टपुकड़ा हौंडा मजदूरों की हौंडा उत्पादों के बहिष्कार की अपील : 5 अक्टूबर को हौंडा शो-रूम के सामने प्रदर्शन
पिछले सात माह से अपनी जायज मांगों को लेकर लड़ रहे टपुकड़ा, हौंडा मजदूरों के दिल्ली के जंतर मंतर पर जारी आमरण अनशन को आज 17वां दिन पूरा हो गया है। किंतु अब तक फैक्ट्री प्रबंधन या सरकार किसी ने भी इन मजदूरों की सुध नहीं ली है। लेकिन मजदूर तब भी अड़े हुए हैं कि वह अपनी मांगे पूरी होने तक अपना संघर्ष जारी रखेंगे। इसी क्रम में हौंडा मोटरसायकल और स्कूटर 2एफ कामगार समूह ने 5 अक्टूबर 2016 को हौंडा कार्यलायों तथा शो-रूम के सामने विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। मजदूरों ने ग्राहकों से अपील है कि वह हौंडा उत्पादों का विरोध करें क्योंकि इन उत्पादों को अकुशल ठेके के मजदूरों से बनवाने की वजह से इसमें बहुत सी खराबियां हैं। प्रस्तुत है हौंडा मोटरसायकल और स्कूटर 2एफ कामगार समूह के अध्यक्ष नरेश मेहता की अपील;
संघर्षरत हौंडा मजदूरों द्वारा हौंडा उत्पाद के बहिष्कार की अपील
साथियों,
टापुकड़ा, राजस्थान का हौंडा प्लांट में, जो अब तक उच्च गुणवत्ता उत्पाद बनाने के लिए मशहूर था, अकुशल मजदूरों द्वारा ठेके के तहत काम करवाया जा रहा है। जिन उत्पादों को पहले कम से कम आईटीआई या फिर पॉलिटेक्निक पास मजदूरों से करावाया जाता था, अब उन्हें आठवीं पास ठेके के मजदूर बना रहे हैं। ज्ञात रहे कि इन उत्पादों को बनाने के लिए कम से कम दो साल के कठिन प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। लगभग सात महीनों से टपुकड़ा-अलवर के हौंडा मजदूर अपने वैधानिक मांगों के लिए तथा सरकार एवं हौंडा प्रबंधन के क्रूर दमन के विरुद्ध संघर्ष कर रहे हैं।
मौजूदा संघर्ष की शुरुआत 16 फरवरी 2016 से तब हुई जब एक मजदूर को बीमार होने के बावजूद पहली शिफ्ट के तुरंत बाद सुपरवाइजरों द्वारा दूसरी शिफ्ट में लगा दिया गया। मना करने पर मजदूर को बुरी तरह मारा तथा अपमानित किया गया। हौंडा प्रबंधन ने 3000 प्रशिक्षित तथा कुशल मजदूरों को नौकरी से निकाल कर अकुशल ठेके के मजदूरों से उत्पादन करवाना शुरु कर दिया। फरवरी से अब तक करीब 5 लाख ऐसी हौंडा शाइन तथा एक्टिवा बनाई जा चुकी हैं जिनमें खराबियां हैं। इन खराब गाड़ियों को नवरात्रि तथा दिवाली के अवसर पर आम लोगों के बीच बेचा जाएगा। बांग्लादेश में पहले ही 10,000 गाड़ियां बेची जा चुकी हैं।
हौंडा वेबसाइट पर दर्ज होने वाली खराबियां तथा शिकायतें निम्न हैः
हौंडा शाइन बाइकः
- शाइन बाइक के कम एवरेजे के साथ इंजन में कंपन तथा शोर की दिक्कते आ रही हैं।
- शाइन बाइक के पेट्रोल टंकी से पेंट निकल रहा है और धब्बे दिखाई दे रहे हैं।
- शाइन बाइक में स्टार्टिंग, इंजन लीकेज और चेन सेट में खड़खड़ाहट की समस्या है।
- बहुत ज्यादा एक्जॉह्ज्ट एमिशन तथा पिक-अप की समस्या
- शाइन बाइक में पहियों के हिलने की, सेल्फ स्टार्ट काम न करने की और शॉकर की समस्याएं हैं।
हौंडा एक्टिवा स्कूटरः
- हौंडा एक्टिवा में पेंट की समस्या के साथ-साथ बैट्री और कंपन की भी समस्या है। खराब पेंट की वजह से सफेद हौंडा एक्टिवा धूप या बारिश में आते ही जल्दी पीली पड़ने लगी हैं।
- हौंडा एक्टिवा में इंजन में शोर, इंजन में कंपन, स्टार्टिंग की समस्या, इंजन से तेल लीक करने इत्यादि की समस्याएं आ रही हैं।
- हौंडा एक्टिवा में हेड लाइट, खराब स्पीडोमीटर, खराब हैंडल बैंड की दिक्कते हैं।
- हौंडा एक्टिवा का पिक-अप भी बुरा है।
हौंडा मजदूरों के मौजूदा संघर्ष का संक्षिप्त इतिहास
मौजूदा संघर्ष की शुरुआत 16 फरवरी 2016 से तब हुई जब एक मजदूर को बीमार होने के बावजूद पहली शिफ्ट के तुरंत बाद सुपरवाइजरों द्वारा दूसरी शिफ्ट में लगा दिया गया। मना करने पर मजदूर को बुरी तरह मारा तथा अपमानित किया गया। अपने साथी मजदूर के साथ जानवरों के तरह हुए इस व्यवहार से नाराज प्लांट के मजदूर एकत्रित होने लगे, लेकिन, हौंडा प्रबंधन ने गेट पर तालाबंदी करके उनको फैक्ट्री की चाहरदीवारी में रोक दिया। जैसे ही शाम हुई बाहर से फैक्ट्री की यूनिफार्म में बाउंसरों तथा किराए के गुंडों को फैक्ट्री के अंदर लाया गया और जानबूझकर झगड़ा करवाया गया। बहुत ही साजिशाना तरीके से इस झगड़े को पुलिस को बुलाने का बहाना बना दिया गया। झगड़े में बहुत से मजदूरों को सिरों तथा हाथ-पैरों पर चोटें आईं।
लेकिन बात यहीं नहीं खत्म हुई। पुलिस ने 44 मजदूरों को गिरफ्तार कर उनपर 307 (हत्या के प्रयास) जैसी गंभीर धारा लगा दी। हौंडा मजदूर लंबे समय से यूनियन बनाने तथा श्रम कानूनों के पालन जैसी अपनी जायज मांगों के लिए संघर्ष कर रहे थे किंतु हौंडा प्रबंधन उनकी कोई भी मांग नहीं मान रहा था। तात्कालिक घटनाएं एकमात्र या नई नहीं थी। मजदूर वर्ग द्वारा की गई संवैधानिक मांगों का पहले भी इसी तरह से दमन किया गया है और मीडिया हमेशा ही चुप रहा है। हौंडा का वर्तमान संघर्ष इसी की एक बानगी है। हौंडा प्रबंधन ने मजदूर यूनियन के रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए हर संभव चाल चली। मजदूरों को पूरे टपुकड़ा या धारूहेड़ा में कहीं भी एकत्रित होने की अनुमति नहीं थी और उनके ऐसे किसी भी प्रयास का नतीजा राजस्थान पुलिस द्वारा निर्मम लाठीचार्ज के रूप में होता। 19 फरवरी 2016 को गुड़गांव के ताऊ देवीलाल पार्क में मजदूरों ने एक बड़ी रैली संगठित करने का प्रयास किया किंतु पुलिस ने उन्हें लाठीचार्ज कर वहां से भगा दिया।
आगे आने वाले सभी प्रतिरोधों का लगभग यही हश्र हुआ। आखिरकार मजदूरों ने अपने संघर्ष को अगले चरण पर ले जाते हुए 19 सितंबर 2016 से देश की राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने की शुरुआत की। संघर्षरत मजदूरों में से 5 मजदूर 19 सितंबर से आमरण अनशन पर बैठ गए। वह इस संकल्प के साथ अनशन पर बैठे हैं कि वह अपने संघर्ष को तब तक जारी रखेंगे जब तक कि मजदूरों की जायज मांगों को पूरा नहीं किया जाता है। हमने 28 सितंबर से 2 अक्टूबर 2016 तक धारूहेड़ा-मानेसर-गुड़गांव-दिल्ली के बीच एक पांच दिन लंबी न्याय संघर्ष यात्रा निकाली जिसकी समापन 2 अक्टूबर को जंतर-मंतर पर एक विशाल जनसभा के रूप में हुआ। किंतु अभी तक प्रबंधन या सरकार की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है, और हम इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हमारी मांगे-
- हौंडा कंपनी प्रबंधन हौंडा मोटरसायकल और स्कूटर 2एफ कामगार समूह के साथ वार्ता शुरु करे तथा सभी मजदूरों को तत्काल काम पर वापस रखा जाए।
- मजदूरों पर लगे झूठे केस तुरंत वापस लिए जाएं।
कृप्या हमारे संघर्ष के साथ एकजुटता प्रदान करें! हम आपसे/आपके संगठन से अपील करते हैं कि
- 5 अक्टूबर को हौंडा कार्यालयों तथा शोरुम के सामने विरोध प्रदर्शन आयोजित करें।
- हौंडा मजदूरों के लिए न्याय की मांग करते हुए श्रम मंत्रालय को पत्र लिखें।
- अपने क्षेत्र में हौंडा मजदूरों के लिए न्याय के लिए चल रहे अभियान में सहयोग करें। संघर्ष का मीडिया/सोशल मीडिया पर प्रचार करें, और संघर्ष के लिए आर्थिक मदद जुटाएं।
क्रांतिकारी अभिवादन के साथ
नरेश मेहता (अध्यक्ष)
हौंडा मोटरसायकल और स्कूटर 2एफ कामगार समूह