संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

राजस्थान : बांगड़-बिरला सीमेंट प्लांट के खिलाफ जारी है सात साल से किसानों का आंदोलन

28 अगस्त 2017 को राजस्थान के नवलगढ़ जिले के नवलगढ़ शहर में भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति ने अपने धरने के सात साल पूरे होने के अवसर पर इलाके में एक बड़ी रैली निकाली जिसका समापन नवलगढ़ तहसील के सामने एक विशाल जनसभा के रूप में किया गया। जनसभा में स्थानीय निवासियों समेत देश के प्रमुख जनांदोलनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।

गौरतलब है कि नवलगढ़ में पिछले सात सालों से सीमेंट प्लांट व खनन के विरोध में आंदोलन चल रहा है। 2007 में नवलगढ़ के 18 गांवों की 72 हजार बीघा जमीन को सीमेंट फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित करने का नोटिस आया था। जमीन को रिको द्वारा अधिग्रहित किया जाना था। इस अधिग्रहण से न केवल इस इलाके 7000 परिवार तथा कृषि जो उनकी आजीविका का प्रमुख साधन प्रभावित हो रहा है। भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति के बैनर तले इस इलाके की आम जनता पिछले सात सालों से अपने धरने को जारी रखे हुए है और हर साल इसका एक वर्ष पूरा होने पर एक विशाल रैली तथा जन सभा का आयोजन किया जाता है जिसमें न केवल राजस्थान अपितु देश के विभिन्न हिस्सों से जनसंघर्षों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शिरकत कर अपनी एकजुटता जाहिर करते हैं।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कार्यक्रम की शुरुआत एक रैली से की गई जो कि रामदेवरा गांव से शुरु हुई। महिलाओं बच्चों समेत इस रैली में लगभग 1000 लोगों ने भागीदारी की। पूरे जोश-खरोश के साथ शुरु हुई यह रैली नवलगढ़ तहसील पर आकर एक विशाल जनसभा में परिवर्तित हो गई।

जनसभा की शुरुआत भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति के संयोजक दीपसिंह शेखावत ने किया। दीपसिंह शेखावत ने सभा में आए हुए लोगों का स्वागत करते हुए आंदोलन की मौजूदा स्थिति का वर्णन किया तथा इस बात को दोहराया कि व्यापक आबादी अभी भी इस बात पर अडिग है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे।

जनसभा में उपस्थित जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राजस्थान प्रभारी कैलाश मीणा जी ने कहा कि नीमकाथाना में चल रहे अवैध खनन विरोधी आंदोलन के साथी नवलगढ़ आए थे और उन्होंने नवलगढ़ के साथियों को अपने इलाके में बुलाया जहां नवलगढ़ के साथियों के साथ स्थानीय प्रशासन तथा गुंडों ने असम्मानजनक व्यवहार किया। मीणा जी ने बताया कि सरकार इसी तरह जनसंघर्षों के साथियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश करती है।

जन संघर्ष समन्वय समिति से आए मोना सूर जी ने कहा कि आज इस देश की मेहनतकश आबादी जो इस देश को चलाती है वही अपने अधिकारों से महरूम है। उन्होंने कहा कि मौजूदा शोषणकारी तंत्र तभी बदलेगा जब इस देश का मजदूर किसान अपने संसाधनों पर अधिकार का दावा पेश करेगा। मोना सूर जी ने कहा कि एक ऐसा गैर-बराबरी पर आधारित समाज, जिसमें दुनिया की समस्त धन-संपदा का 90 प्रतिशत हिस्सा 100 परिवारों के हाथों में कैद है वह जीने लायक नहीं है और जितनी जल्दी हो सके इस इस समाज को बदल देना चाहिए।
स्वराज अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक अजीत झा ने कहा कि नवलगढ़ का यह संघर्ष देश के अन्य जनसंघर्षों को प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि आज इस सभा में देश के विभिन्न हिस्सों-पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश दिल्ली इत्यादि राज्यों से जनसंघर्षों के प्रतिनिधि आए हैं जो दिखाता है कि संघर्षों की एकता बढ़ रही है। अजीत झा ने कहा कि नवलगढ़ के किसानों की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उनका जमीनों पर कब्जा है। कागजों में चाहे जो भी होता रहे लेकिन यदि किसान अपनी जमीनों पर डटे रहे तो उन्होंने कोई भी यहां से हटा नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि नवलगढ़ के साथ पूरे देश के संघर्ष खड़े हैं और सभी एक-दूसरे की लड़ाई में सहयोग करते रहते रहेंगे।

स्वराज अभियान के पश्चिम बंगाल के समन्वयक अमित शाह ने कहा कि इस देश में ऐसी लड़ाई किसानों ने दो बार जीती है- पहली नंदीग्राम में और दूसरी सिंगूर में। और उनकी जीत देखते हुए हम यह कह सकते हैं कि आप जीत सुनिश्चित है। उन्होंने आगे कहा कि जमीन की लड़ाई हम लड़ने नहीं गए बल्कि वह आए हैं हमारी जमीनें छीनने। उन्होंने कहा कि मैं सीमेंट प्लांट का बिल्कुल विरोधी नहीं हूं वह बनना चाहिए लेकिन वह बिड़ला और वांगड़ के घर में बननी चाहिए हमारी जमीनों पर नहीं।

किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व विधायक तथा जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक डा. सुनीलम ने कहा कि जिस तरह धर्म गुरुओं से जनता को कल्याण की उम्मीद है वैसे ही उसे मोदी से भी उम्मीद है। 2014 में मोदी ने जनता को हर अधिकार और अच्छे दिनों का वायदा किया था, लेकिन ऐसे ठग हमें लंबे समय से ठगते आए हैं।

उन्होंने कहा कि हमें किसी से कल्याण की उम्मीद नहीं करनी चाहिए बल्कि हमें अपने आंदोलन और अपनी ताकत पर भरोसा करना चाहिए। यदि हम अपनी जमीनों पर टिके रहे तो हमें कोई निकाल नहीं सकता। उन्होंने नर्मदा घाटी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक घाटी खाली कर देने का आदेश दिया था लेकिन वह अभी तक एक भी व्यक्ति को बाहर नहीं कर सके। जनता कानून की दलील देते हुए कह रही है कि 40000 परिवारों को आप अपने पूर्व के पुनर्वास तथा रोजगार के वायदों को पहले पूरा करो तभी हम इलाका खाली करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज हर पार्टी की सरकार कॉर्पोरेट की दलाली कर रही है। ये कंपनियां चुनावों में अपना पैसा खर्च करके उनसे अपने मुताबिक काम करवाती है। हमें इस राजनीतिक चरित्र को बदलना है। उन्होंने कहा कि हमें इन राजनीतिक पार्टियों की मानसिक गुलामी से आजादी होना होगा।

उन्होंने कहा कि इन सीमेंट फैक्ट्रियों से सिर्फ 18 गांवों की जमीन ही नहीं जाएगी बल्कि आस-पास के गांवों की खेती बंजर हो जाएगी और तरह-तरह की बीमारियां हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि तमाम जनसंघर्ष के साथी आपके साथ इस आंदोलन में खड़े हैं और आप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए तैयार हैं।

सभा के समापन की तरफ बढ़ते हुए भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति, नवलगढ़ के अध्यक्ष ने सभी वक्ताओं तथा सभा में उपस्थित लोगों का धन्यवाद देते हुए जमीन न देने के संकल्प को दोहराया तथा आंदोलन को तन-मन-धन से सहयोग करने की अपील की।

सभा को समाप्त करते हुए सभा में उपस्थित महिलाओं बच्चों समेत सभी स्थानीय निवासियों ने जिलान्यायाधीश को ज्ञापन सौंपा।

28 अगस्त 2017 को राजस्थान के नवलगढ़ जिले के नवलगढ़ शहर में भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति ने अपने धरने के सात साल पूरे होने के अवसर पर इलाके में एक बड़ी रैली निकाली जिसका समापन नवलगढ़ तहसील के सामने एक विशाल जनसभा के रूप में समापन किया गया। जनसभा में स्थानीय निवासियों समेत देश के प्रमुख जनांदोलनों के प्रतिनिधियों ने भागीदारी की।

गौरतलब है कि नवलगढ़ में पिछले सात सालों से सीमेंट प्लांट व खनन के विरोध में आंदोलन चल रहा है। 2007 में नवलगढ़ के 18 गांवों के 45000 जमीन को सीमेंट फैक्ट्री के लिए अधिग्रहित करने का नोटिस आया था। जमीन को रिको द्वारा अधिग्रहित किया जाना था। इस अधिग्रहण से न केवल इस इलाके 7000 परिवार तथा कृषि जो उनकी आजीविका का प्रमुख साधन प्रभावित हो रहा है। भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति के बैनर तले इस इलाके की आम जनता पिछले सात सालों से अपने धरने को जारी रखे हुए है और हर साल इसका एक वर्ष पूरा होने पर एक विशाल रैली तथा जन सभा का आयोजन किया जाता है जिसमें न केवल राजस्थान अपितु देश के विभिन्न हिस्सों से जनसंघर्षों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शिरकत कर अपनी एकजुटता जाहिर करते हैं।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कार्यक्रम की शुरुआत एक रैली से की गई जो कि रामदेवरा गांव से शुरु हुई। महिलाओं बच्चों समेत इस रैली में लगभग 1000 लोगों ने भागीदारी की। पूरे जोश-खरोश के साथ शुरु हुई यह रैली नवलगढ़ तहसील पर आकर एक विशाल जनसभा में परिवर्तित हो गई।

जनसभा की शुरुआत भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति के संयोजक दीपसिंह शेखावत ने किया। दीपसिंह शेखावत ने सभा में आए हुए लोगों का स्वागत करते हुए आंदोलन की मौजूदा स्थिति का वर्णन किया तथा इस बात को दोहराया कि व्यापक आबादी अभी भी इस बात पर अडिग है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे।

जनसभा में उपस्थित जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राजस्थान प्रभारी कैलाश मीणा जी ने कहा कि नीमकाथाना में चल रहे अवैध खनन विरोधी आंदोलन के साथी नवलगढ़ आए थे और उन्होंने नवलगढ़ के साथियों को अपने इलाके में बुलाया जहां नवलगढ़ के साथियों के साथ स्थानीय प्रशासन तथा गुंडों ने असम्मानजनक व्यवहार किया। मीणा जी ने बताया कि सरकार इसी तरह जनसंघर्षों के साथियों का मनोबल तोड़ने की कोशिश करती है।

जन संघर्ष समन्वय समिति से आए मोना सूर जी ने कहा कि आज इस देश की मेहनतकश आबादी जो इस देश को चलाती है वही अपने अधिकारों से महरूम है। उन्होंने कहा कि मौजूदा शोषणकारी तंत्र तभी बदलेगा जब इस देश का मजदूर किसान अपने संसाधनों पर अधिकार का दावा पेश करेगा। मोना सूर जी ने कहा कि एक ऐसा गैर-बराबरी पर आधारित समाज, जिसमें दुनिया की समस्त धन-संपदा का 90 प्रतिशत हिस्सा 100 परिवारों के हाथों में कैद है वह जीने लायक नहीं है और जितनी जल्दी हो सके इस इस समाज को बदल देना चाहिए।
स्वराज अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक अजीत झा ने कहा कि नवलगढ़ का यह संघर्ष देश के अन्य जनसंघर्षों को प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि आज इस सभा में देश के विभिन्न हिस्सों-पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश दिल्ली इत्यादि राज्यों से जनसंघर्षों के प्रतिनिधि आए हैं जो दिखाता है कि संघर्षों की एकता बढ़ रही है। अजीत झा ने कहा कि नवलगढ़ के किसानों की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उनका जमीनों पर कब्जा है। कागजों में चाहे जो भी होता रहे लेकिन यदि किसान अपनी जमीनों पर डटे रहे तो उन्होंने कोई भी यहां से हटा नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि नवलगढ़ के साथ पूरे देश के संघर्ष खड़े हैं और सभी एक-दूसरे की लड़ाई में सहयोग करते रहते रहेंगे।

स्वराज अभियान के पश्चिम बंगाल के समन्वयक अमित शाह ने कहा कि इस देश में ऐसी लड़ाई किसानों ने दो बार जीती है- पहली नंदीग्राम में और दूसरी सिंगूर में। और उनकी जीत देखते हुए हम यह कह सकते हैं कि आप जीत सुनिश्चित है। उन्होंने आगे कहा कि जमीन की लड़ाई हम लड़ने नहीं गए बल्कि वह आए हैं हमारी जमीनें छीनने। उन्होंने कहा कि मैं सीमेंट प्लांट का बिल्कुल विरोधी नहीं हूं वह बनना चाहिए लेकिन वह बिड़ला और वांगड़ के घर में बननी चाहिए हमारी जमीनों पर नहीं।

किसान संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व विधायक तथा जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय संयोजक डा. सुनीलम ने कहा कि जिस तरह धर्म गुरुओं से जनता को कल्याण की उम्मीद है वैसे ही उसे मोदी से भी उम्मीद है। 2014 में मोदी ने जनता को हर अधिकार और अच्छे दिनों का वायदा किया था, लेकिन ऐसे ठग हमें लंबे समय से ठगते आए हैं।

उन्होंने कहा कि हमें किसी से कल्याण की उम्मीद नहीं करनी चाहिए बल्कि हमें अपने आंदोलन और अपनी ताकत पर भरोसा करना चाहिए। यदि हम अपनी जमीनों पर टिके रहे तो हमें कोई निकाल नहीं सकता। उन्होंने नर्मदा घाटी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने 31 जुलाई तक घाटी खाली कर देने का आदेश दिया था लेकिन वह अभी तक एक भी व्यक्ति को बाहर नहीं कर सके। जनता कानून की दलील देते हुए कह रही है कि 40000 परिवारों को आप अपने पूर्व के पुनर्वास तथा रोजगार के वायदों को पहले पूरा करो तभी हम इलाका खाली करेंगे।

उन्होंने कहा कि आज हर पार्टी की सरकार कॉर्पोरेट की दलाली कर रही है। ये कंपनियां चुनावों में अपना पैसा खर्च करके उनसे अपने मुताबिक काम करवाती है। हमें इस राजनीतिक चरित्र को बदलना है। उन्होंने कहा कि हमें इन राजनीतिक पार्टियों की मानसिक गुलामी से आजादी होना होगा।

उन्होंने कहा कि इन सीमेंट फैक्ट्रियों से सिर्फ 18 गांवों की जमीन ही नहीं जाएगी बल्कि आस-पास के गांवों की खेती बंजर हो जाएगी और तरह-तरह की बीमारियां हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि तमाम जनसंघर्ष के साथी आपके साथ इस आंदोलन में खड़े हैं और आप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए तैयार हैं।

सभा के समापन की तरफ बढ़ते हुए भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति, नवलगढ़ के अध्यक्ष ने सभी वक्ताओं तथा सभा में उपस्थित लोगों का धन्यवाद देते हुए जमीन न देने के संकल्प को दोहराया तथा आंदोलन को तन-मन-धन से सहयोग करने की अपील की।

सभा को समाप्त करते हुए सभा में उपस्थित महिलाओं बच्चों समेत सभी स्थानीय निवासियों ने जिलान्यायाधीश को ज्ञापन सौंपा।

प्रति,                                                              28 अगस्त 2017
मुख्यमंत्री
राजस्थान सरकार
जयपुर
राजस्थान
द्वारा- एस.डी.एम, नवलगढ़, जिला – झुंझुनु, राजस्थान
विषय : नवलगढ़ में श्री सीमेंट और अल्ट्राटेक सीमेंट के लिए प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण को रद्द करने के बाबत
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हम नवलगढ़ के निवासी पहले भी कई बार आपसे अपनी जमीनें बचाने के लिए गुहार कर चुके हैं और नवलगढ़ एसडीएम कार्यालय के सामने पिछले 7 सालों से लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। पिछले 7 सालों से जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों के न तैयार होने के बावजूद सरकार लगातार एकतरफा कार्यवाही करती जा रही है।
हम आपको एक बार फिर याद दिलाना चाहते हैं कि श्री सीमेंट और अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट और खनन के लिए नवलगढ़ की लगभग 72,000 बीघे भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित हैं। इस 72,000 बीघे में 18 गांव है जिनमें 45,000 से भी ज्यादा लोग पीढ़ीयों से यहां रह रहे हैं। यह जमीनें न सिर्फ उनकी जीविका का साधन है, बल्कि उनके अस्तित्व की पहचान हैं। प्रस्तावित भूमि बहुफसलीय भूमि है जिसको प्रशासन द्वारा बंजर दिखाने का भी प्रयास किया गया। बहुफसलीय जमीनों के साथ शमशान घाट, आम रास्ते, तीर्थ स्थल, गोचर भूमि भी श्री सीमेंट कंपनी के लिए रिको के नाम की जा चुकी है। इनके अलावा पर्यटन स्थल, पर्यावरण, जोहड़, खेजड़ी, मोर इत्यादि को हानि पहुंचेगी। इस भूमि अधिग्रहण में 45,000 लोगों के विस्थापन से इस पूरी आबादी का अस्तित्व संकट में आ जाएगा। अधिग्रहण में जा रही इस जमीन का लगभग 83 प्रतिशत हिस्सा कृषि भूमि का है और यहां के निवासी मुख्यतः किसान हैं जिनका उगाया अन्न इस देश की जनता का पेट भरता है।
इस अधिग्रहण के प्रस्ताव के समय से ही किसान अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं जिसके बावजूद प्रशासन बिना किसानों की सहमति और मुआवजा उठाए ही उनकी जमीनें राजस्थान इंडस्ट्रियल इन्वेसटमेंट कॉर्पोरेशन (रिको) के नाम कर चुका है जो कि संविधान का प्रत्यक्ष उल्लंघन है। प्रशासन द्वारा लगातार इलाके में समाचार-पत्रों के माध्यम से यह खबर फैलाकर कि बहुत जल्द इस क्षेत्र को जबरन खाली करा दिया जाएगा किसानों को डराने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन लगातार इस कोशिश में है कि किसान डर कर अपना आंदोलन छोड़ दें जबकि किसान इस बात के लिए दृढ़ संकल्प हैं कि वह जान दे देंगे किंतु अपनी जमीनें नहीं छोड़ेगें।
इस आंदोलन में वृद्ध से लेकर गांव के बच्चे और महिलाएं सभी सक्रिय हैं। यदि प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह की जोर जबर्दस्ती की कार्रवाई होती है तो उसमें होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी सीधी प्रशासन की होगी। छह साल से अपना आंदोलन शांतिपूर्वक लड़ रहे यह किसान अपने देश के संविधान में पूरी तरह से भरोसा करते हैं और संविधान के तहत दिए गए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत ही अपने विरोध को दर्ज करवा रहे हैं। किंतु प्रशासन सभी संवैधानिक प्रावधानों को दर किनार कर चंद उद्योगपतियों के मुनाफे के लिए हजारों परिवारों के जीवन की बलि चढ़ाने पर तुला हुआ है।
हम प्रशासन के इस कृत्य का तीव्र विरोध करते हुए मांग करते हैं कि-
1. प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण तत्काल रद्द किया जाए।
2. रिको के नाम दर्ज की गई जमीनों को वापस किसानों के नाम पर दर्ज किया जाए।
3. रिको तथा कंपनियों के पक्ष में जमीनों की गलत रिपोर्ट बनाकर प्रस्तुत करने वाले कर्मचारियों तथा     अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जाएं।
साथ ही अभी तक कंपनियों ने जितनी जमीनें किसानों से खरीद ली हैं वह जमीनें अब आवारा पशुओं का अड्डा बन चुकी हैं। यह आवारा पशु आस-पास के खेतों में घुसकर फसलें चौपट कर रहे हैं और गांवों में भी लोगों की सम्पत्ति का नुकसान कर रहे हैं तथा आते-जाते लोगों पर सींग चला रहे हैं। अभी तक कई लोग इन पशुओं से घायल हो चुके हैं। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि वह इन आवारा पशुओं को काबू में कर किसानों तथा स्थानीय निवासियों के जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
इस अधिग्रहण की वजह से इस क्षेत्र के निवासियों तथा पर्यावरण के उपर आने वाले संकट के मद्देनजर आपसे निवेदन है कि उपरोक्त मांगों पर यथा शीघ्र कार्रवाई की जाए।
द्वारा
भूमि अधिग्रहण विरोधी किसान संघर्ष समिति, नवलगढ़ तथा प्रभावित किसान

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