भूमि अर्जन के प्रस्तावित विधेयक के खिलाफ लामबंदी
प्रस्तावित भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन विधेयक 2011 के खिलाफ 11 जन संगठनों ने 17 नवंबर 2011 को रांची में राजभवन का घेराव किया। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने राजभवन के मुख्यद्वार को जाम किया और प्रस्तावित विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह विधेयक पूंजीपतियों, उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इसमें आदिवासी, मूलवासी और विस्थापितों के लिए कुछ नहीं है।
बाद में विभिन्न संगठनों के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। मौके पर आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की संयोजक दयामनी बारला ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक बड़े उद्योगपतियों के लिए है। इसमें किसानों, कृषि व यहां के लोगों के लिए कुछ नहीं। इसमें पहले से विस्थापित लोगों के लिए भी प्रावधान नहीं है। इस कानून के लागू होने से झारखंड में जमीन की लूट और तेज होगी। रतन तिर्की ने कहा कि 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून लागू होने के बाद भूमि की लूट तेज हुई थी और प्रस्तावित विधेयक लागू होने से झारखंड में जमीन बचेगी ही नहीं। सभा को आलोका, हरीश सिंह, कुमार चंद्र मार्डी, झरी मुंडा, राज कुमार गोराई आदि ने संबोधित किया। सौंपे गये मांग पत्र में मांग की गयी हैः-
1. विस्थापित करने वाले सभी तरह के भूमि अर्जन-अधिग्रहण को रेाका जाए।
2. औद्योगीकरण को ही विकास का पैमाना नहीं माना जाए।
3. कृषि और जंगल आधारित विकास को प्राथमिकता दिया जाए।
4. कृषि और प्रकृति आधारित विकास के लिए नदियों-नालों, आहर-पोखर, तालाबों का पानी लिफ्ट ऐरिगेशन के तहत पाईप बिछाकर किसानों के खेतों में पहुंचाया जाए।
5. प्राइवेट भागीदारी की सभी परियेाजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण पर रोक लगायी जाए।
6. पूर्व में हुए विस्थापितों के लिए एक आयोग का गठन हो, सरप्लस जमीन रैयतों को वापस की जाए।
7. पूर्व में हुए विस्थापितों की वास्तविक स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी किया जाए, जिसमें इस बात की जानकारी दी जाए- (क) कितने विस्थापितों को नौकरी दी गयी? (ख) मुआवजा की क्या स्थिति है? (ग) पुनर्वास की क्या स्थिति है? (घ) वर्तमान में इनकी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति क्या है?
8. एस पी टी एक्ट और सी एन टी एक्ट कानून में हो रहे छेड़छाड़ जिसके कारण आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है, इसे हर हाल में रोका जाए।
9. सी एन टी एक्ट की मूल धारा 46 का कड़ाई से पालन किया जाए।
10. पांचवीं अनुसूची क्षेत्र को मिले विशेष अधिकारों का पालन किया जाए।
11. पूरे झारखंड में कंपनियों को जमीन खरीदने की खुली छूट दी गयी है- कंपनी के दलाल, माफिया जमीन मालिकों को आतंक में रखकर छल-बल से जमीन हड़प रहे हैं, और कंपनियेां को बेच रहे हैं- इसे रोका जाए।
12. सी एन टी और एस पी टी एक्ट का उल्लंघन कर ब्लॉक, अंचल कार्यालय, जिला के रजिस्ट्री आफिस के अधिकारी एवं प्रशासन भी कंपनियों और जमीन माफियाओं को रैयतों से छल-बल से जमीन छीनने में सहयेाग कर रहे हैं- इसे रोका जाए।
इस संघर्ष का आयोजन निम्न जन संघर्षों तथा संगठनों ने किया तथा मांग पत्र पर हस्ताक्षर किये-
1.आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, खूंटी, गुमला
2. बोकारो जिला विस्थापित साझा मंच
3. बेरमो अनुमंडल विस्थापित प्रभावित संघर्ष मोर्चा
4. भूमि रक्षा वाहिनी किसान मोर्चा, रोलाडीह पोटका, पूर्वी सिंहभूम
5.भूमि रक्षा संघर्ष समिति, पोटका, पूर्वी सिंहभूम
6. खूंटी कटी राईत भ्ूामि सुरक्षा संघर्ष समिति, पोटका
7. भूमि सुरक्षा समिति, कालिकापुर, घटी डुबा, आसानबन
8.डैम प्रभावित संघर्ष समिति, कर्रा, खूंटी
9. जमीन बचाओ संघर्ष समिति, पतरातू
10.गोंडवाणा आदिवासी विकास समिति, सिमडेगा
11. इंसाफ (झारखंड इकाई)।
-दयामनी बारला