10वां दिन : गर्दन तक जमीन में दबे है नीदड़ के किसान
राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित विधानसभा से कोई बीस किलोमीटर दूर नींदड़ गाँव के किसान पिछले 10 दिनों से जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे है। जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे किसानों ने अपने शरीर को गर्दन तक मिट्टी से दबा लिया हैं। चार दिन से क्रमिक अनशन कर रहे किसानों ने इस तपती धूप में जमीन को बचाने के लिए अपनी जिंदगी को दाव पर लगा रखा है। सरकार ने अभी किसानों की कोई सुध नहीं ली है।
जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) द्वारा नींदड़ आवासीय योजना के लिए किसानों की उपजाऊ जमीन पर जबरन कब्जा किया जा रहा था जिसके विरोध में किसानों ने 2 अक्टूबर से भूमि समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया। 5 अक्टूबर को जेडीए कमिश्नर वैभव गालरिया के साथ काश्तकारों की चौथे दौर की वार्ता में इन पांच बिन्दु, सर्वे के लिए समन्वय समिति गठित हो। समिति में जेडीए अफसर, जनप्रतिनिधि व संघर्ष समिति में प्रतिनिधि शामिल हों। एक ढाणी व कॉलोनी का दुबारा सर्वे हो। परिवार की न्यूनतम आवश्यकता रिपोर्ट बनाई जाए। मकान की स्थिति व नुकसान की रिपोर्ट तैयार हो। योजना से प्रभावितों की आर्थिक स्थिति का आकलन तथा अवाप्ति से उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन हो पर सहमति बन गई।
6 अक्टूबर को जेडीए कमिश्नर वैभव गालरिया जयपुर से बाहर चले गये उनकी अनुपस्थिति में काम संभाल रहे जेडीए के जोन डिप्टी कमिश्नर राजकुमार सिंह ने किसानों को जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में वार्ता के लिए फिर से आमंत्रित किया तो किसानों ने यह कहते हुए माना कर दिया की जब दुबारा से सर्वे पर सहमति बन गई है तो दुबारा वार्ता का क्या मतलब है? 7 और 8 अक्टूबर को शनिवार-रविवार की छुट्टी माना रहे प्रशासन को किसानों की याद नहीं आयी।
9 अक्टूबर को जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में फिर से वार्ता हुई जिसमे जेडीए ने किसानों की दुबारा सर्वे की मांग को तो माना परंतु एक शर्त जोड़ दिया कि सर्वे के साथ जेडीए को नींदड़ आवासीय योजना में मंदिरमाफ़ी और सार्वजनिक जमीन पर कब्ज़ा कर लेने दिया जाए। नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति ने जेडीए की इस शर्त को मानने से इंकार कर दिया है। किसानों का कहना है कि जेडीए जमीन पर किसी भी बहाने से काबिज होना चाहता है इसीलिए वार्ता के नाम पर किसानों के साथ हर दिन मजाक किया जा रहा है।
समाधि सत्याग्रह कर रहे किसानों का होसला कही से कम होने का नाम नहीं ले रहा है सत्याग्रह में क्रमिक अनशन रहे किसानों की पत्नियों ने धरना स्थल पर ही 8 अक्टूबर को चांद को देखा और करवाचौथ का उपवास तोड़ा। अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष पूर्व विधायक पेमाराम, सचिन पायलट ने भी धरना स्थल पर जाकर किसानों के आंदोलन को समर्थन दिया है।
7 सालों से भूमि अधिग्रहण के खिलाफ जारी है संघर्ष
2010 में कांग्रेस सरकार के समय जयपुर विकास प्राधिकरण ने नींदड़ आवासीय योजना की अधिसूचना अख़बारों के माध्यम से जारी की थी। अधिसूचना के समय से ही किसान भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे है।
इस योजना में नींदड़ गाँव और आस-पास की 19 ढाणियों के 5 हजार परिवारों के लगभग 20 हजार लोग प्रभावित हो रहे है। योजना में 1350 बीघा भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित है। 2013 में अवार्ड जारी हुआ किसानों ने विरोध स्वरूप मुआवजा राशि नहीं ली तो सरकार ने मुआवजा कोर्ट में जमा करवा दिया। लेकिन किसानों के भारी विरोध के चलते जेडीए जमीन का कब्जा नहीं ले पा रहा था। 2014 में राज्य में चुनाव आये तो पूर्व उप राष्ट्रपति भैरो सिंह के दामाद वर्तमान बीजेपी विधायक नरपत सिंह राजवी ने किसानों से भूमि अधिग्रहण निरस्त करवाने का वादा किया। किसानों से चुनाव में वोट भी लिए और जीत भी गए, लेकिन फिर कभी किसानों के बिच नहीं आये।
16 सितम्बर 2017 को नींदड़ आवासीय योजना के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) दस्ते ने भारी पुलिसबल की मौजूदगी में किसानों की जमीन पर जबरन कब्जा करना शुरू किया। किसानों ने जबरन भूमि अधिग्रहण के विरोध में एकजूट हो कर जेडीए को कब्ज़ा करने से रोक दिया और उसी जमीन पर 18 सितम्बर से एक मात्र मांग भूमि अधिग्रहण को निरस्त करो को लेकर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। 15 दिन के अनिश्चितकालीन धरना से जब सरकार के कान में जू तक नही रेंगी तो किसानों ने 2 अक्टूबर से भूमि समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया।
जेडीए की निगाह 1000 करोड़ पर
इस योजना में जेडीए प्रभावित किसानों को मुआवजा देने व जनसुविधाओं पर जो राशि खर्च करेगा। उसकी लागत करीब साढ़े तीन हजार रूपए प्रति वर्गमीटर आएगी, जबकि यहां जेडीए छह हजार रूपए प्रति वर्ग मीटर में प्लाट काटे तो भी आसानी से बिक सकते हैं और जेडीए को 1000 करोड़ मिल सकते हैं। जानकारों के मुताबिक प्रस्तावित इस योजना से आगे के क्षेत्र में ही लोग छह हजार रूपए में प्लाट बेच रहे हैं, जबकि जेडीए के प्लाटों की कीमत हमेशा और अधिक रहती है। यह योजना जेडीए की दरों के मामले में अब तक की सबसे मंहगी योजना होगी।
बहरहाल, 23 दिन से नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति आंदोलन में डटी है, अब भी सरकार और किसान अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं। किसानों की मांगों के सामने नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने हाथ खड़े कर दिए है उन्होंने जेडीसी के कंधों पर बंदूक रख दी है। इधर, जमीन समाधि सत्याग्रह में क्रमिक अनशन शुरू हो गया है। सत्याग्रही कहते हैं, हमारी मांगें नहीं मानी जाती तो यहीं खुद पर मिट्टी डाल समाधि ले लेंगे। देखते हैं, कौन झुकता है ?