‘ख़ुशहाल छत्तीसगढ़’ की हकीकत: 12 वें राज्योत्सव पर संघर्ष संवाद की पहल
1 नवंबर 2012 से नया रायपुर उर्फ़ न्यू रायपुर में एक हफ़्ते का मेला लगेगा और जो इतना भव्य और भड़कीला होगा कि आम छत्तिसगढ़िया चकरा-चौंधिया जाये। उसके लिए तो यह मेला कोई हसीन और दिलकश सपना होगा गोया वह छत्तीसगढ़ में नहीं, किसी मायावी दुनिया की सैर पर निकला हो।
यह छत्तीसगढ़ की 12वीं सालगिरह का सरकारी जश्न होगा- विकास की और ऊंची उड़ान भरने का अत्याधुनिक रनवे होगा या कहें कि परदेसी धुन पर किसी छत्तिसगढ़िया नाच की तरह होगा। राज्योत्सव का छत्तीसगढ़ सरकारी झूठ और छलावे से गढ़ा विकास का झंडा गाड़ता ‘ख़ुशहाल छत्तीसगढ़’ होगा। यह नक़ली छत्तीसगढ़ होगा- दुख, अभाव, अन्याय, विस्थापन, लाचारी, सदमों से सराबोर, और असंतोष और ग़ुस्से से धधकते छत्तीसगढ़ की असली तस्वीर को मुंह चिढ़ाता हुआ।
बहरहाल, करोडों रूपये स्वाहा कर आयोजित किया जा रहा राज्योत्सव सबसे पहले इसलिए है कि निवेशकों को रिझाना है- कि पधारिये हुज़ूर, ख़िदमत के लिए पूरी सरकार हाज़िर है।
इस दृश्य में संघर्ष संवाद ने भी हस्तक्षेप करने का फ़ैसला किया है। इसके तहत राज्योत्सव की पूर्व संध्या (31 अक्टूबर) से आयोजन के समापन (6 नवंबर) तक यानी पूरे सात दिन हम नियमित रूप से छत्तीसगढ़ पर फ़ोकस विशेष सामग्री प्रकाशित करेंगे।
निवेदन है कि इसमें आप भी हाथ बंटायें। किसी घटना या मुद्दे पर क़लम चलाने को तैयार रहें। फ़ोटो और वीडियो भी भेज सकें तो और अच्छा होगा।
राज्योत्सव के बहाने किये जा रहे इस हस्तक्षेप का इरादा विकास बनाम विकास की बहस को तेज़ करना और छत्तीसगढ़ में जारी जन संघर्षों की साझेदारी को बल प्रदान करना है।