संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

उड़ीसा : खतरे में नियामगिरी के डोंगरिया कोंध आदिवासी; नहीं थमा अवैध गिरफ़्तारियों का दौर

उड़ीसा के नियामगिरी क्षेत्र में डोंगरिया कोंध आदिवासियों के साथ मारपीट, झूठें आरोपों में गिरफ़्तारी, फर्जी मुकदमों में डाल कर खनन के प्रतिरोध को दबाने का पूरा प्रयास सरकार कर रही है. हाल ही में नियामगिरी सुरक्षा समिति के दाढ़ी काद्रका को बिना किसी वारंट के उनके गाँव से उठाया और चार दिनों तक बुरी तरह प्रताड़ित करने के बाद 10 अक्टूबर को नज़दीक के पुलिस स्टेशन में इस हालत में छोड़ देती है कि वह चल पाने में भी असमर्थ थे. दूसरी तरफ एनएसएस के ही सलाहकार लिंगराज आज़ाद को कालाहांडी जिले के पुलिस अधीक्षक ने कोई भी मीटिंग और प्रशासन के खिलाफ कोई भी विरोध प्रदर्शन आयोजित ना करने के लिए धमकियाँ भी दी हैं. पेश है 14 अक्टूबर 2018 को उड़ीसा के मानवाधिकार समूहों द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति जिसका हिंदी अनुवाद अंकुर जायसवाल ने किया है;

नियमगिरि सुरक्षा समिति के एक्टिविस्ट को गैरकानूनी रूप से हिरासत में लेकर पूछताछ करने और प्रताड़ित किए जाने पर मानवाधिकार समूहों ने की निंदा

भुवनेश्वर, 14.10.18: रायगढ़ पुलिस द्वारा नियमगिरि सुरक्षा समिति (एनएसएस) के एक्टिविस्ट दाढ़ी काद्रका को गैरकानूनी रूप से हिरासत में लेकर पूछताछ करने और प्रताड़ित किए जाने पर विभिन्न लोकतांत्रिक आधिकार समूहों ने मिल कर निंदा की है. उन्होंने कालाहांडी जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा लिंगराज आज़ाद को धमकियाँ दिए जाने की भी निंदा की है. पुलिस अधीक्षक, लिंगराज आज़ाद को उस इलाके कोई भी मीटिंग या विरोध प्रदर्शन करने पर रोक लगा रही है और पुलिस के क्रूर दमन के खिलाफ 23 अक्टूबर को जिला मुख्यालय पर होने वाली प्रस्तावित रैली को भी स्थगित करने का दबाव डाल रही है. अधिकार समूहों ने इन घटनाओं को जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों पर चोट बताया है साथ ही साथ इसे वेदान्ता जैसे कार्पोरेट के हितों को साधने के लिए प्रतिरोध की आवाजों को दबाने के लिए राज्य द्वारा प्रायोजित दमन बताया है.

ध्यान देने वाली बात है कि 6 अक्टूबर को पुलिस ने नियमगिरी सुरक्षा समिति के एक्टिविस्ट दाढ़ी काद्रका को बिना किसी वारंट के उनके गाँव से उठाया और चार दिनों तक बुरी तरह प्रताड़ित करने के बाद 10 अक्टूबर को नज़दीक के पुलिस स्टेशन में इस हालत में छोड़ देती है कि वह चल पाने में भी असमर्थ थे. दूसरी तरफ एनएसएस के ही सलाहकार लिंगराज आज़ाद को कालाहांडी जिले के पुलिस अधीक्षक ने कोई भी मीटिंग और प्रशासन के खिलाफ कोई भी विरोध प्रदर्शन आयोजित ना करने के लिए धमकियाँ भी दी हैं. यहाँ तक कि उसने लिंगराज आज़ाद पर 23 अक्टूबर को रायगढ़ जिला मुख्यालय पर होने वाली प्रस्तावित रैली को भी स्थगित करने का दबाव डाला है. यह रैली स्थानीय आदिवासी लोगों को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने और पुलित की क्रूरता के खिलाफ एनएसएस द्वारा की जानी है.

विभिन्न संगठनों के लोगों ने जैसे – एनएपीएम् के प्रफुल्ल सामंत्रा, कैम्पेन अगेंस्ट फैब्रिकेटेड केसेज (सीएएफसी), उड़ीसा की एडवोकेट बिस्वप्रिया कानूनगो और नरेन्द्र मोहंती, आल इण्डिया पीपुल्स फोरम (एआईपीएफ) के राधाकांत सेठी, एआईकेकेएमएस के भालाचंद्रा सारंगी, जीएएसएस के देबराजन, चासी मुलिया संघ, उड़ीसा के श्रीकांत मोहंती, पीयूसीएल की प्रमोदिनी प्रधान, सचेतना नागरिक मंच, कालाहांडी के सत्या महार, पीपीएसएस के प्रशांत पइकरे, बिस्थापन बिरोधी जनमंच, सुकिंदा की सिनी साय, कमिटी फॉर रिलीज ऑफ़ पोलिटिकल प्रिजनर्स के एडवोकेट बंसीधर दास, सीएसडी, उड़ीसा के गोपीनाथ माझी, बनबासी सुरक्षा परिषद, कंधमाल के बलभद्र मल्लिक और इन्साफ के सतीश मिश्र ने मिल कर प्रेस रिलीज दी है और इन घटनाओं की निंदा की है.

 

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