संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

पांच साल में आठ लाख हैक्टेयर घटी कृषि भूमि

भारत में कृषि भूमि पिछले पांच साल में 0.43 प्रतिशत घटकर 18 करोड़ 23.9 लाख हैक्टेयर रह गई है। कृषि भूमि के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए हस्तांतरण की वजह से ऐसा हुआ है। देश में बड़े पैमाने पर भवनों, सड़कों और रेलवे को कृषि भूमि का हस्तांतरण हो रहा है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2003-2004 में भारत में कुल कृषि भूमि 18 करोड़ 31.9 लाख हैक्टेयर थी, जो 2008-2009 में 8 लाख हैक्टेयर घटकर 18 करोड़ 23.9 लाख हैक्टेयर रह गई है। पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार और केरल जैसे प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक राज्यों में यह प्रवृत्ति खासतौर पर दिखाई दे रही है। यह देश के कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है। आंकड़ों के अनुसार पंजाब में कृषि भूमि 2008-2009 में 0.33 प्रतिशत घटकर 42.15 लाख हैक्टेयर रह गई। 2006-2007 में यह 42.29 लाख हैक्टेयर थी।

ऐसा ही मामला देश के प्रमुख धान उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल और बिहार में भी देखने को मिला है। इन राज्यों में कृषि भूमि 2006-2007 और 2008-2009 में क्रमशः से 62000 और 10000 हैक्टेयर कम हुई है। दक्षिण के राज्य केरल में करीब 24000 हैक्टेयर कृषि भूमि घटी है। कृषि भूमि की सिकुड़न को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने किसानों के लिए 2007 में राष्ट्रीय पुनर्वास व पुनर्स्थापन नीति तैयार की थी ताकि कृषि भूमि के व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक लगाई जा सके। लेकिन विपरीत परिणाम सामने हैं।

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