सरकार का 2022 तक घर देने का वादा, फिर क्यों है गरीबों के घर तोड़ने का इरादा? : घर बचाओ घर बनाओ आंदोलन
अभी हाल ही मुंबई में सरकार द्वारा अलग-अलग कारण देते हुए मालवणी व मंडाला, मानखुर्द में बड़े पैमाने पर बस्ती का डेमोलिशन (निष्कासन) किया गया | इसमें हज़ारो लोग बच्चे व बूढ़े समेत बेघर हो गए | इससे संतुष्ट नहीं सरकार अब और डेमोलिशन की प्लानिंग कर रही है | सिद्धार्थ नगर, चार बंगला अँधेरी (पश्चिम) की बस्ती को तोड़ने की बात निकली है जिससे बस्ती लोगो में रोष है |
बस्तियों को कभी कट-ऑफ-डेट के नाम पर तोडा जाता है, कभी फॉरेस्ट की भूमि बोलकर, कभी कब्ज़ा हटाने के नाम पर तोडा जाता | परन्तु तोड़ने की प्रक्रिया से कभी कुछ हल नहीं निकलता और नाही कोई फायेदा होता है | इससे सरकार और लोगो, दोनों की परेशानिया और बढ़ जाती है | इसके साथ उन लोगो की भी परेशानी बढती है जो लोग बस्ती में हो रहे कार्य पर या उनमे रहने वाले कारीगरों या बस्तियों से मिलने वाले घरेलु कामगारों पर निर्भर होते है | बस्ती टूटने पर यह सारी मदद खत्म हो जाती है और फिर उनकी जगह आती प्राइवेट सुविधाए जो अत्यंत महंगी होती है, इन महगी सुविधाए खरीदने से जो किसी कंपनी की कमाई होती है, उस कमाई का बड़ा हिस्सा कम्पनी के मालिक को जाता है वही बस्तियों से मिलने वाली सुविधा की कमाई सीधे गरीब की जेब में जाती है | आप लोग बताये आप गरीबों की कमाई करवाना चाहते है जिससे उनकी ज़िन्दगी में सुधार आयेगा या फिर कम्पनियों के मालिकों की जो पहले से ही धनिक है ?
“Housing For All by 2022” यानी “सबके के लिए घर 2022 तक” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अभियान शुरू किया गया है | इसके तहत 2022 तक सबको घर मिलेगा | अगर यह सच है तो फिर महाराष्ट्र सरकार 1.1.2000 की कट-ऑफ-डेट के नाम पर बस्तियों को पात्र और अपात्र क्यों घोषित कर रही है ? इसका मतलब तो यह हुआ कि जो 1.1.2000 या उससे पहले के पात्रता के पुरावे दिखाएँगे उनको घर मिलेगा और जिनके पास पुरावे नहीं है उनके घर उजाड़ दिए जायेंगे | तो एक तरफ “सबके के लिए घर 2022 तक” व दूसरी तरफ कट-ऑफ-डेट के नाम पर लोगों को उजाड़ने का सरकार का प्लान गरीबों के साथ धोका व अन्याय है |
मंग्रोवेस काट कर बड़ी बड़ी इमारते व काम्प्लेक्स बन रहे है सरकार उनको अनदेखा करके सिर्फ मंग्रोवेस बचाने के नाम पर बस्तियों को तोडना घोर अन्याय है | यह संविधान द्वारा जीने के अधिकार का खुले तोर पर उलंघन है |
मुंबई जैसे बड़े-बड़े शहरों में ज़मीन के महंगे दामों के कारण गरीब घर नही खरीद पाता, नाही वह भाड़े के घर का बोझ झेल पता है | दूर-दूर से बेरोज़गारी की मार झेल कर शहरो में जीविका कामने आये लोग फिर मजबूरन हाशियें की ज़मीनों, जो दल-दल जैसी होती है, उन पर अपना छोटा सा झोपड़ा बना लेते है | और जब ये ज़मीने भरनी करने के बाद बिल्डिंग बनाने के लायक हो जाती है तो सरकार इन गरीबों को अपात्र घोषित करके उन्हें वहां से उजाड़ देती है | अगर सरकार इमानदार है तो उन जनप्रतिनिधयों को भी वापस बुलाये जो गरीब अपात्र लोगों के वोटों के बिना पर BMC, विधान सभा व संसद में बेठे हुए है |
घर बचाओ घर बनाओ आन्दोलन मांग करता है कि:
1. जो बस्तियां जहा बसी है उन्हें उस ज़मीन का हक दिया जाए |
2. साड़ी बस्तियों में बुनियादी सुविधाए मुहैया करायी जाए-पानी, शौचालय, बिजली इत्यादि
3. प्रवास रोकने के लिए केंद्र-व राज्य सरकार प्रत्येक शहर व गाँव में रोज़गार प्रदान करे व कट-ऑफ-डेट हटाकर गरीबों का उत्पीड़न रोका जाए व सबको घर का अधिकार मिले |
4. अगर पुनर्वास करना है तो वह उसी जगह पर करे जहाँ बस्तियां बसी है |
5. सारी बस्तियों में राशनिंग की सुविधा मुहैया हो |
6. प्राथमिक विद्यालय व स्वस्थ्य केंद्र बनाए जाए |
आपके समर्थन व सुझाव का घर बचाओ घर बनाओ आन्दोलन आपका हमेशा स्वागत करेगा |
“सबके लिए घर”
फिर हमारे क्यों तोड़े घर ?
सरकार का 2022 तक घर देने का वादा,
फिर क्यों है गरीबों के घर तोड़ने का इरादा?
“सबके लिए घर” योजना आई है,
फिर क्यों कट-ऑफ-डेट लगायी है?
जिंदाबाद !
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