मुलताई गोलीकांड के 15 साल पुरे : किसान लाचार, इंसाफ का इंतजार
मध्य प्रदेश के मुलताई में गुजरी 12 जनवरी को उसी जिला कोर्ट के सामने जिसमें 19 अक्टूबर 2012 को डा0 सुनीलम् और उनके साथियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, देश भर के जन आंदोलनों के साथी, शिक्षाविद, अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और अन्य लोगों ने किसान संघर्ष समिति के आंदोलन को समर्थन देने मुलताई पहुचें। पेश है किसान संघर्ष समिति की यह विज्ञप्ति;
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के मुलताई तहसील के परमंडल गांव के किसानों ने टंटी चौधरी के नेतृत्व में 12 दिसंबर, 1997 को फसल खराब होने के कारण मुआवजे की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा था. 18 दिसंबर को फिर ज्ञापन देकर सात दिन में कार्रवाई न होने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी थी. 25 दिसंबर को परमंडल के किसानों ने मुलताई तहसील प्रांगण में किसानों की बैठक बुलाई, जिसमें किसान संघर्ष समिति का गठन किया गया एवं वहीं पर हजारों किसानों ने अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की. सात जनवरी को धरना स्थल पर यह निर्णय लिया गया कि नौ जनवरी को मुलताई से बैतूल तक रैली निकाली जाएगी. 11 जनवरी को चक्का जाम किया जाएगा एवं 12 जनवरी को मुलताई तहसील का घेराव किया जाएगा. आठ जनवरी 1998 की रात को पुलिस ने धरना दे रहे किसानों को खदेड़ दिया, इसके बावजूद अगले दिन 25 हजार से ज्यादा किसानों ने रैली निकाली. 11 जनवरी को मुलताई तहसील के 450 गांवों में चक्का जाम हुआ. 12 जनवरी को किसान रैली के मुलताई प्रवेश के पहले ही पुलिस ने किसानों पर फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें एक मासूम छात्र सहित 24 लोगों की मौत हो गई.
15 साल बाद पिछली 18 अक्टूबर को फ़ैसला आया और जैसा कि अंदेशा था, डा. सुनीलम समेत तीन लोगों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनायी गयी। डा. सुनीलम पर अब तक 8 बार जानलेवे हमले किये गये है। उनके खिलाफ 133 फर्जी केस दर्ज किए गए, जिनमें से 3 मामलों में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
12 जनवरी 1998 को मुलताई में किसानों के ऊपर हुए गोलीकांड में 24 किसान मारे गए | आज उस घटना के 15 साल हैं | सवाल किसानों के जीविका के संघर्ष को लेकर था और शासन के द्वारा उसपर हमला किया गया,जिसमे लोगों की मौत हुई | आज भी वह सवाल मौजूद हैं, देश में किसान और मजदूर वर्ग आज भी जीविका की लड़ाई लड़ रहे हैं और नवउदारवाद के माहौल में नई पूंजीवादी ताकतें राज्य के साथ मिलकर और तेज हमला कर रही है, उन्हें जेल में डाला जा रहा है, गोली चलाई जा रही है और सामाजिक कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है | डॉ सुनीलम, शेषराव सूर्यवंशी परमंडल, प्रह्लाद अग्रवाल को भी इसी प्रक्रिया के तहत मुलताई गोलीकांड मामले में उम्रकैद की सजा हुई है |
आज किसान संघर्ष समिति का 15 वां राष्ट्रीय समेलन है. सुबह से ही परमंडल गांव में देश के जनांदलनों के समाजकर्मियों ने शहीद किसानों के स्मृति स्तंभ पर श्रद्धासुमन चढ़ाये जा रहे है। इसके बाद मुलताई में शहीद स्तंभ पर भी श्रद्धांजलि दी गई और शहीदों के सपनो को साकार करने का आगाज़ दिया। शहीद स्तंभ से रैली के रुप में हजारों की संख्या में लोग मुलताई मैदान में पहुंचे। सर्व प्रथम शहिदों के परिजनों को सम्मानित किया गया। किसान संघर्ष समिति के नेता जगदीश दोडके वयोवृद्ध नेता टंटी चौधरी ने देश भर से आये सभी का मुलताई की धरती पर स्वागत किया। आन्दोलन के नेता अनिरूद्ध गुरूजी ने मुलताई के किसान घोषणा पत्र पढ़ा जिहस का उपस्थित समुदाय ने समर्थन किया।
विभिन्न साथियों ने अपने वक्तव्यों में ताकत से कहा की आज लोकतंत्र में इस स्थिति के लिए सरकार जिम्मेदार है क्योंकि जनतांत्रिक आंदोलनों पर लगातार हमले हो रहे हैं |संवाद की मंशा किसी भी सरकार की नहीं रही है और इस कारण कहीं न कहीं समाज में हिंसा का माहौल बढ़ रहा है | आज जरूरत इस बात की है की समाज और सरकार के बीच की दूरी घटे, संवाद और शांति का माहौल बने | सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले बंद हो, झूठे मुक़दमे वापस लिए जाएँ और बेगुनाह लोगों को जेल से रिहा किया जाए, तभी लोगों का विश्वास जनतांत्रिक प्रक्रियाओं में आगे बढ़ेगा और एक भयमुक्त वातावरण तैयार होगा जिसमे आम जनता के सपने और जीविका के सवाल और संघर्षों का हल निकल सके.
पूर्व जनरल वी.के. सिंह ने आन्दोलन को अपना समर्थन देते हुए कहा मैं समझ नहीं पाया हूं कि निहत्थे लोगों पर खुले मैदान में गोली कैसी चली होगी। जब तक हम शहीदों को याद रखेंगे तब तक हम संघर्श को जारी रख सकेंगे। आज जल-जंगल-खनिज का शोशण हो रहा है, किसानों का शोशण हो रहा है। मैं मानता हूं कि माओवाद का कारण सामाजिक असामनता है मगर जिस दिन हम इकट्ठे हो जायेंगे उस दिन किसानों की बात सुनी जायेगी।
हाल ही में जेल से छूट कर आयीं झारखंड की आदिवासी महिला नेत्री दयामनी बारला ने घोशणा कि कि झारखण्ड की सरकार आज कारापोरेट के हांथो झारखंड की एक-एक पौधे व एक-एक इंच जमीन देने के लिए समझौता किया है। लेकिन झारखंड की जनता ने भी कसम खा ली है कि एक इंच भी जमीन कारपोरेट जगत को नहीं दिया जायेगा।
शहीदों की विधवाओं का कहना था की हमे न्याय तभी मिलेगा जब शहीदों के हत्यारों को सजा मिलेगी।
म.प्र. के जन संघर्श मोर्चा की माधुरी बहन ने कहा कि हम आजाद नहीं हैं हमें आजादी की लड़ाई लड़नी होगी। आज देश की जीविका के साधन जल-जंगल-जमीन को पूंजीपतियों के हाथों कौड़ियों के मोल दिया जा रहा है। जीविका के साधन को बचाने वाले को गोलियों से उड़ाया जा रहा है, जेलों के अन्दर झूठे केस में डाला जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने देश के किसान संगठनों की एकता की जरूरत की बात कही।
समजावदी जन परिशद के सुनील ने कहा कि आर्थिक नीतियों का ही परिणाम है कि देश में सब जगह किसानों का दमन जारी है और सुनीलम जैसे नेताओं को झूठे केसों में जेलों में डाल दिया जाता है।
नर्मदा बचाओं आंदोलनो की नेत्री सुश्री मेधापाटकर ने कहा कि हमें सभी शहिदों की शहादत को साथ लेकर आगे बढ़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। 24 किसानों की हत्यारों की आज तक कोई सजा नहीं हुई और निर्दोश जेल में हैं।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश गुहाटी हाई कोर्ट के बी.डी. ज्ञानी देश में भ्रश्टाचार बहुत बड़ी समस्या है। उन्होने एक कहानी के माध्यम से बताया की पूरी व्यवस्था में ही दोश आ गया है।
सभा को जन आन्दोलनों के राश्ट्र्ीय समन्वय के साथी प्रफुल सामंतरा, मंजू मोहन, विनोद सिंह, देवराम भाई, इरफान पठान, कमायनी, अनिल चौधरी, विमल भाई, जम्मू काश्मिर के पूर्व सांसद अब्दूल रहमान, संतोश भारतीय पूर्व सांसद व संपादक चौथी दुनिया, विजय प्रताप आदि ने सभा को सम्बेधित किया। कोलकता से आये रिता चक्रवर्ती ने शहिदों को श्रद्धांजलि गाने गाये।
सभा का समापन अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री बी.डी. शर्मा ने कहा की आज अभूतपूर्व दिन है। जब देश की सरकार के सामने जनता ताकत से खड़ी है। उन्होने संघर्श को आगे ले जाने व जल-जंगल-जमीन पर जनता के अधिकार, भू-अधिकार और राज्य-देश की किसानो विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्श का संकल्प दिलाया।
किसान संघर्श समिति के वयोवृद्ध नेता टंटी चौधरी ने देश भर से आये सभी से संघर्श को तेज करने के आगाज के साथ सभा का समापन किया।