सरकार, माफिया, कंपनी और ठेकेदारों का गठजोड़: पोस्को विरोधी आंदोलनकारियों पर कातिलाना हमला: अभय साहु गिरफ़्तार
14 दिसंबर, 2011 को दोपहर के लगभग 1.30 बजे 500 से ज्यादा हथियारबंद गुंडे माफिया डान बापी के नेतृत्व में पारादीप इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कौंसिल के बैनर तले स्थानीय प्रशासन तथा पुलिस की छत्रछाया में जबरदस्ती, शांतिपूर्वक चल रहे धरना स्थल में घुस गये। घातक हथियारों तथा बमों से लैश इन गुंडों ने धरने में शामिल पोस्को संयंत्र का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों पर हमला बोल दिया। इस हमले में पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति के कम से कम 8 स्थानीय सदस्य घायल हो गये तथा एक साथी गंभीर रूप से घायल हो गया।
14 दिसंबर 2011 की सुबह से ही तकरीबन 2000 से ज्यादा सथानीय गांव वाले पोस्को संयंत्र के लिए समुद्र किनारे बन रही सड़क का विरोध करने के लिए शांतिपूर्वक धरने पर बैठे थे, इन भाड़े के गुंडों ने इन पर बमों तथा हथियारों से हमला किया। इस हमले में स्थानीय गांव वाले तो घायल हुए ही, साथ ही एक गुंडा भी मारा गया। इस हमले के बाद स्थानीय लोग सदमे में हैं। गुंडों द्वारा इस शांतिपूर्ण धरने पर हमले को पोस्को प्रतिरोध संग्राम समिति ने कायराना तथा अलोकतांत्रिक करार दिया है तथा अपने आंदोलन व शांतिपूर्ण विरोध को और मजबूती से चलाने का दृढ़ संकल्प एकबार फिर से दोहराया है।
02 दिसंबर, 2011 को पोस्को कंपनी के अधिकारियों ने प्रस्तावित पोस्को संयंत्र की जगह पर निर्माण कार्यों में तेजी लाने के लिए तथा पेड़ काटने के काम को जल्दी से निपटाने के लिए नुआगांव पंचायत में एक कार्यालय खोलने का निर्णय लिया। पोस्को कंपनी का एकमात्र कार्यालय कुजंग में है जो कि संयंत्र के प्रस्तावित स्थल से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस बारे में कंपनी के अधिकारी का कहना है कि क्योंकि संयंत्र के निर्माण कार्यों तथा मुआवजे के वितरण की समुचित तरीके से निगरानी नहीं हो पा रही थी इसलिए नुआगांव कार्यालय खुलने से निर्माण कार्यों में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
इस बीच 25 नवंबर 2011 को एकबार फिर से नुआगांव के निवासियों ने कंपनी द्वारा 30 नवयुवकों को सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी देने की पेशकश ठुकराते हुए कंपनी द्वारा दिये गये जूते तथा वर्दियां लौटा दीं। गांववालों ने कंपनी द्वारा कार्यालय खोलने का भी विरोध किया तथा अपनी मांगों को पूरा करने की मांग की।
इस बीच पोस्को विरोधी आंदोलन के नेता श्री अभय साहू की गिरफ्तारी से प्रस्तावित संयंत्र स्थल पर सन्नाटा छा गया है। किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए 2 दिसंबर 2011 को पुलिस बल की चार प्लाटून ने ढिंकिया गांव में फ्लैग मार्च किया। राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय स्तर के कई नेता तथा एक्टिविस्ट इस आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता दिखाने के लिए ढिंकिया पहुंचे। पोस्को विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने ढिंकिया को जाने वाले सारे रास्ते बंद कर दिये हैं तथा वहां पर बैरिकेट्स लगा दिये हैं।
03 दिसंबर, 2011 को सी.पी.आई., सी.पी.एम., फारवर्ड ब्लाक, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस तथा समाजवादी पार्टी ने ढिंकिया में तटीय सड़क के निर्माण के विरोध में अनिश्चित कालीन संयुक्त धरने की शुरूआत की। पोस्को संयंत्र को किसी और क्षेत्र में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए इन पार्टियों के नेताओं ने कहा कि जब तक सशस्त्र पुलिस की मदद से बन रही इस सड़क का निर्माण कार्य रोक नहीं दिया जाता, उनका यह अनिश्चित कालीन धरना दिन-रात चलता रहेगा। संयुक्त धरने को जायज बताते हुए सी.पी.आई. के नेता एन. नारायण रेड्डी ने कहा कि पोस्को विरोधी आंदोलन के नेता अभय साहू की अनुपस्थिति में वह इस आंदेालन को और तेज करने की जिम्मेदारी लेते हैं तथा वह ढिंकिया के स्थानीय निवासियों के संघर्ष में कदम-दर-कदम साथ हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सशस्त्र पुलिस द्वारा फ्लैग मार्च मानवाधिकारों के उल्लंघन के समान है और यह मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की औपनिवेशिक सोच को दर्शाता है। इस अनिश्चित कालीन धरने में रामकृष्ण पांडा, सिशिर मोहपात्रा, सीपीएम की नेता पुस्पा पांडा, फारवर्ड ब्लाक के नेता उमेश बारिक जैसे वरिष्ठ वामपंथी नेताओं ने हिस्सा लिया। इस मौके पर फारवर्ड ब्लाक के नेता उमेश बारिक ने इस धरने में महिलाओं और बच्चों को शामिल करके आंदोलन को और तेज करने का ऐलान किया।