संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

उचित मुआवज़ा व पुनर्वास न मिलने पर नर्मदा बांध विस्थापितों ने किया भू अर्जन पुनर्वास कार्यालय का घेराव

मध्य प्रदेश, बड़वानी 2 जुलाई 2018। सरदार सरोवर परियोजना से बड़वानी ज़िले के 65 से अधिक गाँव डूब में है। आज भी इन गाँवों का संपूर्ण पुनर्वास कानूनी तरीके से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नहीं किया गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले आज भू अर्जन पुनर्वास कार्यालय बडवानी का घेराव किया। बडवानी जिले के अधिकारियो से चर्चा की गई है, चर्चा में इन मुद्दों को रखा-

1. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण व मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सन् 2008 से सर्वोच्च अदालत में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसमे हर बार जीरो बैलेंस का दावा किया गया था। परन्तु नर्मदा बचाओ आन्दोलन द्वारा सर्वोच्च अदालत के सामने इन आकड़ों का स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया जो दर्शाता हैं कि आज भी हजारों परिवारों का पुनर्वास करना बाकी है।

2. सर्वोच्च अदालत के 2000, 2005 व् 2017 के आदेशों का संपूर्ण पालन आज तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा नही किया गया हैं।

3. डूब प्रभावितों की संख्या कम करने के लिए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नया बैक वाटर लेवल का खेल किया गया, जिसमें 15946 परिवारों को डूब से बाहर कर दिया गया, जोकि गैरकानूनी है । सन् 2000 में न.घा.वि.प्रा ने इन मकानों का अधिग्रहण किया था, फिर 2008 और 2009 में इन्हें डूब से बाहर कर दिया गया।

4. मई व जून में बड़वानी तहसील-अंजड, ठिकरी राजस्व विभाग, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा सर्वे किया गया है । लेकिन आज भी पात्र परिवारों को 5.80 लाख की पात्रता मिलना बाकी है । कई बार आवेदन पत्र दिए जा चुके हैं पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है । इसमें से आधे परिवारों को एक किश्त दी गई है, कुछ परिवारों को अभी तक कोई भी पैसा नहीं दिया गया हैं ।

5. जीआरए के आदेशों का पालन आज तक नहीं हुआ है, ऐसे विस्थापित परिवारों को तत्काल लाभ दिया जाये।

6. 60 लाख रू व 15 लाख रू की पात्रता वाले विस्थापितों को तत्काल भुगतान किया जाये।

7. 25 प्रतिशत से कम जमीन गई ऐसे परिवारों के खातेदार व वयस्क पुत्रों को 60 x 90 फीट के पृथक भूखण्ड आवंटित किये जाये।

8. 8 मार्च 2018 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायलय खंडपीठ इंदौर ने मूलचन्द पिता झापडीया निवासी कसरावद के शिकायत निवारण प्राधिकरण के आदेश को सही ठहराते हुए 5 एकड़ जमीन या SRP दिए जाने का आदेश दिया । अतः जिन किसानों की जमीन पुनर्वास स्थलों के लिए अधिग्रहित की गयी है, ऐसे परिवारों के लिए यह आदेश लागू होता है (इसकी छाया प्रति भी संलग्न है)।

9. नर्मदा घाटी विभाग द्वारा 05 जून 2017 से 05 फरवरी 2018 तक के प्रकाशित आदेशों का तत्काल पालन किया जाए एवं पात्र विस्थापितों को लाभ दिया जाये।

10. नर्मदा घाटी विभाग के 05 जून 2017 के आदेश के अनुसार कुम्हार, केवट, मछुआरे, भूमिहीन परिवारों को आजीविका का साधन देना था, जिसका तत्काल क्रियान्वयन करवाया जाये।

11. नर्मदा घाटी विभाग 01 अगस्त 2017 के आदेश अनुसार 5.80 लाख के पैकेज में से 5 लाख रू एक मुश्त देना था, इस आदेश का पालन आज तक नहीं हुआ है ।

12. जिन विस्थापित परिवारों के द्वारा भूखण्ड के बदले नगद राशी ली गई है, ऐसे परिवारों को 180 वर्गमीटर का भूखण्ड दिया जायेगा, जो आज तक नही दिया गया है।

13. जो विस्थापित परिवार पहले से पात्र है, ऐसे परिवारों को 60 90 का भूखण्ड आवंटित किया जाये।

14. शिकायत निवारण प्राधिकरण के आदेश, दिनांक 28/11/2017, के अनुसार एक समय सीमा में सभी मूलभूत सुविधाओं का काम होना था, जो अभी तक संपूर्ण नहीं हुआ है। उदाहरणस्वरूप :- 31 दिसंबर 2017 तक 83 पुनर्वास स्थलों पर चरनोई की जमीन उपलब्ध कराना था, जो आज तक नहीं किया गया है। 31 जनवरी 2018 तक 83 पुनर्वास स्थलों के भूखंडो का समतलीकरण करके देना था, जिनके टेन्डरों का काम अभी शुरू हुआ हैं। 31 मार्च 2018 तक 83 पुनर्वास स्थलों के भूखंडो की रजिस्ट्री करके देना था, जो आज तक नहीं दिया गया है। 30 अप्रैल 2018 तक 83 पुनर्वास स्थलों पर नर्मदा पाईप लाईन बिछा के देनी थी, जिसके टेन्डर अभी हुए है एवं कुछ जगह कार्य शुरू तक नहीं हुआ है । 31 मई 2018 तक बरसात के पानी के निकासी के लिए नालियों का निर्माण करना था जो आज तक पूरा नहीं हो पाया हैं, इसके कारण इस साल की पहली बरसात में जामदा, सोंदुल, अवल्दा, अमलाली, बीजासन, मोरकट्टा, पिछोड़ी, राजघाट, भीलखेड़ा, कसरावद, बोरलाय 1, बोरलाय 2, बोरलाय 3, छोटा बड़दा, दतवाडा, मोहिपुरा, केसरपुरा, पान्या इत्यादि पुनर्वास स्थलों पर कई मकान टूटे व् धसे एवं कई आवासीय भू-खण्डों में पानी जमा रहा। 31 मई तक पूरा कार्य हो जाता तो इन विस्थापितों का इतना नुकसान नहीं होता । इस प्रकार से कई अलग अलग मुददे थे, जिस पर अभी तक संपूर्ण कार्य नहीं हुआ है।

15. NWDTA के अनुसार जैसा मूलगांव है, उसी प्रकार से पुनर्वास स्थल पर गाँव को बसाना था, जो अभी तक नहीं हुआ है।

16. पुराने एटीआर , नये एटीआर, राजपत्र इत्यादि सूंचियो में बहुत ज्यादा अंतर है, जोकि एक बड़े भ्रष्टाचार को दर्शाता हैं।

17. जिन अपात्र विस्थापित परिवारों को एक तिहाई आवासीय भूखण्ड व् 5.80 लाख दिए गए हैं एवं जो बाकी हैं ऐसे विस्थापितों की सूंची जाहिर करें।

18. आवासीय भूखंडों की रजिस्ट्री करके तत्काल दिया जाये।

19. नर्मदा जलविवाद अवार्ड , राज्य की पुनर्वास नीति व नर्मदा घाटी विभाग के द्वारा 2017 से 2018 तक प्रकाशित आदेशों के अनुसार संपूर्ण पुनर्वास किया जाये।

20. मुख्यमंत्रीजी की घोषणा के अनुसार हर पट्टेधारी को 5.80 लाख रू. की पात्रता मिलनी थी, ऐसा धरातल पर नहीं किया गया है।

21. सभी भूमिहीन परिवारों को आजीविका का साधन दिया जाये।

22. जिन विस्थापितों के मकानों का पूर्व में भू-अर्जन नहीं हुआ है, ऐसे परिवारों को नये भू-अर्जन कानून के तहत सर्वे कर लाभ दिया जाये।

23. 5.80 लाख रू में विस्थापितों के द्वारा पुनर्वास स्थलों पर संपूर्ण मकान बना पाना संभव नहीं है क्योंकि उन्हें अपना मकान रोड लेवल तक लाने के लिए लगभग 3 लाख रु का खर्चा आता हैं। अतः उन्हें भूखण्ड का समतलीकरण करके दिया जाए।

24. बडवानी जिले के कुछ पुनर्वास स्थलों पर गैर विस्थापितों द्वारा मकान व कब्ज़ा किया गया हैं, उन्हें तत्काल हटाकर कार्यवाही की जाये।

25. बड़वानी जिले के पुनर्वास स्थलों पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा जो मुख्य सड़क की साईट है उसमे बड़ा भ्रटाचार हुआ है, इनके 2 से 3 बार नक्शे बदले गए हैं। आज भी पात्र विस्थापित को आवासीय भूखंड नहीं मिले है।

26. बिना पुनर्वास विस्थापितों को डुबाना नर्मदा जल विवाद व सर्वोच्च अदालत के फैसलों का उल्लंघन होगा। पहले पुनर्वास करे उसके बाद ही बांध में पानी भरा जाए।

अधिकारी ने बोल कि सभी मुद्दों को ऊपर ले जायेगे इस प्रकार का आश्वासन दिया गया है।

राहुल यादव देवराम कनेरा कमला यादव केलाश यादव विनोद यादव रामेश्वर सोलकी हरेसिह दरबार पवन यादव केलाश गोस्वामी निर्मला बाई

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