नर्मदा घाटी के विस्थापित शरणार्थियों से भी बदतर जीवन जीने को मजबूर : झा आयोग की रिपोर्ट
इन तस्वीरों को ध्यान से देखिए, यह तस्वीर मध्य प्रदेश के नर्मदा घाटी में सरदार सरोवर बांध से विस्थापित लोगों को बसाने के लिए बनाये गये पुनर्वास केन्द्रों की है। इस तरह के 88 पुनर्वास केंद्र बनाये गए है जहाँ पर रहने के लिए जो घर बनाए गए थे वे गिरने लगे है , न ही वहां पर पानी, बिजली इत्यादि की व्यवस्था की गई है। शरणार्थियों से भी बदतर हालत में रह रहे इन किसानों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के इंतजाम के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता है। पुनर्वास स्थलों पर बहुत थोड़े प्रभावित परिवार गए है। इसलिए इन पुनर्वास स्थलों पर किया गया खर्च ‘फिजूल ‘ साबित हुआ है; नर्मदा बचाओ आंदोलन की विज्ञप्ति;
न्या. झा आयोग की रिपोर्ट से यह बात सामने आयी है कि सरदार सरोवर विस्थापितों का (पुनर्वास स्थलों पर) निर्माण कार्य बहुत ही खराब दर्जे का और बिना नियोजन किया गया है। पुनर्वास स्थलों का चयन करने के पहले, जहां खेती लायक काली कपास की मिट्टी की जमीन का परिवर्तन आबादी स्थलों में कर दिया है, साथ ही भौगलिक नक्शा भी नहीं बनाया गया है। काली कपास की मिट्टी वाली जमीन पर निर्माण कार्य करने के पहले मिट्टी परीक्षण के लिए प्रयोगशाला स्थापना न करने की नीति गलत थी। एक सरीखे समान नक़्शे तथा एक ही डिजाइन, सभी बिल्डिंगों के लिए बनाकर निर्माण कार्य किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने पुनर्वास स्थलों पर चल रहे निर्माण कार्य की जाँच किए बिना ही मंजूरी देते गए।
(म.प्र.) शासन ने 40 इंजिनीयरों को कम दर्जे के निर्माण कार्य के लिए दोषी ठहराया व कार्यवाही भी की, लेकिन निर्माण कार्य कम दर्जे का पाने के बाद भी कोई अपेक्षित सुधार करने की कोशिश नहीं की। बहुतांश स्थानों पर निर्माण कार्य पर किया गया खर्च व्यर्थ गया है क्योकि पुनर्वास स्थलों पर या तो कोई प्रभावित स्थलांतरित नहीं हुए है या बहुत थोड़े प्रभावित परिवार स्थलांतरित हुए है। इसलिए इन (पुनर्वास) स्थलों पर किया गया खर्च ‘‘ फिजूल ‘‘ साबित हुआ है।
आयोग की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि बड़े पैमाने पर ट्रांसफार्मर घोटाला हुआ है, साथ ही मुलभूत सुविधाएं पानी की उपलब्धता ही नहीं साथ ही जिन पुनर्वास स्थल पर पानी की व्यवस्था की गई है वह पीने योग्य ही नहीं है। जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं पायी गयी।
विवरण कितने बनेगे थे कितने बने
स्कूल 307 109
पंचायत भवन 111 67
बीज गोदान भवन 111 64
चबूतरे 570 311
हलाव 570 145
स्वास्थ्य केन्द्र – 58
दो जिलो के 88 पुनर्वास स्थल में अब तक हुई पूरी खर्च ही फिजूल की हुई है ऐसा आयोग का निष्कर्ष है।
आंदोलन यह मांग करता है कि इंजिनियर्स, अधिकारियों व ठेकेदारों पर तत्काल कार्यवाही की जाए तथा अधूरे कार्य तत्काल पूरे किया जाए। पुनर्वास स्थल रहने वाले योग्य नहीं है, इसलिए विस्थापित मूलगांव में रह रहे है।