झारखण्ड : सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन अध्यादेश के खिलाफ भूमि अधिकार आंदोलन का राष्ट्रीय सम्मेलन; रांची 29-30 जून 2017
झारखण्ड राज्य गठन के 16 साल बाद हालात यह हैं कि खनिज संपदा से भरपूर इस राज्य में प्राकृतिक संसाधनों की इस कदर लूट मची है कि आदिवासियों को एक बेहतर जीवन तो दूर उनका पूरा जीवन ही संकट में पड़ चुका है। झारखंड की लाखों एकड़ जमीन जिस पर आदिवासियों का कब्जा था । जबरन छीन कर कॉर्पोरेट्स को सौंपी जा चुकी है। इसी लूट को और तेज करने के लिए झारखण्ड सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक, भूमि बैंक और महुआ नीति जैसे काले कानून लोगों पर थोप रही है । देश की आम जनता के अधिकारों, पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधन व जमीन को बचाने के लिए एक होकर आगे की रणनीति तय करने के लिए भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले झारखण्ड के रांची शहर में जनसंघर्षों का राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 29-30 जून 2017 को किया जा रहा है। इस दो दिवसीय सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों में अपने हक-अधिकारों के लिए लड़ रहे तमाम जन संगठन तथा आंदोलनकारी शिरकत करेंगे। पेश है भूमि अधिकार आंदोलन का आमंत्रण;
भाइयों एवं बहनों,
झारखण्ड में भाजपानीत सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन द्वारा रैयतों और किसानों की जमीन छीनना सुनिश्चित कर चुकी है। साथ ही भूमि बैंक बनाकर और जमाबंदी रद्द कर गैरमजरूआ जमीन और सामूहिक जमीन की लूट भी की जा रही है यह सरकार आरएसएस की विभाजनकारी नीतिंयों को लागू करने की कुचेष्टा में लगी है और उसने पशु धन के व्यावसायिक उपयोग पर भी रोक लगा दिया है। केन्द्र की मोदी सरकार भी अपने आकाओं की मंशा को पूरी करने हेतू 3 बार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लागू करने की पूरजोर कोशिश की लेकिन किसानों की एकता और संघर्ष ने नरेन्द्र मोदी की कुचेष्टा को नाकाम कर दिया। भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले सैकड़ों जनसंगठन और सामाजिक संगठनों ने किसानों और रैयतों के दुश्मन भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ गोलबंद हुए जिससे यह अध्यादेश वापस हो पाया। इसी तर्ज पर झारखण्ड की भाजपा सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में भी संशोधन विधेयक के द्वारा रैयतो और किसानों को उनकी जमीन से वंचित करने की साजिश कर किसानों के लिये मौत का फरमान जारी कर दिया है। इसी के विरोध के लिये आगामी 29 और 30 जून 2017 को भूमि अधिकार आंदोलन का राष्ट्रीय सम्मेलन झारखण्ड की राजधानी रांची में होने जा रहा है।
भारत जैसे विशाल देश में हर दिन 52 किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है। इसकी वजह क्या है? पूंजीवादी व्यवस्था में उच्च विकास दर होने और तरक्की और विकास का ढिंढोरा पीटे जाने के बावजूद भी किसानों की हालात भयावह है। इसी वर्ष फरवरी माह में कॉरपोरेट और व्यावसायिक घरानों के लिये सम्मेलन का आयोजन किया गया। रघुवर सरकार द्वारा ‘मोमेन्टम झारखण्ड’ के नाम मुम्बई, बंगलूरू, कोलकाता, हैदराबाद और दिल्ली में बड़े कॉरपोरेट घरानों और विभिन्न कम्पनियों के साथ मीटिंग कर उन्हे आश्वासन दिया गया कि सरकार उन्हें झारखण्ड में किसानों से सस्ती जमीन, खनिज, मुफ्त जल और श्रम कानूनों को सुरक्षा कवच के दायरे से बाहर मजदूर उपलब्ध कराएगी। इस ‘मोमेन्टम झारखण्ड’ में लगभग 2500 उघोग घरानों के साथ लगभग 30 लाख एकड़ जमीन को हस्तांतरण के लिये समझौते किया जिसमें रैयती जमीन के साथ-साथ सामूहिक गोचर, गैरमजरूआ आम और खास, जंगल-झाड़ी और वन की भूमि को भी मंजूरी दी गयी। झारखण्ड के धनी प्रदेश होने के बावजूद यहां के किसान और रैयत बदहाल है। इनकी बदहाली के लिये इस नाकाम सरकार की प्रशासनिक नीतियां और उनका निष्पादन जिम्मेवार है। इस प्रकार भाजपा की सरकार ने झारखण्ड के किसानों रैयतों और मजदूरों पर जो राज्य की जनसंख्या में प्रचंड बहुमत का हिस्सा हैं उन पर सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक लाकर भयावह हमला बोल दिया है। इस हमले का राज्य के किसानों, रैयतां और मजदूर वर्ग द्वारा प्रतिरोध करने की तैयारी हो रही है।
इन परिस्थितियों में आगामी 29-30 जून 2017 को भूमि अधिकार आंदोलन का सम्मेलन इन मुद्दों पर विचार करने के लिये गोस्सनर थियोलॉजिकल हॉल, रांची में आयोजित किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के 200 प्रतिनिधि और राज्यस्तरीय जनसंगठन और सामजिक संगठनों के 250 प्रतिनिधि शामिल होंगे। सम्मेलन के अंतिम दिन 30 जून को हूल दिवस के अवसर पर दोपहर 1 बजे से रैली एवं जनसभा होगी जिसमें सीएनटी और एसपीटी एक्ट संशोंधन विधेयक के खिलाफ एक बड़ा आक्रमक और जुझारू आंदोलन की घोषणा की जायेगी। अतः आप सभी से अनुरोध है कि इस कार्यक्रम को सफल करने में तन-मन-धन से अपना पूर्ण सहयोग करें।
आयोजक समिति
भूमि अधिकार आंदोलन, झारखण्ड
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें
दयामनी बारला 9431108634
प्रफुल्ल लिंडा 7763074746
अरविंद अंजुम 9431113667