भूमि अधिकार आंदोलन : छत्तीसगढ़ में किसानों पर जारी सरकारी दमन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव
नई दिल्ली/ छत्तीसगढ़ में किसान आन्दोलन से घबराई सरकार ने बौखलाहट में तमाम जिलों से रायपुर आ रहे किसानों पर दमन शुरू किया है. यह किसान आन्दोलन जो मूलत: राज्य के मुख्यमंत्री रमण सिंह के निर्वाचन क्षेत्र राजनांदगांव व उनके मूल निवास जिले कवर्धा से शुरू हुआ था अब छत्तीसगढ़ के हर जिले में फैल चुका है. किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं और राज्य सरकार उनकी मांगें सुनने की जगह उन्हें जेल का रास्ता दिखा रही है. छत्तीसगढ़ में आज घोषित रूप से आपातकाल थोप दिया गया है. भूमि अधिकार आन्दोलन राज्य सरकार द्वारा शुरू की गयी दमनात्मक कार्यवाही की भर्त्सना करता है और सरकार को यह चेतावनी भी देता है कि उसकी इन कार्यवाहियों से किसानों के इस आन्दोलन को कुचला नहीं जा सकता बल्कि इसके तेवर और उग्र होंगे.
उल्लेखनीय है कि फसल कर्ज माफी, पिछले तीनों साल के धान बोनस, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के अनुसार समर्थन मूल्य को लागत मूल्य का डेढ़ गुना करने एवं शेष बचे गांव को खरीफ 2015 का फसल बीमा भुगतान करने की मुख्य मांगो को लेकर किसान 19 सितंबर से रायपुर कूच कर रहे थे. इस प्रदर्शन को लेकर पहले राज्य सरकार के संबंधित विभागों ने सहयोगात्मक रवैया दिखाया लेकिन जिस तरह से भारी मात्र में गाँव गाँव से किसानों ने रायपुर के लिए निकलना शुरू किया, राज्य सरकार के हाथ –पाँव फूल गए और फिर शुरुआत में मुख्य रूप से दो जिलों कवर्धा व राजनांदगांव में धारा 144 थोप दी गयी व गाँव –गाँव में मुनादी करवाई गयी कि पूरे इलाके में धारा 144 लागू है अत: अपने अपने घरों में रहें और बाहर न निकलें. जो किसान सड़क पर आ चुके थे उन्हें बिना पूर्व सूचना के पुलिस ने गिरफ्त में ले लिया और जेलों में भेज दिया गया. आन्दोलन के मुख्य नेताओं को उनके घरों से उठा लिया गया. लगभग 200 की संख्या से ज्यादा किसान व किसान नेता अभी छत्तीसगढ़ की विभिन्न जेलों में हैं. उनकी रिहाई कब होगी किसी को कुछ पता नहीं. आंदोलन के साथियों से जो ख़बरें मिली हैं उनके अनुसार इस आन्दोलन को कुचलने और इसके दमन की कार्यवाहियों का पूरा मामला खुद मुख्यमंत्री रमण सिंह देख रहे हैं. पुलिस प्रशासन भी केवल रमण सिंह के हुक्म की तामिल कर रहे हैं, उन्हें भी नहीं पता है कि क्या करना है.
आज हालात यह है कि रायपुर को चारों दिशाओं से जोड़ने वाले सभी मार्गों पर पुलिस का पहरा है. आज फिर से आन्दोलन के सभी प्रभावी नेताओं जिनमें श्री आनद मिश्रा, अरविन्द नेताम, आलोक शुक्ला, कामरेड संजय पराते, लाखन सिंह, राजिम केत्वास, संकेत ठाकुर, शत्रुघ्न सिंह, सौरभ मिश्रा, जनक लाल ठाकुर, रमाकांत बंजारे, चंदू साहू, छन्नी साहू, सुदेश टेकाम आदि को अलग अलग जेलों में रखा गया है.
भूमि अधिकार आन्दोलन तत्काल इन समस्त किसान नेताओं व किसान साथियों को रिहा करने की मांग करता है और किसानों की सभी मांगों को पूरा करने की मांग करता है. इस तरह से पूरे छत्तीसगढ़ में आपातकाल की स्थिति बनाये जाने पर राज्य सरकार की किसानों के प्रति असंवेदनशीलता व सत्ता में चूर घमंड की भर्त्सना करता है. भूमि अधिकार आन्दोलन ‘किसान संकल्प यात्रा’ का पुरजोर समर्थन करता है और किसान महासंघ व छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के साथ अपनी सॉलिडेरिटी प्रेषित करता है.
किसानों की मांगें पूरी करो
गिरफ्तार किये गए सभी आन्दोलनकारी साथियों को तत्काल रिहा करो
हन्नन मुल्ला, मेधा पाटकर, डॉ सुनीलम, कॉमरेड सत्यवान, प्रेम सिंह, अशोक चौधरी, रोमा, राघवेन्द्र, अनिल चौधरी
(भूमि अधिकार आन्दोलन की ओर से)