16 मई के बाद की बदली परिस्थिति और सांस्कृतिक चुनौतियां पर राष्ट्रीय संगोष्ठी : 17 मई 2015, नयी दिल्ली
मित्रों,
जैसा कि आपको पता होगा कि 16 मई, 2014 को इस देश में निज़ाम बदलने के बाद कुछ कवियों, पत्रकारों और संस्कृतिकर्मियों ने मिलकर “कविता: 16 मई के बाद” नाम की एक सांस्कृतिक पहल शुरू की थी जिसके अंतर्गत दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड में अब तक कई कविता-पाठ आयोजन किए जा चुके हैं। इस आयोजन के मूल में यह चिंता थी कि केंद्र में आयी नयी सरकार के संरक्षण में तेज़ी से जो राष्ट्रवादी और विभाजनकारी माहौल हमारे समाज में बन रहा है, उसके बरक्स एक सांस्कृतिक प्रतिपक्ष खड़ा किया जा सके और सभी प्रगतिशील जमातों से असहमति के स्वरों को एक मंच पर लाया जा सके।
सत्ता परिवर्तन की पहली बरसी आज से एक सप्ताह बाद होगी। यह मौका है कि हम ठहर कर एक बार इस बात पर विचार करें कि बीते एक वर्ष में क्या बदला है, क्या बिगड़ा है और इसे दुरुस्त करने के लिए सांस्कृतिक व सामाजिक स्तर पर क्या और कैसे किया जाना है। सबसे अहम बात यह कि अगर कोई ऐसी प्रक्रिया बनती है तो उसमें हमारी क्या भूमिका होगी। क्या निजी भूमिकाओं को कोई सामूहिक शक्ल दी जा सकती है?
इसी उद्देश्य से हम आगामी 17 मई (दिन रविवार) को दिल्ली में दिन भर का एक सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। इसमें तीन सत्र होंगे। पहला सत्र विचार केंद्रित होगा। दूसरे सत्र में राज्यों से रिपोर्टिंग होगी और तीसरा सत्र सांस्कृतिक संध्या होगा जिसमें देश भर से आए कवियों का कविता-पाठ होगा और कुछ गीत होंगे।
16 मई के बाद की बदली परिस्थिति और सांस्कृतिक चुनौतियां
स्थान: सभागार, इंडियन सोशल इंस्टिट्यूट, लोधी रोड, दिल्ली
समय: सुबह 9.00 बजे
तारीख: 17 मई 2015, रविवार
हमें उम्मीद है कि आप कार्यक्रम में खुद शिरकत करेंगे और समानधर्मा मित्रों को भी इसकी सूचना देंगे।
सादर,
अभिषेक श्रीवास्तव (8800114126)
(‘कविता:16 मई के बाद’ की ओर से)