हौंडा श्रमिकों के अनशन का 18वां दिन : एक श्रमिक की हालत बिगड़ी
19 सितंबर 2016 से दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपनी जायज मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठे होंडा मजदूरों के अनशन को आज 18 दिन हो चुके हैं। 18 दिन के आमरण अनशन के बाद एक अनशनकारी मजदूर विपिन की तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ गई है लेकिन अभी तक न तो कंपनी की तरफ से ना ही प्रबंधन की तरफ से ना तो सरकार की तरफ से कोई प्रतिनिधि मजदूरों से बात करने के लिए आया है। इस सबके बावजूद हौंडा के मजदूर अपने संघर्ष पर टिके हुए हैं।
आज लड़ाई 18वें दिन पहुंच गयी है। होंडा मज़दूरों का संघर्ष एक देशव्यापी मुद्दा बन चुका है। कॉमरेड विपिन की तबीयत ज़्यादा बिगड़ गयी तो अस्पताल ले जाया गया है। इतने लंबे संघर्ष के बाद सभी साथियों का स्वास्थ्य खऱाब हो गया है। अभी तक सरकार का कोई भी नुमाइंदा जंतर मंतर पे अपनी शक्ल दिखाने नहीं पहुँचा।
धिक्कार है ऐसी व्यवस्था पर, धिक्कार है होंडा मैनजमेंट और उनके दलालों पर। धिक्कार है ऐसे मुल्क के निज़ाम पर जो मजदूरों का खून पीकर पलता हैं। मैनजमेंट और सरकार किसी मुगालते में ना रहे क्योंकि जो साथी भूख़ हड़ताल पर है वो अपने जान की बाजी लगाकर बैठ हैं। इसलिए पीछे हटने का कोई सवाल नहीं, थकने का कोई सवाल नहीं और ये बात होंडा मैनजमेंट अच्छी तरह समझ ले और अपने दलालों को समझा दे कि जो 3000 मज़दूर कंपनी ने बाहर निकाले हैं, अगर वापस नहीं लिए तथा मजदूरों के ख़िलाफ़ जो झूठे मुक़दमे लगाये हैं उनको अगर वापस नहीं लेती तो हम मजदूर होंडा कंपनी को टपूकड़ा में चैन से नहीं बैठने देंगें।