संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

मंदसौर पुलिस गोलीकाण्ड : देशभर में 6 जून को मंदसौर शहीद किसान स्मृति दिवस मनाया जाएगा

मंदसौर किसान आंदोलन पर पुलिस गोलीचालन की पहली बरसी पर देशभर में 6 जून को मंदसौर शहीद किसान स्मृति दिवस मनाया जाएगा-  अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति

नई दिल्ली 29 मई 2018। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने देश के किसानों को मूलभूत अधिकारों के लिए गोलबंद करने की मुहिम के तहत मंदसौर किसान आंदोलन पर पुलिस गोलीचालन की पहली बरसी के दिन 6 जून को देशभर में मंदसौर शहीद किसान स्मृति दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की है। शहीदों की स्मृति में भोपाल में 4 जून को मसाल जुलूस निकाला जाएगा, और 5 जून की शाम को मंदसौर के ग्राम बूढ़ा में आमसभा होगी तथा 6 जून को मल्हारगढ़ तहसील के चिल्लोद पिपलिया ग्राम में शहीद किसान कन्हैया लाल पाटीदार की मूर्ति के समक्ष दिनभर का सामूहिक उपवास एवं श्रद्धांजलि कार्यक्रम किया जाएगा, जिसमें अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सभी प्रमुख नेतागण भाग लेंगे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेताओं ने दिल्ली में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 6 किसानों की दिनदहाड़े हत्या करने वालों पर अब तक हत्या के मुकदमें दर्ज नहीं किए गए हैं। नेताओं ने कहा कि अब इस मुद्दे को लेकर 6 जून को देशभर में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मंदसौर में पुलिस गोलीचालन की प्रतिक्रिया स्वरूप ही गत वर्ष 16 जून को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन हुआ था तथा सभी 193 संगठनों ने मिलकर किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति तथा लाभकारी मूल्य की गारंटी के मुद्दे को लेकर गत वर्ष 6 जून से ही मंदसौर (ग्राम बूढ़ा) किसान मुक्ति यात्रा शुरू की थी। नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने तत्कालीन पुलिस दमन को रोकने में कामयाबी हासिल की थी तथा किसानों के मनोबल को बढ़ाया था।

अ.भा.कि.सं.स.स. के नेताओं ने कल राष्ट्रपति से मिलकर किसानों के दो बिलों को पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। राष्ट्रपति महोदय से अ.भा.कि.सं.स.स. के नेताओं ने कहा था कि इतिहास में पहली बार किसानों ने वृहद परामर्श के बाद अपने लिए दो बिल तैयार किए हैं। यदि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिसंबर 2003 को गन्ना किसानों के संकट तथा मंदरवा (बस्ती जिले में) 3 किसानों की मौत को लेकर दिसंबर 2003 में संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है तथा जीएसटी के लिए मध्य रात्रि में सत्र बुलाया जा सकता है, तब कृषि संकट से निपटने, किसानों की आत्महत्या पर अंकुश लगाने के लिए संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता? किसान नेताओं ने कहा कि राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद हमें लगता है कि वे अ.भा.कि.सं.स.स. द्वारा उठाये गये मुद्दों का समर्थन करेंगे। हम अपनी पूरी ताकत लगाकर दोनों बिलों को लेकर राष्ट्रव्यापी मुहिम छेड़ेंगे।

अ.भा.कि.सं.स.स. के नेताओं ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह विश्वास व्यक्त किया कि जब भी दोनों बिल संसद में चर्चा के लिए आएंगे, तब दोनों सदनों में 21 राजनैतिक दलों के द्वारा अवश्य समर्थन किया जाएगा।

अ.भा.कि.सं.स.स. के नेताओं ने कहा कि अब हमारा लक्ष्य हर एक सांसद से उसके चुनाव क्षेत्र में मिलना है, ताकि उन्हें आने वाले मानसून सत्र में लोकसभा में सांसद राजू शेट्टीजी तथा राज्यसभा में सांसद के.के.रागेशजी द्वारा पेश किए गए बिलों पर संसद में होने वाली चर्चा के दौरान समर्थन के लिए प्रेरित किया जा सके।

अ.भा.कि.सं.स.स. के नेताओं ने कहा कि इतिहास में यह पहला अवसर है जब 193 किसान संगठन एकजुट हुए हैं तथा 21 राजनैतिक दलों ने उनके द्वारा तैयार किए गए बिलों का समर्थन किया है। नेताओं ने बताया कि 19 राज्यों की 10 हजार किलोमीटर की किसान मुक्ति यात्रा के बाद दिल्ली में आयोजित लाखों किसानों की किसान मुक्ति संसद में दोनों बिल का मसौदा पेश किया गया था तथा उन दोनों बिलों पर देशभर में सैकड़ों किसान मुक्ति सम्मेलन विभिन्न राज्यों में आयोजित किए गए, जिनमें आए सुझावों को दोनों बिलों में समाहित कर तथा 21 राजनैतिक दलों के सुझावों को दोनों बिलों में शामिल कर संपूर्ण कर्जामुक्ति बिल तथा लाभकारी मूल्य गारंटी बिल तैयार किए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आजादी के आंदोलन के पहले युद्ध (सिपाहियों के विद्रोह) की बरसी के अवसर पर 10 मई 2018 को देशभर में लाखों किसानों के हस्ताक्षर के साथ लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति को जिलाधीशों के माध्यम से बिलों के साथ ज्ञापन पत्र सौंपे गए। अब यही कार्यक्रम सांसदों को दोनों बिल सौंप कर देशभर में किसानों द्वारा किया जाएगा।

प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए अ.भा.कि.सं.स.स. के नेताओं ने किसानी  की लागत को काफी कम करने की मांग करते हुए कहा कि डीजल के दाम बढ़ने के कारण किसानों की कमर टूट गयी है। किसान नेताओं ने स्टरलाइट, कॉपर, स्मेल्टर प्लांट (वेदांता) के कारखानों द्वारा फैलाये जा रहे अत्याधिक प्रदूषण का विरोध कर रहे नागरिकों पर तूतीकोरन में किए गए बर्बर पुलिस गोलीचालन में शहीद 13 आंदोलनकारियों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने तथा गोलीचालन के दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की। किसान नेताओं ने मध्य प्रदेश में 7 दिन में 10 किसानों की आत्महत्या एवं गन्ने के भुगतान समय से न होने के कारण किसानों की हो रही मौतों के लिए सरकारों की किसान विरोधी नीतियों को जिम्मेदार बताया।

अ.भा.कि.सं.स.स. ने 1 से 10 जून के बीच देश के कुछ इलाकों में गांवबंदी तथा हड़ताल को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि देश के किसानों की बेहतरी के लिए चलाए जा रहे किसी भी आंदोलन का वे समर्थन करते हैं लेकिन यह स्पष्ट करना आवश्यक समझते हैं कि अ.भा.कि.सं.स.स. में शामिल संगठन की ओर ऐसे किसी किसान आंदोलन की घोषणा नहीं की गयी है तथा वह अपने कार्यक्रमों को यथावत जारी रखेगी।

अ.भा.कि.सं.स.स. के नेताओं ने बताया कि अ.भा.कि.सं.स.स. के गठन के 1 वर्ष पूरा होने पर 16 जून को दिल्ली में सभी किसान संगठनों की साधारण सभा की बैठक आयोजित की गयी है, जिसमें किसानों के दोनों बिलों को पारित कराने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।

प्रेसवार्ता को वी.एम. सिंह, राजू शेट्टी, हन्नान मौला, अतुल अंजान, प्रेम सिंह गहलावत, जगमोहन सिंह, योगेंद्र यादव, अविक साहा एवं डॉ सुनीलम ने संबोधित किया।

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