संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

झारखण्ड : खूंटी गैंगरेप से लेकर 20 सामाजिक कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह के मुकदमे तक प्रशासन की हर साजिश को उजागर करती जाँच दल की रिपोर्ट

झारखण्ड के खुंटी में हुए गैंग रेप की घटना और उससे जुड़े मामले, घाघरा और आस-पास के गांवों में पुलिसिया दमन, खूंटी में चल रहे पत्थलगढ़ी की प्रक्रिया को माओवाद का नाम देकर प्रशासन द्वारा किया गया आदिवासियों का बर्बर दमन, टाईगर रिर्जव अभयारण्य में प्रशासन और सरकार द्वारा जबरन आदिवासियों का दमन और विस्थापन और झारखण्ड में विभिन्न लोगों पर हुए राजद्रोह के मुकदमे-एक के बाद एक घटी इन घटनाओं के बीच की वास्तविकता तथा इनका आपस में कोई संबंध है या यह संयोग मात्र है यह जानने के लिए यौन हिंसा व दमन के खिलाफ महिलाएँ (WSS) तथा सी डी आर ओ के एक संयुक्त स्वतंत्र जाँच दल ने 17 से 19 अगस्त 2018 तक घटना स्थल का दौरा किया। जांच दल ने इस दौरे के दौरान बहुत से ऐसे तथ्यों का पता लगाया जो अभी तक हमारी आपकी नजरों से छुपे हुए थे। पेश है जाँच दल की विस्तृत रिपोर्ट;

फैक्ट फांडिंग की तारीख: 17/08/2018 से 19/08/2018

विषयः खूंटी में हुए गैंग रेप की घटना, घाघरा और आस-पास के गांवों में प्रशासन के दमन, बेतला टाईगर रिर्जव में प्रशासन और सरकार द्वारा विस्थापन और 20 सामाजिक कार्यकताओं पर राजद्रोह के मुकदमें को लेकर फैक्ट फांडिंग की रिपोर्ट

महोदया्/महोदय,

17 से 19 अगस्त के बीच 10 लोगों की डब्लू एस एस और सी डी आर ओ और स्थानीय सामाजिक कार्यकताओं की 10 सदस्यीय फैक्ट फांडिंग टीम झारखण्ड में विभिन्न जगहो पर हो रहे मानवाधिकारों के हनन के मामले को लेकर जगह-जगह गई और जांच किया। इस फैक्ट फांडिंग में मुख्यतः चार मुद्दों पर जंाच की गई हैः 1, खुंटी में हुए गैंग रेप की घटना और उससे जुड़े मामले, 2, घाघरा और आस-पास के गांवों में प्रशासन के दमन, 3, बेतला टाईगर रिर्जव में प्रशासन और सरकार द्वारा विस्थापन, और 4, झारखण्ड में विभिन्न लोगों पर हुए राजद्रोह के मुकदमे

खुंटी गैंग रेप और संबंधित मामलों में फैक्ट फांडिंग टीम की जांच में पाए गए तथ्यः

20 जून को पुलिस को गैंग रेप की घटना की जानकारी मिली, लेकिन एफ आइ आर या मीडिया में चल रहे खबरों के मुताबिक यह स्पष्ट नहीं है कि, उन्हें घटना की जानकारी कहां से मिली। फैक्ट फांडिंग की टीम द्वारा पुलिस अधिकारी से पूछ-ताछ करने पर यह पता चला कि यहां तक कि महिला थाना को घटना की जानकारी एस पी ऑफिस से मिली थी। एस पी से इसके बारे में पूछने पर उन्होंने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। 20 जून की रात से ही पुलिस ने पीड़िताओं से संर्पक साधने की कोशिश की। पर, वे 21 जून को पीड़िताओं तक पहुंच पाए।

गैंग रेप से जूझ रही पांचों महिलाओं को पुलिस द्वारा उनकी रक्षा करने के नाम पर, गैर कानूनी रुप से पुलिस कि हिरासत में काफी समय तक (तीन हफ्ते तक) रखा गया। पुलिस की हिरासत में 3 हफ्ते तक उन्हें किसी से मिलने नहीं दिया जा रहा था, केवल एन सी डब्लू की टीम उनसे मिल पाई। यहां तक की, एक पीड़िता के परिजनों के अनुसार उनको भी पीड़िता से घटना के दो-तीन दिन बाद केवल थाने में पुलिस वालों की मौजूदगी में पांच-दस मिनट के लिए मिलने दिया गया। प्रशासन की इस कार्यवाई को एस पी ने दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए सही बताया है। महिलाओं को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की बात प्रशासन द्वारा की गई थी, पर परिवार और एस पी से बात करने पर पता चला कि अभी तक केवल एक लाख रुपये दिए गए थे।

फादर आलफान्स पर एफ आई आर में षडयंत्र करना, जबदस्ती रोककर रखना और गैंग रेप के जैसी गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। फादर के बारे में एफ0 आई0 आर0 में यह आरोप लगाया गया है कि, उन्होंने नन को रोक लिया जबकि बांकि लड़कियों को जानबूझ कर मोटर साइकिल पर सवार चार लोगों के साथ जंगल में जाने दिया। पर, फैक्ट फांडिंग टीम को अन्य सूत्रों से यह पता चला है कि फादर खुद उस परिस्थिति में डरे हुए थे। मामले में बिना ठोस आधार के इतने गंभीर धाराएं लगाई गई हैं।

इस मामले में संजय शर्मा का कोई पता नहीं चला है, कि वह कहां है। मामले में घटना के दिन महिलाओं के साथ गई दोनों सिस्टर का भी कोई पता नहीं है। वह भी काफी डरे हुए हैं और किसी से बात नहीं कर रहे। इसके अलावा, इस मामले में पत्थलगढ़ी आंदोलन को भी गैर कानूनी दबाव बना करके दबाया जा रहा है। 26 जून को घाघरा में पुलिस के जवानों ने यह कहकर अंदर घुसने की कोशिश कि, की वहां रेप के मामले के आरोपी पत्थलगढ़ी में शामिल होने वाले हैं। जबकि घाघरा गांव में पत्थलगढ़ी को लेकर ग्राम सभा हो रही थी जहां आस-पास के गांव के लोग आए थे। वहां पुलिस और गांव वालों के बीच झड़प हुई जिसके कारण एक व्यक्ति कि मौत हो गई और कई घायल हैं, जबकि कई महिलाओं पर यौन हिंसा हुई है। घाघरा में भी पुलिस ने करीब दो हफ्तों तक कैम्प किया था और आज भी पुलिस की गश्त उस इलाके में होती रहती है। साथ ही, कोचांग में अर्धसैनिक बलों के पांच कैम्प लगाए गए थे जिसमें से तीन कैम्प अभी भी वहां है। कोचांग में गैंग रेप की घटना के बाद, फिलहाल कैम्प कोचांग के स्कूल में लगा है जिसके कारण गांव के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कैम्प लगाने के लिए गांव के लोगों के उपर जमीन देने का दबाव बनाया जा रहा है, जबकि छोटा नागपुर टेनेन्सी एक्ट के अंर्तगत गैर आदिवासियों को जमीन नहीं दी जा सकती। ऐसा नहीं करने पर गांव वालों को धमकाया जा रहा है कि कैम्प के लिए जमीन नहीं देने पर उनपर मुकदमा कर दिया जाएगा। कोचांग और आस-पास के इलाकों में ग्राम प्रधान और गांव वालों पर राजद्रोह और अन्य धाराओं के अंर्तगत कई एफ आई आर डाले गए हैं। पर आज तक उनके खिलाफ वारेंट नहीं निकला है। इन सभी घटनाक्रमों के कारण पूरे इलाके में डर का माहौल है। पुलिस लोगों पर फर्जी मुकदमा करके उन्हें चुप्पी साधने पर मजबूर कर रही है।

घाघरा में पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा दमन फैक्ट फांडिंग टीम की जांच में पाए गए तथ्यः

घाघरा गांव में पत्थलगढ़ी को लेकर ग्राम सभा हो रही थी जहां आस-पास के गांव के लोग आए थे। वहां पुलिस यह कहकर पहुंच गई कि कोचांग में पांच महिलाओं के साथ हुए गैंग रेप के मामले में शामिल अपराधी वहां आए हुए हैं, और गांव वालों के उपर लाठी चार्ज किया, आंसू गैस छोडे गए और फाईरिंग की गई। उस क्रम में एक व्यक्ति बिरसा मुंडा की मौत लाठी से मारे जाने के कारण हो गई जिसकी पुष्टी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में की गई है। इस मामले में बिरसा मुंडा के परिजनों को उनकी मौत के तीन दिन बाद थाने के दो-तीन चक्कर लगाने के बाद उनका शरीर परिजनों को सौंपा गया। इस मामले में पुलिस ने 302 के अंर्तगत मामला दर्ज कर दिया। इसके अलावा घाघरा के लोगों के उपर राजद्रोह के दो मुकदमें डाले गए हैं।

27 जून को सी आर पी एफ, रेफ, जे ए एफ और होम गार्ड के जवान घाघरा और उससे सटे गांवों में घुस गए। घाघरा से सटे 8 गांव है जहां पुलिस गई थी, पर उनमें से केवल 3 से 4 गांवों में पत्थलगढ़ी हुई थी। पुलिस जब उन गावों में घुसी जहां पत्थलगढ़ी हुई थी, उनमें से दो गावों में लोगों को पीटा गया, और बांकि के लोग पुलिस के आने की सूचना पाकर अपने घरों को छोड़कर चले गए थे। इन गांवों मे लोगों को मारा-पीटा गया, जिसमें कुछ लोगों को चोट पहुंची, एक बच्ची का हाथ भी टूट गया। जबकि, बांकि के गांवों में पुलिस ने लोगों के घर में घुसकर तलाशी ली।

घाघरा में उस दौरान एक महिला के साथ रेप होने की पुश्टि की गई है। जबकि, बंाकि महिलाओं के साथ भी यौन हिंसा होने की बात बताई गई है। इसके साथ ही, गांव में लोगों के घरों में घुस कर अर्धसैनिक बलों द्वारा मार-पीट, तोड-फोड और लूट-पाट की गई थी। चर्च के अर्धसैनिक बलों ने घुसकर पेशाब किया और नुकसान पहुंचाया।

पलामू टाईगर रिजर्व – फैक्ट फांडिंग टीम की जांच में पाए गए तथ्यः

फैक्ट फांडिग टीम विजयपुर गांव, रुध पंचायत, गारु ब्लाक, लातेहार जिला में जांच के लिए गए। वहां टीम 4 गांव के लोगों से मिलेः विजयपुर, पांडरा, गुटवा और गोपकर। 21 फरवरी, 2018 को वन, पर्यावरण और जलवायू परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक गेजेट निकाला गया जिसमें पलामू टाईगर रिजर्व और बेतला नेशनल पार्क के 398 गांवों को इको सेंसेटिव जोन घोषित कर दिया गया है। वन प्रमण्डल पदाधिकारी ने इन गावों के इको डेवेलपमेंट कमिटि को 27 अप्रैल 2018 को एक नोटिस जारी किया कि वे इन गांवों के विस्थापन के लिए सहमति दे दें। इको डेवेलपमेंट कमिटि में वन विभाग के लोग भी होते हैं, जिसके कारण विजयपुर की ग्राम सभा में यह तय किया गया कि इको विकास समीति को सहमति देने का कोई्र हक नहंी है। वन अधिकार कानून के अर्तगत ग्राम सभा को ही सहमति देने या नहीं देने का अधिकार है। कई गांवों ने विस्थापन के लिए सहमति देने से इंकार कर दिया है। 80 गांव वालों पर वन विभाग द्वारा वन उपज जमा करने के लिए फर्जी मामले डाले जा रहे है। वन अधिकार कानून के अंर्तगत ग्राम सभा को वन उपज के उपर मालिकाना हक है। मिटिंग में उपस्थित 4 गांव वालों पर विस्थापन के लिए सहमति देेने के लिए प्रशासन द्वारा काफी दबाव बनाया गया है।

20 सामाजिक कार्यकताओं पर राजद्रोह -फैक्ट फांडिंग टीम की जांच में पाए गए तथ्यः

झारखण्ड के 20 सामाजिक कार्यकताओं के खिलाफ एफ आई आर दर्ज किया गया है जिसमें राजद्रोह, देश से जंग लडने, षडयंत्र करने जैसे संगीन आपराधिक धाराएं लगाई गई हैं। एफ आई आर में यह धाराएं फेसबुक पोस्ट के आधार पर लगाई गई है। इसमें कई के उपर ये धाराएं केवल फेसबुक पोस्ट को पसंद करने के लिए डाली गई है। इस मामले में अभी तक अभियुक्तों के खिलाफ वारंट नहीं निकला है। यह भी जानना बहुत जरुरी है कि जिनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज हुआ है वह सभी पढ़े-लिखे तबके से आते हैं और गरीब आदिवासियो और हाशिये पर रह रहे समाज के सवालों पर काम करते रहे है। ये सभी सरकार और पुलिस की असंवैधानिक और दमनकारी नीतियांे और प्रशासनिक कार्यवाईयों के उपर सवाल उठाते रहे है।

हमारी मांगें-

  • घाघरा में महिलाओं के उपर अर्धसैनिक बलों और पुलिस द्वारा किए गए यौन हिंसा और पत्थलगढ़ी आंदोलन को दबाने की प्रशासन की कोशिश पर स्वतंत्र जुडिशियल कमिशन बिठाया जाए।
  • खुंटी जिले में कोचांग व अन्य जगहों पर जहां अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है, वहां से उन्हे हठाया जाए। कोचांग के स्कूल से अर्धसैनिक बलों का कैम्प हटाया जाए और वहां के गांव वालों पर कैम्प बनाने के लिए गांव की जमीन देने की गैरकानूनी मांग पर रोक लगाई जाए।
  • 21 फरवरी, 2018 को वन, पर्यावरण और जलवायू परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निकाले गए गेजेट को वापस लिया जाए जिसमें पलामू टाइगर रिजर्व और बेतला नेशनल पार्क के 398 आदिवासी गांवों को इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित कर दिया गया है। यह वन अधिकार कानून, वाईलड लाईफ प्रोटेक्शन एक्ट और पेसा का उल्लंघन करता है।
  • बेतला टाइगर रिजर्व में आदिवासियों के वन अधिकारों के प्रयोग को प्रशासन (खास कर वन विभाग द्वारा) रोकने के हर प्रयास को बंद किया जाए।
  • शिडयूल पांच के इलाकों में जबरन विस्थाापन, पुनः स्थापन, भूमि अधिग्रहण को रोका जाए और वन अधिकार कानून, पेसा, छोटा नागपुर टेनेनसी एक्ट और आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों को लागू किया जाए।
  • झारखण्ड के 20 सामाजिक कार्यकताओं पर लगाए गए राजद्रोह के मुकदमें वापस लिए जाएं। साथ ही, गांव वालों और ग्राम प्रधानों पर लगाए गए राजद्रोह और अन्य मुकदमें वापस लिए जाए।

 

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