संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

दलित आर्थिक अधिकार यात्रा : अनुसूचित जाति उपयोजना को लागू करों !

उत्तर प्रदेश  के जौनपुर जिले के चार ब्लाकों में  दलित अधिकार आंदोलन तथा नेशनल कैम्पेन ऑन दलित ह्यूमन राइट के बैनर तले अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के क्रियान्वयन हेतु 15 से 25 फरवरी, 2014 तक   दलित आर्थिक अधिकार  यात्रा निकाली गई। दलित आर्थिक अधिकार यात्रा  ने 10 दिनों में 150 गाँवों से गुजरते हुए पांच हजार लोगों से संवाद कायम किये गये. यात्रा के अंतिम दिन 25 फरवरी को   जौनपुर के कलेक्ट्रेट परिसर  में सभा  का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने जिला भवन के सामने अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के क्रियान्वयन में लापरवाही, समाजकर्मियों को प्रताडित करने और आदिवासी भूमि पर जबरन कब्जा करने के खिलाफ नारे लगाए और जौनपुर के अतिरिक्त जिलाधिकारी  ने भवन के मुख्या द्वार पर आकार प्रदर्शनारत ग्रामीणों   से ज्ञापन लिया, जिसे उनकी उपस्थिति में पढकर सबके सामने सुनाया गया.  पेश है राजेश सिंह की रिपोर्ट;

अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) बजट के सम्बन्ध में हमारी मांगे निम्नलिखित है-

  1. अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) से संबंधित सभी योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति की महिलाओं को 50 प्रतिशत मिलना चाहिए।
  2. अनुसूचित जाति के छात्रों तथा छात्राओं के लिए अलग-अलग नये छात्रावासों की स्थापना प्रत्येक जिले में विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के आस-पास की जाए तथा संचालन व्यवस्थित ढंग से किया जाए।
  3. प्रत्येक ब्लाक में नवोदय विद्यालय की तरह अनुसूचित जाति के लिए माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना की जाए।
  4. अनुसूचित जाति के छात्र एवं छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि दोगुनी की जाए।
  5. अनुसूचित जाति के छात्रों/छात्राओं एवं बेरोजगारों के लिए प्रत्येक ब्लाक में कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर खोले जाए।
  6. अनुसूचित जाति के युवाओं तथा युवतियों के लिए प्रत्येक जिले में अलग स्पोर्ट्स प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जाए।
  7. अनुसूचित जाति के लिए प्रत्येक जिले में इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कॉलेज स्थापित किये जाए।
  8. अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के पैसे से अनुसूचित जाति के व्यक्ति को इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, मेडिकल, पॉलिटेक्निक, आई0टी0आई0, बी0टी0सी0, बी0एड0, परास्नातक, स्नातक, इण्टरमीडिएट एवं प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना हेतु भूमि एवं संसाधन उपलब्ध करायी जाए।
  9. प्रत्येक भूमिहीन अनुसूचित जाति के व्यक्ति के लिए 5 एकड़ भूमि उपलब्ध करायी जाए तथा आवश्यकता पड़ने पर अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के पैसे से भूमि खरीद कर अनुसूचित जाति के व्यक्ति को जमीन उपलब्ध करायी जाए।
  10. अनुसूचित जाति के लिए औद्योगिक केन्द्र स्थापना हेतु भूमि, औद्योगिक संसाधन तथा बाजार उपलब्ध कराया जाए।
  11. अनुसूचित जाति एवं जनजाति की योजना बनाने में समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित की जाए, जिससे कि योजाओं के क्रियान्वयन, निगरानी, समीक्षा एवं मूल्यांकन सुनिश्चित हो सके।
  12. स्पेशल कम्पोनेंट प्लान के बजट आबंटन, खर्च, वार्षिक रिपोर्ट, क्रियान्वयन आदि की पारदर्शिता बनायी जाए तथा सार्वजनिक किया जाए, जिसके लिए सूचना विभाग की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए।
  13. अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) बजट के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु जिला स्तरीय अधिकारी की नियुक्ति की जाए, जिसको सभी आवश्यक अधिकार भी दिये जाए।
  14. मनरेगा योजना में कार्यदिवस 250 करके प्रतिदिन का भुगतान रू0 250/- की जाए।

20वीं शताब्दी में पूरे विश्व से गुलामी तथा भारत में गुलामी तथा स्पृश्यता दोनों थी। अस्पृश्यता गुलामी से भी बद्तर होती है। 20वीं शताब्दी के अंत तक पूरे विश्व एवं भारत में गुलामी खत्म हो गया किंतु अस्पृश्यता आज भी भारत में मौजूद है। अस्पृश्यता के कारण ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के साथ छुआछूत तथा भेदभाव होता है, इसी कारण मानवीय एवं मौलिक हकों से भी वंचित रखने का कार्य किया गया। बाबासाहेब डॉ0 अम्बेडकर ने इनके मानवीय तथा मौलिक हकों के साथ-साथ आर्थिक और राजनैतिक हकों एवं भागीदारी के लिए भी आंदोलन किया, जिसके कारण स्वतंत्र भारत के संविधान में संवैधानिक रूप से अधिकार प्राप्त हुआ।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को भारतीय संविधान में उनके हक एवं अधिकार के लिए विशेष प्रावधान है। केन्द्र एवं राज्य सरकारों की मौलिक जिम्मेदारी एवं कर्त्तव्य है कि वह हमारी रक्षा करे। हमारे विकास एवं वृद्धि को प्रोत्साहित करे तथा सार्वजनिक एवं निजी जीवन में हमारे साथ समान बर्ताव करे और शासन प्रणाली में हमारी सहभागिता सुनिश्चित करे। केन्द्र एवं राज्य सरकारों को अनेक दायित्वों में से एक दायित्व यह भी है कि वे नागरिकों को और अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए विशेषकर पंचवर्षीय योजनाओं के तहत वार्षिक बजट आबंटित करे। दूसरे शब्दों में प्रतिवर्ष फरवरी-मार्च में केन्द्र एवं राज्य सरकारंम इस बात की समीक्षा करे कि उन्होंने पिछले वर्ष राजस्व धन को किस प्रकार खर्च किया है, हिसाब लगाये कि आने वाले वर्ष में उनकी कितनी आय होगी और योजना बनाये कि किस तरह उनपर खर्च किया जाएगा, किस उद्देश्य के लिए और किसके लिए।

अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) क्या है?

आर्थिक स्थिति में अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति बहुत ही शोचनीय है। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा बहुत सी कल्याणकारी एवं विकास योजनाओं के लागू किये जाने के बाद भी इन समुदायों को अस्पृश्यता के कारण लाभ नहीं मिलता है। इसीलिए भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुरूप यह विचार किया गया कि पंचवर्षीय योजनाओं का लाभ अनुसूचित जाति को देने हेतु विशेष कदम उठाये जाए। अतः भारतीय योजना आयोग ने केन्द्र एवं राज्य की योजनाओं एवं बजट के तहत दो महत्वपूर्ण कदम उठाये। 1974-75 में अनुसूचित जाति के लिए विशेष घटक योजना (SCSP) बनायी और 1979-80 में विशेष घटक योजना का नया नाम अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) रखा गया।

अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

इसके प्रमुख उद्देश्य है-(1) केन्द्र एवं राज्य सरकारों के मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा अनुसूचित जाति की आबादी के अनुपात में वार्षिक रूप से वार्षिक बजट अलग करना। (2) केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा आबंटित बजट सीधे तौर पर सिर्फ अनुसूचित जाति के कल्याण एवं विकास के लिए बनायी गयी उपयोगी योजनओं में ही खर्च किया जाए।

राज्य सरकारों द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) में आबंटित राशि को छात्रवृत्ति, यूनिफार्म, किताबें, साईकिल, बच्चों की शिक्षा, रहने के लिए घर, हमारे लिए बकरियां, भैंस, गाय इत्यादि योजनाओं में बांटा जाता है, किन्तु इस मद में आबंटित बजट तथा व्यय का हमारे पास हिसाब नहीं रहता है कि वास्तव में हमारा पैसा हमारे विकास के किन मदों में कितना खर्च किया गया है। हमारे बजट को हमारे विकास की किन मदों पर यह धन खर्च होना चाहिए, हमारी महिलाओं और बच्चों को किस तरह का विकास चाहिए, इसके सम्बन्ध में हमारी राय भी ली जानी चाहिए। हमें सरकार से यह मांग करनी चाहिए कि यह धनराशि पूरी तरह हमारे विकास एवं प्रगति के लिए ही खर्च हो।

उपर्युक्त योजनाओं के साथ ही साथ वर्तमान में अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के अन्तर्गत संचालित योजनाओं की जानकारी उसमें आवश्यक संशोधन तथा विकास हेतु नयी योजनाओं के सम्बन्ध में सुझाव के लिए जागरूकता अभियान ‘आर्थिक स्वाधिकार यात्रा’ का आयोजन दिनांक 17 फरवरी से 25 फरवरी, 2014 तक किया गया है, जिसमें विभिन्न गांवों में बैठके करके, पदयात्रा द्वारा तथा साईकिल यात्रा द्वारा लोगों को अनुसूचित जाति उपयोजना (SCSP) के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दि गई.

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