उत्तर प्रदेश का गाजीपुर जिला जहां एक तरफ गंगा एक्सप्रेस वे विरोधी आंदोलन का केन्द्र बना हुआ है वहीं गंगा की कटान से परेशान प्रभावित गांवों के निवासी अपनी जमीन तथा बस्तियों की रक्षा के लिए न केवल संघर्ष के माध्यम से सरकारी उदासीनता समाप्त कराने का प्रयास कर रहे है बल्कि कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा, एकता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टियों के राष्ट्रीय, प्रांतीय तथा स्थानीय नेताओं को अपने समर्थन में लाने में सफल रहे हैं।
गांव बचाओ आंदोलन के संयोजक प्रेमनाथ गुप्ता की पहल पर स्थानीय एस.डी.एम. मुहम्मदाबाद के कार्यालय के समक्ष 13 सितंबर 2011 से धरने की शुरूआत की गयी जो 15.09.2011 से क्रमिक अनशन में बदल गया जो लगातार 1 अक्टूबर तक चला और 2 अक्टूबर से प्रेमनाथ गुप्ता, मनोज राय, काशीनाथ पटेल, डा. युगेश गुप्ता व मुन्नाराम ने आमरण अनशन की शुरूआत की, जो 6 अक्टूबर 2011 तक चला और इस दिन प्रशासन की इस घोषणा के बाद आमरण अनशन समाप्त हुआ कि 35 लाख रुपया तुरंत जारी किया जायेगा तथा 60 लाख रुपया कटान से बचाव के लिए राज्य सरकार से दिलवाया जायेगा।
इस आंदोलन में कृषि भूमि बचाओ मोर्चा, सिंचाई नलकूप वेलफेयर संगठन तथा स्थानीय सामाजिक संगठनों ने आगे बढ़कर भागेदारी की।
आंदोलनकारियों का आरोप है कि कटान की इस समस्या को वर्ष 1962 में स्थानीय सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी ने संसद में उठाया तथा पं. नेहरू ने इस संदर्भ में पटेल आयोग का गठन किया था। लेकिन इस आयोग की स्थापना के 50 साल बाद भी इस समस्या पर कोई ठोस पहल नहीं हो पायी है। -प्रेमनाथ गुप्ता