संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

छत्तीसगढ़ : जल-जंगल-जमीन और पर्यावरण की रक्षा के लिए साझे संघर्ष का आह्वान

रायपुर आदिवासी भारत महासभा (ए.बी.एम) का अखिल भारतीय सम्मेलन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के वीर नारायणसिंह हॉल, बिरसामुण्डा नगर (गोंडवाना भवन टिकरापारा) में 02 फरवरी 2018 से लेकर 03 फरवरी को सम्पन्न हुआ। 02फरवरी को रैली एवं आमसभा के बाद “शाम से ही सम्मेलन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। दूसरे दिन 03 फरवरी को सुबह 09 बजे संगठन का झण्डारोहण एवं जन आन्दोलनों में “शहादत हुए “शहीदों को स्मरण कर दूसरे दिन के सत्र का आरंभ हुआ। सम्मेलन की संचलन के लिए सात सदस्यीय संचालन कमेटी का गठन किया गया जिसकी अध्यक्ष्ता भोजलाल नेताम ने किया।

सम्मेलन में देशव्यापी संगठन को मजबूत करने कार्यक्रम एवं संविधान की प्रस्तुति की गई जिसमें राजस्थान, महाराश्ट्र, तेलंगाना, झारखण्ड, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा सहित नौ राज्यों की प्रतिनीधियों ने चर्चा में भाग लिया तथा गहन चर्चा कर कुछ सुझाव को सम्मिलित करते हुए सर्वसम्मति से पारित किया गया। तत्पष्चात् अखिल भारतीय समन्वय समिति के लिए पैनल प्रस्तुत किया गया और 17 सदस्यीय केन्द्रीय समन्वय समिति का गठन हुआ जिसका अध्यक्ष भोजलाल नेताम (छत्तीसगढ़), उपाध्यक्ष श्रीमति संजना मानकर (महाराष्ट्र), महासचिव राजूकाषीनाथ दादोड़ा (महाराश्ट्र), सहसचिव कातुल प्रभाकर (तेलंगाना) और कोशाध्यक्ष उर्मीला (मध्य प्रदेश) को बनाया गया इन पदाधिकारियों सहित एक सात सदस्यीय केन्द्रीय सचिव मंडल का गठन किया गया। जिन राज्यों व संगठनों से प्रतिनीधि सम्मेलन में भाग नहीं ले सके उन्हें समन्वय समिति में शामिल किया जायेगा।

सम्मेलन ने 1. भूमि अधिग्रहण एवं विस्थापन के खिलाफ, 2. जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण की रक्षा, 3. वन अधिकार मान्यता कानून को लागू करने, 4. बारनवापारा अभ्यारण्य और भांगर के आन्दोलनकारियों के समर्थन में संघर्श करने, 5. फर्जी मामलों एवं महिला उत्पीड़न के खिलाफ, 6. कथित माओवाद के नाम पर निर्दोश आदिवासियों की हत्या एवं दमन के खिलाफ एवं माओवाद के नाम पर जेल में बंद तमाम निर्दोश आदिवासियों को निषर्त रिहा करने के लिए 7. काम्पा एक्ट को वापस लेने, 8. आदिवासियों की जमीन छीनने भू-राजस्व संषोधन विधेयक जैसी कानूनों के खिलाफ, 9. सी.एन.टी.ए. एवं एस.पी.टी.ए., पेषा कानून एवं पांचवीं, छठी अनुसूची का पालन के लिए, 10. गौरी लंकेष, एमएम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे, दाम्बोलकर जैसे बुध्दिजीवियों की हत्यारों की गिरफ्तारी एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए,11. सभी प्रकार की धार्मिक अंधविष्वास एवं कट्टरता के खिलाफ, 12. बुलेट ट्रेन, वाडवान बंदरगाह, एक्सप्रेस हाईवे, औद्योगिक कॉरीडोर सहित कॉरपोरेट नीतियों के खिलाफ, 13.समानता एवं बेहतर जीवन स्तर के लिए संघर्श करने 14. राष्ट्रीय स्थिति सहित कुल 14 प्रस्ताव पारित किये गये। इन मांगो को पूरा करने के लिए नये केन्द्रीय समन्वय समिति नेतृत्व करेंगे।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री भोजलाल नेताम ने कहा कि, ए.बी.एम का प्रथम अखिल भारतीय सम्मेलन एक ऐसे समय में सम्पन्न हुआ है जहां तथाकथित विकास के नाम पर बड़े उद्योगपतियों, कॉरपोरेट घरानों के हित में जल, जंगल, जमीन, खनिज संपदा और पर्यावरण की बेतहाषा लूट मची है। कथित विकास परियोजनाओं के नाम पर, अभ्यारण्य व रिजर्व फॉरेस्ट, टाईगर प्रोजेक्ट, तथा माओवादियों का खत्मा करने के नाम पर सदियों से जंगल क्षेत्र में रह रहे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति, पिछड़े वर्गों को उनके जमीन एवं गांवों से ही बेदखल किया जा रहा है, निर्दोश आदिवासियों की निमर्म हत्या की जा रही है, महिलाओं पर दमन व बलात्कार व फर्जी केस बनाकर उन्हें जेलों में डाला जा रहा है।

जमीन, जीविका, पर्यावरण और आदिवासियों के जीवन की रक्षा आज के दौर में गंभीर चुनौती है और ये सब चुनौतियां “शासकवर्ग द्वारा ऊपर के कुछ अमीर लोंगों की विकास और सम्पन्नता के मद्देनजर पैदा किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार भू-राजस्व संहिता में संषोधन कर आदिवासियों से उनकी जमीन छीनने के लिए यह कानून लेकर आई है, जिसे जनता के विरोध के चलते भाजपा की रमन सरकार ने फिलहाल वापस लेने की बात कही है लेकिन इसे अब तक कानून सम्मत तरीके से वापस नहीं लिया गया है। इसके खिलाफ और बढ़ते हुए फासीवादी खतरे के खिलाफ केन्द्रिय समन्वय समिति देशव्यापी आन्दोलन को “शुरू करेंगे। क्रांतिकारी गीत व जोषीले नारों के साथ झण्डा अवरोहण के साथ सम्मेलन सम्पन्न हुआ।

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