मुलताई गोलीकांड : किसान लाचार, इंसाफ का इंतजार, 'किसान न्याय यात्रा' का पाँचवाँ दिन
किसान संघर्ष समिति द्वारा हर साल 12 जनवरी को मुलताई में शहीद किसान स्मृति सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. इस साल 15वीं बरसी पर होने वाले जन संसद में मुलताई गोली कांड में शहीद किसानों के परिवार एवं प्रभावित किसानों को न्याय दिलाने के लिए अभियान के साथ-साथ डॉ. सुनीलम, प्रहलाद एवं शेखू की रिहाई पर भी रणनीति बनाई जायेगी. पेश है किसान न्याय यात्रा के पांचवें दिन की संक्षिप्त रिपोर्ट;
किसान संघर्ष समिति के तत्वाधान में मुलताई न्याय संघर्ष यात्रा आज 29 दिसम्बर को चांदोरा खुर्द, करपा, बरई, बाबरबोह, सोनेगांव, राजेगांव, बामनवाडा और खेड़ली बाजार होते हुए बांगा, कुशबा, कोहपानी, उमरिया, बाडे़गांव, टेमझीरा-ब, हरणाखेडी, खतेडाकला, ऐटी, खर्रा, जौलखेडा, मोही, नगरकोट, पाटाखेड़ा आदि गांवों में पहुंची। यात्रा के दौरान किसानों को 12 जनवरी को मुलताई में होने वाले शहीद किसान स्मृति सम्मेलन में शामिल होने का न्यौता दिया गया। किसानों में डा सुनीलम की गिरपतारी को लेकर जबरदस्त आक्रोश है।
उधर, किसान संघर्ष समिति की उपाध्यक्ष अराधना भार्गव और जिलाध्यक्ष जगदीश दोड़के ने बताया कि 12 जनवरी के कार्यक्रम में पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह शहीद किसानों को श्रदृांजलि देने पहुंचेंगे। जनआंदोलनों का राष्टीय समन्वय की समन्वयक मेधा पाटकर, मैगासेस अवार्ड विजेता संदीप पांडे, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस राजेंद्र सच्चर, स्वामी अग्निवेश, समाजवादी जनपरिषद के उपाध्यक्ष सुनील, एससी,एसटी आयोग के पूर्व आयुक्त डा बीडी शर्मा समेत मध्यप्रदेश और देशभर से विभिन्न राजनैतिक और सामाजिक संगठनों के नेता 12 जनवरी को मुलताई पहुचकर शहीद किसानों को श्रदृांजलि देने पहुंचेंगे।
जगदीश दोडके ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि खाता-खतौनी साल में एक बार पटवारियों के जरिए निशुल्क घर-घर पहुंचाई जाएगी। लेकिन, आज तक किसी भी किसान परिवार को घर पर निशुल्क खाता-खतौनी नहीं मिल पाई। किसान यदि तहसील में लेने पहुंचते हैं, तो भी उन्हें बिना पैसा भुगतान किए खतौनी नहीं मिलती। किसानों को खाता खतौनी लेने के लिए कई दिनों तक तहसील के चक्कर काटने पडते हैं। बिजली, पानी की समस्या से किसान परेशान हैं। अघौषित विद्युत कटौती ने जीना मुहाल कर रखा है। किसान 12 जनवरी को चंदा, अनाज आदि बढ़चढ़कर दे रहे हैं। यात्रा में कैलास डोंगरदिये, हरिआम विश्वकर्मा, कृपाल सिंह सिसोदिया आदि शामिल रहे हैं।