संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

भूमि अधिग्रहण स्वीकार्य नहीं : सीमेंट प्लांट विरोधी आंदोलन, नवलगढ़

किसानों ने घेरा तहसील, छात्रों से पुलिस की धक्का-मुक्की
यदि हुआ भूमि अधिग्रहण तो घड़साना जैसे हालात- का. अमराराम
 
मायावती सरकार की हाई-वे परियोजनाओं के लिए, जहां उत्तर प्रदेश के किसानों को उनकी जमीनों से बेदखल किया जा रहा है, वहीं राजस्थान के शेखावाटी इलाके में इन हाई-वेज के लिए खपत होने वाले सीमेंट के लिए किसानों से जमीनें छीनने की तैयारी चल रही है। उत्तर प्रदेश के किसानों के बाद अब यहां के किसानों ने भी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बिगुल बजा दिया है। 

भूमि अधिग्रहण के विरोध में 21 दिसंबर 2010 को बड़ी संख्या में जुटे किसानों ने नवलगढ़ में रैली निकाली। बाद में तहसील के सामने सभा हुई। सर्दी के बावजूद किसान सुबह साढ़े सात बजे से ही रामदेवरा चौक में एकत्रित होने शुरू हो गये थे। बड़ी संख्या में एकत्रित हुए किसान रैली के रूप में सुबह साढ़े ग्यारह बजे रवाना हुए। किसान नारेबाजी करते हुए तहसील के सामने पहुंचे। यहां झुंझुनू-सीकर मार्ग पर सभा हुई।

सभा में अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष व विधायक कामरेड अमराराम ने गहलोत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 114 दिन से किसान कड़ाके की सर्दी में जमीन बचाने के लिए सड़कों पर बैठा है और सरकार आँखें बंद किये हुए है। यदि किसानों की भमि को छीनने का प्रयास किया गया तो घड़साना जैसा आंदोलन छिड़ जाएगा। उन्होंने किसानों को एकजुट होकर लड़ाई करने व ईंट से ईंट बजाने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि तीन सीमेंट फेक्ट्रियां लगाने के चक्कर में किसानों को बर्बाद किया जा रहा है। ऐसी सरकार किस काम की।
विद्याधर गिल ने कहा कि किसानों की जमीन को नहीं बेचने देंगे। जिन किसानों ने भूल से भी जमीन बेच दी है, वह उस पर कब्जा कर लें। सभा को माकपा जिला सचिव फूलचंद बर्बर, फूलचंद डेवा, किसान सभा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य रामचन्द्र कुलहरि, किसान सभा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश झारोड़ा, एसयूसीआई के महादेव सिंह, श्रीराम दूत, अजय चाहर, जिला परिषद सदस्य सतीश गजराज, संजय कटेवा, सुभाष बुगालिया, शशिकांत ,श्रीराम डूडी, पन्ना लाल सैनी, मोहनलाल, महादेवाराम, पूर्णमल आजाद, अंजना कुमारी, सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया। सभा का संचालन एडवोकेट बजरंग सिंह मूण्ड ने किया। संघर्ष समिति के संयोजक कैप्टन दीपसिंह शेखावत ने शांति बनाए रखने के लिए प्रशासन व किसानों का आभार व्यक्त किया।
पुलिस व छात्रों में धक्का-मुक्की
 
सभा शुरू होने से पूर्व एसएफआई व अन्य कार्यकर्ता जब तहसील परिसर में घुसने लगे तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। भीड़ अधिक होने के कारण पुलिस व लोगों के बीच धक्का-मुक्की हो गई। बाद में पुलिस ने तहसील कार्यालय का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया। पुलिस की हाथापाई के कारण छात्र व किसान नीचे भी गिर पड़े। बाद में अन्य किसानों ने आकर पुलिस को रोका। इसके बाद सभा शुरू हुई।
उल्लेखनीय है कि 22 नवम्बर, 2007 को राजस्थान सरकार और तीन बड़ी सीमेंट निर्माता कम्पनियों – ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंडिया लिमिटेड और श्री सीमेंट लिमिटेड के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत इन कम्पनियों को राजस्थान में सीमेंट प्लांट लगाने के लिए सरकार द्वारा कच्चा माल और अन्य समान उपलब्ध कराना है। सीमेंट प्लांट लगाने के लिए झुंझनू जिले के खिरोड़, खोजास, बसावा, कैमरी की ढाणी, तुर्काणी जोहड़ी, मोहनवाड़ी, तारपुरा, देवगांव, गोठड़ा, परसरामपुरा व सीकर के बेरी गांव की जमीन लेना सुनिश्चित किया गया, क्योंकि नवलगढ़ तहसील के इस इलाके में तकरीबन 207.26 मिलियन टन चूने के पत्थर का भंडार है।
हम करीब चार साल से संघर्ष कर रहे हैं। दमन, मुआवजा, फर्जी मुकदमे हमें डिगा नहीं सकते। हमें लगातार धरने पर बैठे हुए 114 दिन हो रहे हैं लेकिन हमारी आवाज न प्रशासन के कानों तक पहुंची है और न ही किसान हितों का दंभ भरने वाले राजनेताओं के कानों में, जबकि राजनेताओं ने विधानसभा के चुनाव के दौरान किसानों के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए लंबे-चौड़े भाषण दिए थे। मगर अब पिछले सैकड़ों दिनों से हम लोग अकेले ही धरने पर बैठे हुए हैं। हमारे बीच में एकमात्र भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता दातारामगढ़ के विधायक का. अमराराम जरूर आए हैं। दूसरे राजनेताओं ने साथ देना तो दूर, हमारे किसानों पर राजमार्ग जाम करने का मुकदमा लग जाने पर भी जुबान नहीं खोली।
नवलगढ़ क्षेत्र में तीन बड़ी सीमेंट कम्पनियों के लिए जारी भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही में करीब 19 गांव आएंगे और करीब 50 हजार लोगों से अधिक किसान तथा लाखों जानवर प्रभावित होंगे। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री सीमेंट कम्पनी के लिए 740.21 हैक्टेयर (6662 बीघा), अल्ट्राटेक (ग्रासिम) के लिए 1073.08 हैक्टेयर (96571 बीघा) तथा आईसीएल के लिए 670.24 हैक्टेयर (6032 बीघा) भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इन तीनों कम्पनियों के लिए करीब साढ़े 22 हजार बीघा भूमि का अधिग्रहण किया जाना प्रस्तावित है।
श्री सीमेंट कम्पनी गोठड़ा, देवगांव, चोढ़ाणी व खेरावा की ढाणी की जमीन अधिग्रहण करना चाह रही है। इनमें से प्लांट एरिया के लिए गोठड़ा गांव की 143 हैक्टेयर भूमि का अवार्ड भी पारित हो चुका है। अवार्ड के रूप में 27 करोड़ 25 लाख रुपये पारित हुए हैं। हालांकि जब रीकॉ के अधिकारी मुआवजा के चेक वितरण करने आये तो अधिकांश किसानों ने मुआवजा के चेक लेने से मना कर दिया।
अल्ट्राटेक सीमेंट कम्पनी तुर्काणी जोहड़ी, रिवरोड़, मोहनवाड़ी, बसावा तथा सीकर जिले के बेरी व कोलीडा की जमीन का अधिग्रहण करना चाह रही है। आईसीएल कम्पनी खोजावास, बसावा, देवगांव व भोजनगर की जमीन पर नजर जमाए हुए हैं।
– श्रीचंद डूडी, भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति, नवलगढ (राजस्थान)
राज्य की जनविरोधी नीतियों के खि़लाफः साझी पहल
 
राजस्थान की राजधानी जयपुर में अमर शहीद भगतसिहं के जन्म दिन पर 26 सितम्बर को राज्य स्तरीय सेमिनार आयोजित कर देश व राज्य में जल-जंगल-ज़मीन को बचाने के लिए चल रहे जन आन्दोलन को ऊर्जा देने का हमारा साझा प्रयास सफल रहा। इस सेमिनार का मुख्य विषय वर्तमान चुनौतियां और भगत सिंह पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुऐ स्पष्ट शब्दों में कहा कि आज देश में राष्ट्रीय-बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के द्धारा जारी लूट के सरेआम पक्ष में खड़े होकर भारतीय शासक वर्ग ने जन आन्दोलन का तीव्र दमन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री व गृहमंत्री अमेरिकी साम्राज्यवाद व बहुराष्ट्रीय कम्पनी के ऐजेन्ट के रूप में काम कर रहें है। विकास के नाम पर भूमि अधिग्रहण करके गरीब-किसान, आदिवासियों को उजाड़कर अपने पूंजीपति आकाओं की माल से झोली भर रहें हैं। ऐसी स्थिति में देश व राजस्थान में चल रहें विभिन्न राष्ट्र के जल-जंगल व खनिज सम्पदा को बचाने वाले जन आन्दोलनों के साथ मिलकर व्यापक स्तर पर संघर्ष करना समय की फौरी  आवश्यकता है क्योंकि सभी सरकारों का चरित्र पूर्ण रूप से जन विरोधी हो गया हैं।
इस सेमीनार में जाने-माने बुद्विजीवी, स्वतन्त्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता और सीधे जनसंघर्षो से जुड़े हुए  करीब 250 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सेमीनार के दूसरे दिन भावी रणनीति पर विचार करते हुए प्रमुख निर्णय लिये गये।
(1) सात सदस्सीय कमेटी का गठन किया गया।
(2) अमेरिका के राष्ट्रपति का विरोध तथा 27 फरवरी को (चन्द्रशेखर आज़ाद के शहादत दिवस) से 23 मार्च (भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव के शहादत दिवस) तक विभिन्न सभाऐं तथा आखिर में रैली व धरना।
दिनांक 3 अक्टूबर 2010 को उपरोक्त सात सदस्यीय संचालन कमेटी की मीटिंग बरकत नगर, टोंक फाटक जयपुर में आयोजित की गई जिसमें निम्नलिखित मुददों पर गम्भीरतापूर्वक चर्चा करते हुऐं भावी कार्यक्रम तय किया गया।
(1) केन्द्र व राज्य सरकारों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ देश व राज्य में चल रहें जनआन्दोलनों के साथ एकरूपता ज़ाहिर करना तथा जनसंघर्षांे को एक मंच पर लाने का प्रयास करना। खास कर भूमि अधिग्रहण आन्दोलनों को।
(2) सरकारों की अमेरिकी साम्राज्यवादी नीति का विरोध करना।
(3) साझे संघर्ष व मंच की आवश्यकता क्यों है? इसके लिए एक फोल्डर जारी करना और चल रहें जनसंघर्षो के ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच वितरण करना। उनके नेतृत्वकारी कार्यकर्ताओं से सम्पर्क भी करना।
(4) सांझे संघर्ष हेतु एक ढ़ंाचागत आधार तैयार करना।
– हरकेश बुगालिया, राजस्थान निर्माण मज़दूर संगठन, जयपुर

 

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