पदयात्रा : जनद्रोही क़ानूनों और राज्य दमन के ख़िलाफ़, पोटका से राँची राजभवन
पोटका से आरम्भ रोलाडीह, हाता चौक में जन सभा
गीतिलता- कुदादा वन पर्यावरण द्वारा स्वागत
रात्रि विश्राम- तुरामडीह में एवं जन सभा
03 नवम्बर 2012 :
तुरामडीह से करनडीह सकची में जन सभा
बिस्ठुपुर से ईमली चौक एवं आदित्यपुर में जन सभा
आदित्यपुर से गम्हारिया में जन सभा
04 नवम्बर 2012 :
गम्हरीया से चाण्डिल गोल चक्र में जन सभा
चौका चौक मे रात्रि विश्राम, जन सभा
05 नवम्बर 2012 :
चौका चौक से रांगामठीया में रात्रि विश्राम, जन सभा
06 नवम्बर 2012 :
रांगामठीया से तामाड़ दिउड़ी में रात्रि विश्राम, जन सभा
07 नवम्बर 2012 :
तामाड़ दिउड़ी से प्रास्थान और बुन्डू में रात्रि विश्राम, जन सभा
08 नवम्बर 2012 :
बुन्डू से प्रस्थान और ताईमारा घाटी में रात्रि विश्राम, जन सभा
09 नवम्बर 2012 :
ताईमारा घाटी से सिद्रोल, नामकुम में रात्रि विश्राम, जन सभा
10 नवम्बर 2012 :
राँची में राजभवन का घेराव
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें
कुमार चंद मार्डी (09934165214)
वहां से 10 नवम्बर 2012 को 10-12 हजार आदिवासी अपने हक अधिकार के लिय राजभवन का घेराव करने के लिए कूच करेगा। आज पदयात्रा का चोथा दिन है ,पेश है कोलहान से मुकेश बिरुआ की यह रिपोर्ट;
वहां से 10 नवम्बर 2012 को 10-12 हजार लोगों का समूह राजभवन घेराव के लिए कूच करेगा। झारखण्ड के कोने-कोने एवं रांची के चारों दिशाओं से गाड़ियों में पांचवी अनुसूची क्षेत्र से आदिवासी मूलनिवासी उस दिन इस घेराव कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुँच रहे हैं। यह संख्या लाखों में हो ऐसा हम उम्मीद करते हैं ताकि पांचवी अनुसूची का मकसद हम पूरा कर सकें। हमने देश को देखा, बिहार देखा, और अब झारखण्ड देख रहे हैं क्या मिला? कांग्रेस देखा, भाजपा देखा, RJD देखा, क्या मिला। 40 % प्राकृतिक संपदा का मालिक इस पांचवी अनुसूची क्षेत्र का आदिवासी कहाँ है? iron ore के लूट में सरकार को 27 रूपए प्रति टन की royalty मिलती है, खदान से कच्चा माल निकालने आदि में 300 रूपए प्रति टन का खर्चा आता है। उसी लोहे को कंपनियां अंतराष्ट्रीय बाज़ार में 6000 रूपए प्रति टन के हिसाब से बेचती है। क्या यह सीधे लूट नहीं है? फिर यहाँ के आदिवासी की इस हालात के लिए जिम्मेदार कौन है? यह इन पूंजीपतियों, नौकरशाहों, और नेताओं के द्वारा, संविधानिक भ्रष्टाचार के कारण हो रहा है। इसे बदलना होगा। व्यवस्था परिवर्तन इसका हल है। इतने सालों में हमने सिर्फ याचना किया, लेकिन क्या मिला? इसीलिए अब revolt की बारी है। अब याचना नहीं रण होगा !! सामान्य कानून नहीं पांचवी अनुसूची का पालन करना होगा।