मुलताई गोलीकांड : 15 सालों से संघर्षरत किसानों की ‘किसान न्याय यात्रा’ शुरू
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई तहसील के परमंडल गांव के किसानों ने टंटी चौधरी के नेतृत्व में 12 दिसंबर, 1997 को फसल खराब होने के कारण मुआवजे की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा था. 18 दिसंबर को फिर ज्ञापन देकर सात दिन में कार्रवाई न होने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी थी. 25 दिसंबर को परमंडल के किसानों ने मुलताई तहसील प्रांगण में किसानों की बैठक बुलाई, जिसमें किसान संघर्ष समिति का गठन किया गया एवं वहीं पर हजारों किसानों ने अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की. सात जनवरी को धरना स्थल पर यह निर्णय लिया गया कि नौ जनवरी को मुलताई से बैतूल तक रैली निकाली जाएगी. 11 जनवरी को चक्का जाम किया जाएगा एवं 12 जनवरी को मुलताई तहसील का घेराव किया जाएगा. आठ जनवरी 1998 की रात को पुलिस ने धरना दे रहे किसानों को खदेड़ दिया, इसके बावजूद अगले दिन 25 हजार से ज्यादा किसानों ने रैली निकाली. 11 जनवरी को मुलताई तहसील के 450 गांवों में चक्का जाम हुआ. 12 जनवरी को किसान रैली के मुलताई प्रवेश के पहले ही पुलिस ने किसानों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें एक मासूम छात्र सहित 24 लोगों की मौत हो गई.
15 साल बाद पिछली 18 अक्टूबर को फ़ैसला आया और जैसा कि अंदेशा था, डा. सुनीलम समेत तीन लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनायी गयी। डा. सुनीलम पर अब तक 8 बार जानलेवे हमले किये गये है। उनके खिलाफ 133 फर्जी केस दर्ज किए गए, जिनमें से 3 मामलों में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
किसान संघर्ष समिति द्वारा हर माह की 12 तारीख को किसान महापंचायत आयोजित की जाती है। अब तक 185 किसान महापंचायत आयोजित की जा चुकी हैं। किसान संघर्ष समिति हर वर्श शहीदों की स्मृति में शहीद किसान स्मृति सम्मेलन आयोजित करता है, जिसमें देश के कई पूर्व प्रधानमंत्री, सांसद, किसान नेता एवं जनसंगठनों के नेता षिरकत कर चुके हैं। हर वर्ष किसान संघर्ष समिति 12 जनवरी को मुलतई घोशणापत्र सम्मेलन द्वारा पारित प्रस्ताव के तौर पर जारी करती है जिस पर अगले एक वर्श किसान संगठन कार्य करता है।
किसान संघर्ष समिति मध्य प्रदेश के सभी जिलों में सक्रिय है तथा अब तक प्रदेश के सभी 25 जिलों में 15000 किलोमीटर की तीन बार पदयात्रा तथा देश के 28 राज्यों में एक बार पदयात्रा कर चुकी है।
मुलताई में किसान संघर्ष समिति के तत्वाधान में मुलताई किसान न्याय यात्रा की सुरुआत 25 दिसंबर से की गई है। 25 को परमंडल गांव में किसान संघर्ष समिति के 15 वें स्थापना दिवस के साथ यात्रा का सुभारंभ किया गया। परमंडल गांव में मुलताई के अलग-अलग गांवों से 150 से ज्यादा किसान सामिल हुए। जिन्होंने एकजुट होकर डा सुनीलम जी के हित में संघर्ष करने का ऐलान किया। किसान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष टंटी चौधरी, उपाध्यक्ष संतोष राव जीभारस्कर, लक्ष्मण बोरबन, गुलाब देशमुख, सत्यप्रकाश, कूष्णा ठाकरे, गुलाब देशमुख, जगदीष दोडके, कैलास डोंगरदिये आदि किसानों ने कहा कि 15 साल पहले 12 जनवरी को हुए मुलताई गोलीकांड के वे सब लोग गवाह हैं। एमपी सरकार के इशारे पर खाकी में छिपे पुलिस के गुंडों ने आंदोलनरत निर्दोश किसानों पर गोलियां चलाईं। मुलताई से एक किमी दूर तक पुलिस ने किसानों का पीछा कर गोलियों से भूना। जिससे 24 किसान शहीद हो गए, जबकि 150 को गोलियां लगीं।
डा सुनीलम को पुलिस बंदूकें लेकर पागलों की तरह ढूंढ रही थी ताकि उनका खात्मा किया जा सके। लेकिन, किसानों ने बमुश्किल उनकी जान बचाई। लेकिन, एमपी की तत्कालीन सरकार ने गोलीचालन के दोषियों को सजा देने की बजाय उन्हें राजनीतिक संरक्षण दिया और उनके औहदे बढ़ाने का काम किया।
किसानों ने डा सुनीलम समेत मुलताई के दो किसानों को मिली आजीवन कारावास का विरोध करते हुए कहा कि मुलताई गोलीकाड के खुद गवाह हैं, इसलिए फैसले का खुला विरोध करते हैं और यह एमपी की भाजपा सरकार के दबाव में गरीब किसानो की आवाज दबाने की नीयत से दिया गया है। जिसका कडा विरोध होगा। किसानों ने डा सुनीलम की न्यायिक प्रक्रिया में आर्थिक सहयोग करने और 12 जनवरी को 15 वां शहीद किसान स्मरति सम्मेलन को बेहतर ढंग से आयोजित करने को गांव गांव से पैसा, अनाज आदि एकत्र करने का निर्णय लिया। पूरे मुलताई क्षेत्र में यह अभियान शुरु भी कर दिया गया है। बैठक में उत्तरांचल के राष्ट्र सेवा दल के महामंत्री जबर सिंह वर्मा, युवा बिरादरी की समन्वयक गुडृडी मुंबई, राजेश भाई, आदि शामिल रहे।