किसानों की क़र्ज़ माफ़ी-फ़सलों के उचित मूल्य की मांग पर किसान संगठन एकजुट; मंदसौर से 6 जुलाई को 'किसान मुक्ति यात्रा' शुरू
किसानों की क़र्ज़ माफ़ी और फ़सलों के उचित मूल्य की मांग को लेकर किसान संगठन छह जुलाई से मध्य प्रदेश के मंदसौर से ‘किसान मुक्ति यात्रा’ शुरू करेंगे. 1 जुलाई 2017 को दिल्ली में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से जारी विज्ञप्ति में जानकारी दि गई है कि मंदसौर पुलिस गोली चालन में शहीद हुए किसानों की स्मृति में 6 जुलाई को पिपल्यामंडी (मंदसौर) से किसान मुक्ति यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा का उद्देश्य किसानों की कर्जा मुक्ति और किसानी की लागत से डेढ़ गुने समर्थन मूल्य पर सभी कृषि उत्पादों की खरीद जैसे महत्वपूर्ण मुददो पर देश के किसानों के बीच जागृति पैदा करना है। यह यात्रा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से होते हुए 18 जुलाई को दिल्ली पंहुचेगी। रास्ते में यह यात्रा बारदोली और खेड़ा जैसे किसान आंदोलन के ऐतिहासिक स्थलों पर भी जायेगी। दिल्ली पंहुचकर यह मार्च जंतर मंतर पर एक मोर्चे का स्वरुप ले लेगा;
कर्ज-मुक्ति और ड्योढ़े दाम की मांग पर एकजुट हुए देश के सभी किसान संगठन
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के तत्वावधान में देश भर के किसान संगठन एकजुट
कर्ज-मुक्ति और लागत से ड्योढ़े दाम की दो मांगों पर राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने को बनी सहमति
राष्ट्रीय किसान महासंघ, भूमि अधिकार आंदोलन और राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति भी इन दोनों मांगो पर संघर्ष के लिए एकसाथ आये
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा 6 जुलाई को मंदसौर से 18 जुलाई को दिल्ली तक किसान मुक्ति यात्रा
पिछले एक महीने से देश भर में उभरा किसान विद्रोह अब एक नए स्तर पर पंहुच गया है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों के आंदोलनों और मंदसौर के किसानों की शहादत ने किसान संगठनों में एक नयी राष्ट्रव्यापी एकता पैदा कर दी है। किसानो के अधिकांश प्रमुख नए-पुराने संगठन, महासंघ और समन्वय अपने मतभेद भुलाकर दो प्रमुख मुद्दों पर एकजुट हो गए हैं — किसानों को सभी फसलों का पूरा दाम और सभी किसानो की पूर्ण कर्जा-मुक्ति। यह जानकारी आज दिल्ली में किसानो के प्रमुख संगठनों के नेताओं ने मीडिया को दी।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा मंदसौर पुलिस गोली चालन में शहीद हुए किसानों की स्मृति में 6 जुलाई को पिपल्यामंडी (मंदसौर) से किसान मुक्ति यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा का उद्देश्य किसानों की कर्जा मुक्ति और किसानी की लागत से डेढ़ गुने समर्थन मूल्य पर सभी कृषि उत्पादों की खरीद जैसे महत्वपूर्ण मुददो पर देश के किसानों के बीच जागृति पैदा करना है। यह यात्रा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से होते हुए 18 जुलाई को दिल्ली पंहुचेगी। रास्ते में यह यात्रा बारदोली और खेड़ा जैसे किसान आंदोलन के ऐतिहासिक स्थलों पर भी जायेगी। दिल्ली पंहुचकर यह मार्च जंतर मंतर पर एक मोर्चे का स्वरुप ले लेगा।यह आंदोलन देश भर के किसानों की दो सर्वमान्य मांगों पर केंद्रित होगा:
1. किसान को उसकी फसल की लागत से 50 फीसदी अधिक दाम दिलवाया जाय। यह दाम देश के हर किसान को, हर फसल में और हर हालत में मिले। अगर किसान उस दाम से कम में फसल बेचने पर मजबूर होता है तो सरकार उस कमी की भरपाई करे।
2. लाभकारी दाम के साथ किसान नए सिरे से शुरुआत कर सकें इसलिए एक अंतरिम उपाय के तौर पर एक बार किसान द्वारा किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक या फिर राज्य की सहकारी समिति या वित्तीय संस्थानों से लिया गया ऋण पूरी तरह से माफ किया जाना चाहिए। साहूकार के ऋण से भी मुक्ति की व्यवस्था हो।
इस प्रेस वार्ता में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक श्री वी एम सिंह के अलावा इस समिति के कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व सांसद श्री हन्नान मौला (ऑल इंडिया किसान सभा), लोक सभा सदस्य श्री राजू शेट्टी (स्वाभिमानी शेतकरी संगठन), पूर्व विधायक डा. सुनीलम (जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय) और श्री योगेंद्र यादव (जय किसान आंदोलन) उपस्थित थे। उनके इलावा राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति की ओर से श्री दशरथ कुमार और ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा की ओर से डॉ. आशीष मित्तल उपस्थित थे।
देश में चल रहे किसान आंदोलनों को दिशा देने के लिए 16 जून 2017 को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन किया गया था। पिछले दो सप्ताह में अनेक नए संगठन इस समन्वय से जुड़ गए हैं। इनमे ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा (पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार, उत्त्तर प्रदेश, पश्चिम बंग) , कर्नाटक राज्य रैयत संघ, तेलंगाना रायतू जॉइन्ट एक्शन कमिटी, लोक संघर्ष मोर्चा (महाराष्ट्र, गुजरात), रैयतु स्वराज वेदिका, फेडरेशन ऑफ़ कावेरी डेल्टा फारमर्स एसोसिएशन (तमिल नाडु), पश्चिम ओड़िशा कृषक संगठन शामिल हैं। इनके अलावा किसान संगठनों के दो अखिल भारतीय समन्वय ‘राष्ट्रीय किसान समन्वय समिति’ और ‘भूमि अधिकार आंदोलन’ भी इस अभियान में शामिल हो गए हैं। श्री गुरनाम सिंह, हरपाल सिंह और कक्का जी के नेतृत्व में चल रहा ‘राष्ट्रीय किसान संघ’ भी इसी पहल से जुड़ गया है। इस प्रकार अब यह समन्वय पिछले कई दशकों में देश भर के किसान संगठनों का सबसे बड़ा गठबंधन बन गया है।