संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मध्य प्रदेश : चुटका परमाणु संयंत्र के खिलाफ संघर्ष तेज करने का आह्वान

-मनीष चन्द्र मिश्र

मध्यप्रदेश के मंडला जिले के चुटका गांव में केंद्र सरकार की एक परमाणु संयंत्र परियोजना प्रस्तावित है। मोदी के दोबारा सत्ता में आने के बाद इस संयंत्र के विरोध में काम करने वाले ग्रामीण और आंदोलनकर्ताओं को संयंत्र के काम में तेजी की आशंका है। संयंत्र के आसपास के तकरीबन 54 गांव इस संयंत्र से निकलने वाले रेडिएशन के जद में आते हैं, साथ ही तीन गांव के लोग विस्थापित होने का खतरा भी झेल रहे हैं।

इस आंदोलन के जुड़े लोगों का मानना है कि एनडीए की नई सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संयंत्र के निर्माण को गति दे सकते हैं जिसका सीधा नुकसान गांव के लोगों को होगा जिन्हें प्रशासन वहां से विस्थापित करना चाह रहा है। मंडला जिले के नारायणगंज तहसील स्थित चुटका गांव में चुटका संघर्ष समिति से जुड़े कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने 2 जून 2019 को एक बैठक का आयोजन किया।

इस बैठक में जबलपुर से राजकुमार सिन्हा और भोपाल से विजय कुमार शामिल हुए। बैठक में चुनाव के उपरांत की परिस्थितियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। जिसमें साथियों ने माना कि केंद्र की भाजपा सरकार देश भर में परमाणु संयंत्र लगाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ेगी। जनसंघर्ष के चलते अब तक रुका हुआ चुटका परमाणु परियोजना का काम भी केन्द्र और राज्य सरकार बलपूर्वक तेज़ी से आगे ले जाने का प्रयास करेंगी। इस बीच सभी ने यह माना कि संघर्ष समिति को भी विरोध की अपनी तैयारी तेज़ करनी चाहिए।

चर्चा के दौरान संघर्ष समिति के साथियों ने अपनी सांगठनिक क्षमता की समीक्षा और मूल्यांकन के बाद निम्नलिखित निर्णय लिए-

  1. चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति को पुनर्संगठित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। संघर्ष समिति के नेतृत्वकारी साथी आने वाले समय में संगठन को मजबूत करने के लिए विस्थापित और प्रभावित गावों का दौरा करेंगे। उन गांवों में बैठकों का आयोजन कर गांव स्तरीय कमेटियों का गठन किया जायेगा।
  2. बैठक में युवाओं की भूमिका पर गंभीरता से चर्चा की गई । सभी साथियों ने यह माना कि बिना युवाओं को जोड़ें इस आंदोलन को आगे नहीं ले जाया जा सकता। इसके लिये हमें विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है । इस आधार पर यह निर्णय लिया गया की आगामी 25- 26 अगस्त को परियोजना से विस्थापित होने वाले कुंडा गांव के सामुदायिक भवन में दो दिवसीय युवा नेतृत्व शाला का आयोजन किया जाएगा। कार्यशाला में विस्थापित गांव के अलावा प्रभावित गांव के युवा साथी शामिल होंगे जिनका पूर्वचयन किया जाएगा। संघर्ष में युवाओं को शामिल करने के लिए ठोस प्रयास किये जाने पर सभी ने जोर दिया।
  3. बैठक में संघर्ष समिति के साथियों ने मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री, नर्मदा विकास प्राधिकरण के मंत्री,आदिमजाति कल्याण मंत्री, प्रदेश के समस्त आदिवासी विधयकों और प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें चुटका परमाणु परियोजना रद्द करने संबंधी माँगपत्र सौंपने का निर्णय लिया।
  4. बैठक में संघर्ष समिति के नेतृत्वकारी साथियों द्वारा भोपाल में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन करने और चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष को समर्थन देने वाले भोपाल के साथियों की एक बैठक भोपाल में आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
  5. बैठक में बरगीबांध विस्थापितों और प्रभावितों के मुद्दों को भी उठाने का निर्णय लिया गया। बरगी का पुनर्वास करो, फिर चुटका की बात करो के नारे के आधार पर आंदोलन को मजबूत करने के बारे में सहमति बनी।

चुटका के लोग क्यों डर रहे हैं?

आंदोलन से जुड़े समाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा बताते हैं कि सरकार पर कई थर्मल पावर प्लांट बंद करने का दवाब है और निश्चय ही अब उनका ध्यान क्लिन एनर्जी के नाम पर चुटका के खतरनाक परमाणु संयंत्र की तरफ जाएगा। इस संयंत्र से तीन गांव के लोग विस्थापित होंगे और तकरीबन 54 गांव के लोगों पर रेडिएशन का सीधा असर होगा। वे मानते हैं कि अमेरिका जैसे देश खतरनाक परमाणु उर्जा पर अपने देश से बाहर निकालकर दूसरे गरीब देशों में लगाना चाहते हैं और इस काम में भारत सरकार उनका सहयोग करेगी। इस सरकार में चुटका के लोगों पर विस्थापन का खतरा तेज हो गया है।

चुटका के ग्रामीण दादूलाल कुदापे बताते हैं समाजिक कार्यकर्ता रामकुमार सिन्हा के मुताबिक इस गांव के लोग बरगी बांध के बनने के बाद विस्थापित होकर पास के जंगल में बसे थे। वन विभाग के द्वारा उन्हें वहां से खदेड़कर इस गांव में बसने को मजबूर किया गया। दो बार विस्थापन झेलने के बाद अब गांव वाले इस संयंत्र की वजह से अपना घर नहीं छोड़ना चाहते। वे मानते हैं कि जनसंघर्ष के चलते अब तक रुका हुआ चुटका परमाणु परियोजना का काम भी केन्द्र और राज्य सरकार बलपूर्वक तेज़ी से आगे ले जाने का प्रयास करेंगी।

क्या है आगे की तैयारी?

चुटका आंदोलन से जुड़े समाजिक कार्यकर्ताओं और पीड़ित ग्रामीणों ने तय किया है कि वे संघर्ष को और मजबूत करेंगे। उनके मुताबिक चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति को पुनर्संगठित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। संघर्ष समिति को नेतृत्व प्रदान करने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ता आने वाले समय में संगठन को मजबूत करने के लिए विस्थापित और प्रभावित गावों का दौरा करेंगे। उन गांवों में बैठकों का आयोजन कर गांव स्तरीय कमेटियों का गठन किया जाएगा।

संगठन अपने साथ नए युवाओं को जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। गांव वालों ने निर्णय किया कि वे अगस्त महीने में परियोजना से विस्थापित होने वाले कुंडा गांव के सामुदायिक भवन में दो दिनी कार्यशाला कर युवाओं का परिचय इस मुद्दे से कराएंगे।

आंदोलन में भाग लेने वाले कार्यकर्ता मध्यप्रदेश में मौजूद कांग्रेस सरकार तक अपनी मांगे पहुंचाने का काम कर रहे हैं। वे मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री, नर्मदा विकास प्राधिकरण के मंत्री, आदिमजाति कल्याण मंत्री, प्रदेश के समस्त आदिवासी विधायकों और प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें चुटका परमाणु परियोजना रद्द करने की मांग करेंगे।

credit : www.downtoearth.org.in

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