संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad
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2021

किसान आंदोलन के 100 दिन : एक रिपोर्टर की नज़र से देखें दिल्ली बॉर्डर के हाल

-गौरव गुलमोहर किसान आंदोलन तीन महीने का कठिन दौर पार कर चौथे महीने में प्रवेश कर चुका है। किसानों के सौ दिन डटे रहने को पूरी दुनिया अचंभित नज़रों से देख रही है। गाहे-बगाहे लोग अनुमान लगाते रहते हैं कि किसान अब और ज्यादा दिनों तक आंदोलन में नहीं बैठे रह सकते, लेकिन तभी किसान नया रणनीतिक दांव सामने लाकर सबको चौंका देते हैं। लोग अनुमान लगा रहे थे कि…
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छत्तीसगढ़ : भिलाई स्टील प्लांट के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन

सेल के अध्यक्ष के नाम दिये पत्र में कहा कारखाना नहीं चलाना है तब छत्तीसगढ़ियों की जमीन वापस करे भूअर्जन अधिनियम के…

पच्चीसवें साल में पेसा : ग्राम सभा को सशक्त करने के लिए आया कानून खुद कितना मजबूत!

-कुंदन पाण्डेय पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) क़ानून 1996 में आया था। इस कानून को आदिवासी-बहुल क्षेत्र में स्व-शासन (ग्राम सभा) को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से लाया गया था। इस कानून के वर्तमान स्थिति का अनुमान इस एक तथ्य से लगाया जा सकता है कि पच्चीस साल होने को है पर कुल दस में से चार राज्यों ने इसके लिए जरूरी…
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मध्य प्रदेश : नये कृषि कानूनों के विरोध में गुना में महापंचायत, आंदोलन को…

इंदौर। पिछले 100 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मध्यप्रदेश में भी किसान महापंचायतों की शुरुआत हो चुकी…

छत्तीसगढ़ : स्पात प्लांटों के विस्तार के लिए नियम विरुद्ध कराई जा रही हैं जनसुनवाईयां

-राजेश त्रिपाठी रायगढ़ के तराईमाल में 3 मार्च 2021 को एन.आर.टी.एम.टी. इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की जनसुनवाई  आयोजित की गई. बंजारी मंदिर के मैदान में आयोजित मेसर्स एन.आर.टी.एम.टी. इंडिया प्राईवेट लिमिटेड़, सेक्टर – एल, ओपी जिंदल इंडस्ट्रीयल पार्क, पूंजीपथरा, ग्राम पंूजीपथरा तहसील घरघोड़ा जिला रायगढ़ स्थित प्लांट क्र. 211,213 एवं 212 के विस्तार के…
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उत्तराखण्ड : विनाश की बुनियाद पर हो रहा है बाँधों का निर्माण

-कमलेश जोशी यदि आपसे पूछा जाए कि एक नदी की स्वाभाविक प्रकृति क्या है? तो निश्चित ही आपका जवाब होगा-अपने तयशुदा…

संसद द्वारा एकमत से पारित वनाधिकार कानून के बाद भी आदिवासियों, वनाश्रितों के साथ…

2006 में देश की संसद द्वारा ऐतिहासिक अन्याय खत्म करने को एकमत से 'वनाधिकार' कानून बनाया गया था। कानून से आस जगी थी…

सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश

- चौधरी सवित मलिक तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार की ऐसी क्या मजबूरी है कि वह कानून वापस नहीं ले रही है और एमएसपी पर गारंटी नहीं दे रही है?…
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