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दिल्ली
निर्यात हेतु ‘जीएम’ बासमती नहीं, देशवासियों के लिए ‘जीएम’ सरसों क्यों?
खेती में अनेक सरकारी हस्तक्षेपों की तरह ‘जीन-संवर्धित’ बीजों को लाने के पीछे भी उत्पादन बढ़ाने का बहाना किया जा रहा है, लेकिन क्या बिना जांच-पड़ताल के किसी अज्ञात कुल-शील बीज को खेतों में पहुंचाना ठीक होगा? सरसों और धान में हाल में यही किया जा रहा है। प्रस्तुत है, ‘जीएम’ बीजों को लाने की जिद को उजागर करता राजेंद्र चौधरी का यह लेख;
अक्तूबर 2022…
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भूमि अधिकार आंदोलन का राष्ट्रव्यापी आह्वान : 10 दिसम्बर और 30 जनवरी 2023 को…
भूमि अधिकार आन्दोलन का चौथा राष्ट्रीय सम्मेलन 26-27 सितम्बर 2022 को नई दिल्ली में कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित…
पूंजी की प्रभुता में लोकतंत्र की हैसियत
दुनियाभर की भांति-भांति की शासन-प्रणालियों को देखें तो उनमें सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र ही दिखाई देता है, लेकिन पूंजी के…
वन जमीन डायवर्जन नियम में संशोधन : कारपोरेट के सामने नतमस्तक सरकार
मोदी सरकार की “ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस” नीति के तहत केंद्रीय वन, पर्यावरण एव जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 28 जून…
आदिवासियों की बदहाली के संवैधानिक गुनहगार
संविधान में आदिवासियों को मिले विशेष दर्जे को आमतौर पर अनदेखा किया जाता रहा है। मसलन – राज्यपालों को अनुसूचित…
पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों के राज्यपालों को गृह मंत्रालय का दिशा-निर्देश
दिल्ली 26 मई 2022। पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना) में राज्यपालों द्वारा अपने संवैधानिक अधिकारों का समुचित पालन नहीं करने के कारण गृह मंत्रालय द्वारा 29 अप्रैल 2022 को राज्यपालों को एक दिशा निर्देश जारी किया गया है। पांचवीं अनुसूची के…
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दिल्ली : लंबे संघर्ष के बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व सहायक को मिला ग्रेच्युटी का हक़
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की पीठ ने कहा कि आंगनवाड़ी केंद्र भी वैधानिक कर्तव्यों का पालन…
जलवायु परिवर्तन : खेती पर मंडराता खतरा
मौजूदा विकास के साथ जो संकट सर्वाधिक महसूस किया जा रहा है, वह है- जलवायु परिवर्तन का। जिस तौर-तरीके से हम अपना…