36 साल बाद नर्मदा विस्थापितों को एक बार फिर उजाड़ने को तैयार गुजरात सरकार
सन 1980 के दौरान पहली बार नर्मदा बांध से विस्थापित मध्य प्रदेश के 19 गाँवों के आदिवासियों को अपना गाँव छोड़कर, गुजरात के जिला नर्मदा के केवाडिया कॉलोनी स्थित पुनर्वास स्थल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था | इस विस्थापन से उनकी भाषा-संकृति, पर्यावरण भी प्रभावित हुआ था पर उन्होंने फिर भी अपने हकों के लिए लड़ाई जारी रखी |आज 36 साल बाद गुजरात सरकार ने उन्हें पुनर्वास स्थल से दुबारा यह कहकर विस्थापित करने का निर्णय लिया कि उनको गलत पात्रता के तहत सारे लाभ दिए गए थे | ऐसे 1000 लोगों को गुजरात सरकार ने दुबारा विस्थापित करने की योजना बनायी है | सरकार की इस बेशर्मी से नाराज आदिवासी-किसान गुजरात के नर्मदा जिले के केवाडिया कॉलोनी स्थित पुनर्वास कार्यालय के सामने 15 जुलाई से धरने पर बैठे हैं | छ दिन से क्रमिक अनशन जारी भी जारी है । गुजरात के अनशनकारियों कि विस्तृत रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते है;
नर्मदा | 20 जुलाई, 2016: सरदार सरोवर प्रकल्प प्रभावितों का गुजरात में धरना छठे दिन भी जारी रहा | कई सौं गुजरात के आदिवासी-किसान व निमाड़ के किसान जो सरदार सरोवर प्रकल्प प्रभावित है और जिनका पुनर्वास गुजरात में हुआ था, गुजरात के जिला नर्मदा के केवाडिया कॉलोनी स्तिथ पुनर्वास कार्यालय के सामने बेठे है | कम से कम 50 महिलाये व 50 पुरषों ने आज साक्ली उपोशान जारी रखा | महिलाओं ने अपने त्रीव अंदाज़ में अपने आवाज़ को अन्यायिक व अनुचित पुनर्वास के खिलाफ सरकार को धिक्कारते हुए बुलंद की |
सन 1980 के दौरान सरदार सरोवर प्रकल्प से प्रभावित 19 गाँव के आदिवासियों को अपना गाँव छोड़कर, पुनर्वास स्थल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था | इस विस्थापन से उनकी संकृति, पर्यावरण भी प्रभावित हुआ था पर उन्होंने फिर भी अपने हकों के लिए लड़ाई जारी रखी | गुजारत के प्रभावितों के पुनर्वास के लिए सन 1987 को कट-ऑफ-डेट बनाया गया था वही मध्यप्रदेश के लिए सन 2000 और उसके आगे के साल को रखा गया था | इस फर्क के कारण गुजरात के प्रभावितों को काफी झेलना पड़ा था क्योंकि 50 साल से रह रहे लोगों को पुनर्वास निति के अनुसार ज़मीन व रोज़गार के लाभ नहीं मिले | उनका मानना है की कट-ऑफ-डेट को साल 2002 के आगे बढाया जाए |
पुनर्वास स्थल में आज तक वो सारी सुविधायें नहीं मिली है जो ट्रिब्यूनल अवार्ड में सूचीबद्ध है | कई सारे पुनर्वास स्थल में पानी की सुविधायें नहीं है | कहीं पर जलनिकासी की सुविधा नहीं तो कही पर कब्रिस्तान नहीं और नाही चराने के लिए मैदान और खेतों में जाने के लिए रास्ता भी नहीं है |
ट्रिब्यूनल अवार्ड के तहत जो सिंचाई का लाभ देना था, जिसे सर्वोच्चय न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने भी समर्थन किया था, आज तक पुनर्वास स्थल पर नहीं पहुंचा है | महाराष्ट्र सरकार ने कम से कम विस्थापितों को लाभ देने के लिए निर्णय लिया हिया और ट्यूबवेल लगाने के लिए पैसा देना शुरू किया है परन्तु गुजरात के पुनर्वास स्थलों पर अभी तक पीने का पानी ही नहीं पहुंचा है सिंचाई की सुविधा तो बहुत दूर की बात हो गयी है |
गुजरात के विस्थापितों का रोष और भी बढ़ गया जब गुजरात सरकार ने उन्हें पुनर्वास स्थल से दुबारा यह कहकर विस्थापित करने का निर्णय लिया कि उनको गलत पात्रता के तहत सारे लाभ दिए गए थे | ऐसे 1000 लोगों को सरकार ने दुबारा विस्थापित करने की सूची बनायी है | जैसे ही गुजरात सरकार ने नटवर सामा जैसे विस्थापित को दोबारा उजाड़ना शुरू करा, बाकी विस्थापितों ने इस कार्यवाही के खिलाफ धरना शुरू कर दिया | गुजरात सरकार प्रभावितों की इन समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकाल रही है और ना ही उनकी शिकायतों का निबटारा नहीं कर रही है |
अनेक लोक संगठनो व आंदोलनों ने विस्थापितों के इस आन्दोलन को समर्थन दिया और धरना स्थल पर आकर गुजरात में विकास के परिकल्पना को लेकर चर्चा की | सारे संगठनो ने चेतवानी देते हुए बयान जारी किया कि अगर गुजरात सरकार संवाद नहीं करती है तो हम आन्दोलन को और त्रीव करेंगे | विस्थापितों के इस धरने को कांग्रेस, जदयू व टाइगर सेना का समर्थन भी मिल रहा है |
धरने को और भी मज्बूजी मिली है जब कॉलोनी से प्रभावित 6 गाँव के लोगों ने धरने को समर्थन दिया है और उनके साथ ७० और गाँव को लोगों ने समर्थन दिया है जो पर्यटन प्रकल्प से प्रभावित है |
सरदार सरोवर प्रभावितों की इस धरने के साथ यह भी मांग है कि सरदार सरोवर बाँध के गेट्स जब तक बंध नहीं किये जाये जब तक मध्य प्रदेश, गुजरात व महाराष्ट के सारे प्रभावितों का पूर्ण पुनर्वास नहीं हो जाता | इसी मांग को लेकर 30 जुलाई से मध्य प्रदेश के नर्मदा किनारे जिला बडवानी में सत्याग्रह शुरू होने वाला है | इस बार प्रभावितों ने ठान लिया है कि अगर डूब आयेगी तो नर्मदा किनारे से नहीं हटेंगे सरकार का पूर्ण पुनर्वास के झूठ की पोल-खोल करने के लिए |
जिकु भाई तडवी बालू भाई शंकर कागर चंपा बेहेन राहुल यादव
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