जल सत्याग्रह 13 वें दिन भी जारी, देश भर से समर्थन!!
गौरतलब है कि शासकीय कंपनी एनएचडीसी पिछले कई वर्षों से विद्युत उत्पादन प्रारंभ कर चुकी है और इस दौरान उसने सैकड़ों करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ भी कमाया है। लेकिन वह पुनर्वास नीति के अनिवार्य प्रावधान कि परिवार के वयस्क सदस्य को जमीन के बदले जमीन दे, का पालन नहीं कर रही है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अंतरिम निर्णय में इंदिरा सागर बांध से बेदखल होने वालों के लिए भी जमीन के बदले जमीन के सिद्धांत को स्वीकार कर इस संबंध में मध्यप्रदेश शासन को निर्देश भी दिए हैं।
कंपनियों के लिए है ज़मीन विस्थापितों के लिए नहीं !!
पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश सरकार ने २.5 लाख एकर ज़मीन पूंजीपतियों और कंपनियों को प्रस्तावित की है. और हर वर्ष सरकार इस बात की खुली घोषणा करती है की पूरी दुनिया से पूंजीपति आयें और मध्य प्रदेश में निवेश करें. लेकिन इसी मध्य प्रदेश सरकार ने हमेशा विस्थापितों को ज़मीन देने से इंकार किया है और उच्च और सर्वोच्च न्यायालय में यह तर्क दिया है की ज़मीन उपलब्ध नहीं है. इससे यह साफ़ हो जाता है की मध्य प्रदेश सरकार के पास पूंजीपतियों के लिए ज़मीन है लेकिन विस्थापितों के लिए नहीं.
ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में उठाया जायेगा विस्थापितों का मुद्दा !!
28-29-30 अक्टूबर 2012 को इंदौर में हो रहे ग्लोबल इन्वेस्टर मीट में भी मध्य प्रदेश सरकार दुनिया भर से आये निवेशकों को मध्य प्रदेश में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, और बाताएगी की किस प्रकार वे मध्य प्रदेश में कम दामों पर ज़मीन खरीद कर अपने नए उद्योद की शुरुवात कर सकते हैं. अगर सरकार ने विस्थापितों की ज़मीन के बदले ज़मीन की मांग को नहीं सुना, तो वहां पर इस मुद्दे को उठाया जाएगा और निवेशकों के सामने यह घोषणा की जायेगी की वे मध्य प्रदेश में तब तक ज़मीन न खरीदें जब तक विस्थापितों को अपने अधिकार के अनुसार ज़मीन नहीं दी जाती.
जल सत्याग्रह 13 वें दिन भी जारी, देश भर से समर्थन!!
घोघल्ल्गाओं में चल रहा जल सत्याग्रह 13 वें दिन भी जोर शोर से जारी राहा! विस्थापितों की इस लड़ाई को देश भर से समर्थन मिल राहा है. कल दिल्ली में सर्वोच्च न्यायालय के वकील एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण के नेतृत्व में मध्य प्रदेश भवन के सामने विरोध प्रदर्शन हुआ. आज भोपाल में वन्दे मातरम चौराहे पर अनिल सदगोपाल के नेतृत्व में मुस्कान, संगिनी, एन. आई. डब्लू. सी. वाई.डी जैसी संस्थाओं ने मिलकर एक अनोखा प्रदर्शन किया. इसमें कुछ लोगों ने लाश बनकर दर्शाने का प्रयास किया कि सरकार का बिना पुनर्वास लोगों को डुबाना, और आपनी ज़मीन से भगाना उन्हें मारने के बराबर है.