12 गांवों की पंचायतों के किसानों ने जल, जंगल, जमीन तथा आजीविका बचाने के लिए कसी कमर
हिमाचल प्रदेश में एक तरफ जहां बड़े बांध, माइक्रो हाइड्रो पॉवर प्लांट के खिलाफ स्थानीय लोग संघर्षरत हैं तथा भाखड़ा बांध से प्रभावित विस्थापित आज तक पुनर्वास की लड़ाई लड़ रहे हैं वहीं इस बीच हिमाचल प्रदेश में धौलाधार सेंचुरी का मुद्दा गरमा रहा है।
1999 में बैजनाथ की 12 पंचायतों के क्षेत्र को धौलाधार सेंचुरी क्षेत्र में शामिल किया गया था। 2006 तक यह क्षेत्र पालमपुर के अधीन था जबकि 2007 में इस क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ के हवाले किया गया था। सेंचुरी में आने के कारण क्षेत्र की 12 पंचायतों के ग्रामीण अपने हकों से वंचित हो जायेंगे। धौलाधार सेंचुरी क्षेत्र में पहले बीड़, गुनेहड़, चौगान, क्योरी, बड़ा भंगाल, बड़ाग्राम, कोठी कोहड़, द्रमाण, मुलथान, स्वाड़ा, लुआई व पोलिंग पंचायतें शामिल थीं। अब इसमें पांच नई पंचायतों दियोल, फटहार, दरेड़, संसाल व उतराला को शामिल किया गया है और इसके लिए नोटिफिकेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
बैजनाथ तहसील की किसान सभा इकाई धौलाधार सेंचुरी का शुरू से ही विरोध करती आ रही है। किसान सभा इस सेंचुरी के विरोध में लगातार अपना संघर्ष चला रही है तथा समय-समय पर धरना-प्रदर्शन का आयोजन भी करती रही है। इसके बावजूद जब इन 12 गांवों की पंचायतों को इस सेंचुरी से बाहर करने के संबंध में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया तो इससे तंग आकर इन पंचायतों के ग्रामीणों ने अपने हकों के लिए साझी पहल का फैसला किया तथा 6 दिसंबर 2011 को इस सेंचुरी के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट पेटिशन दायर कर दी। किसान सभा के बैनर तले स्थानीय किसान तथा ग्रामीण धौलाधार सेंचुरी के खिलाफ अपने संघर्ष को मजबूती से जारी रखे हुए हैं तथा लगातार विरोध-प्रतिरोध का दौर जारी है। – अक्षय जसरोटिया