन को किसान संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष संतोष राव वारस्कर, सचिव महेन्द्र आठ्या, जिला सचिव अमूल गुर्वे, अध्यक्ष कुंजबिहारी पटेल, उपाध्यक्ष कलमसिंह वर्मा सचिव राजकुमार संनोडियां नें संबोधित किया।

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