संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

कब्जे व मुआवजे में पांच साल देरी की तो भूमि अधिग्रहण खत्म : इलाहाबाद हाईकोर्ट

राजस्थान पत्रिका की खबर के अनुसार 29 जनवरी 2018 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिगृहित जमीन का मुआवजा देने में पांच साल की देरी व भौतिक कब्जा न लेने के कारण धारा 24 (2) के तहत अधिग्रहण स्वतः समाप्त हो जायेगा। कोर्ट ने कहा है कि सरकार चाहे तो उस भूमि का नये सिरे से नियमानुसार अधिग्रहण कर सकती है। कोर्ट ने 1987 में मेरठ विकास प्राधिकरण की रिहायशी कॉलोनी व वाणिज्यिक तथा औद्योगिक विकास के लिए रिठानी गांव की अधिगृहीत जमीन की नीलामी कार्रवाई को रद्द कर दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता व न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खण्डपीठ ने अजय गुप्ता व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। 14 अगस्त 1987 को रिठानी गांव की 1830.65 एकड़ जमीन अधिगृहीत कर मेरठ विकास प्राधिकरण को दी गयी। याचिका में तीन प्लाटों का मुआवजा न देने व भौतिक कब्जा न लेने के आधार पर अधिग्रहण रद्द करने की मांग की गयी थी।

याची का कहना था कि 2013 के नये अधिग्रहण कानून की धारा 24 (2) के तहत यदि पांच साल तक जमीन का कब्जा नहीं लिया जाता व मुआवजा भुगतान नहीं किया जाता तो अधिग्रहण स्वतः समाप्त हो जायेगा। प्राधिकरण का कहना था कि याची ने मुआवजा नहीं लिया तो ट्रेजरी में जमा करा दिया गया। एक जनवरी 2014 से पहले याची को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया न ही जमीन का कब्जा लिया गया। इसी दिन 2013 का कानून लागू किया गया है।

कोर्ट ने सरकार को नये सिरे से अधिग्रहण की छूट देते हुए 19 जुलाई 14 को जारी नीलामी नोटिस रद्द कर दी है।

इसको भी देख सकते है