संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

आइसीन कम्पनी चली मारुति की राह : 600 मजदूर 31 मई से जेल में बंद



हरियाणा के रोहतक स्थित आइसीन ऑटोमोटिव कंपनी, हरियाणा के 700 मजदूर 3 मई से कंपनी में यूनियन बनाने के हक को लेकर धरने पर बैठे हुए थे। तेज गर्मी की वजह से धरने पर बैठे काफी मजदूरों की हालत खराब हो गई लेकिन फिर भी कंपनी प्रबंधन मजदूरों की कोई भी मांग सुनने के लिए तैयार नहीं था। 31 मई को संघर्षरत मजदूरों पर पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज किया और करीबन 600 मजदूरों व मजदूर कार्यकर्ताओं जिसमें 90 महिला मजदूर भी शामिल हैं गिरफ्तार कर लिया। मौजूदा कॉर्पोरेट समर्थक सरकार कंपनी मालिकों के मुनाफे को सुनिश्चित करने के लिए मजदूरों को उनके संवैधानिक अधिकार देने के लिए भी तैयार नहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमको मारूती मजदूरों के मामले में  देखने को मिला जहां  न्यायलय ने 13 मजदूरों को आजीवन उम्र कैद सुना दी। किंतु इसके बावजूद संघर्ष जारी है। 1 जून को दिल्ली के जंतर-मंतर  पर आइसन कंपनी के मजदूरों के इस बर्बर लाठीचार्ज और गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन किया। हम यहां आपके साथ आइसन मजदूरों के इस आंदोलन पर यह रिपोर्ट साझा कर रहे है;

हरियाणा के रोहतक/ आइसीन आटोमोटिव कम्पनी, हरियाणा में हो रहे अत्यधिक शोषण के खिलाफ; उसे कम करने व अपने अधिकारों को पाने के लिए; मजदूरों ने ट्रेड यूनियन के तहत यूनियन बनाने की फाइल लगायी। कानूनी तरीके से उसका वेरीफिकेशन भी श्रम विभाग से करवाया। लेकिन कम्पनी को इस प्रक्रिया का पता चलने के बाद उसे ये बात पसंद नहीं आयी। और यूनियन बनने को रोकने के लिए कम्पनी ने तरह-तरह के हथकण्डे अपनाने शुरु कर दिये। जैसे कि वर्करों को धमकी देना, लालच देना और कम्पनी से निकालने, महिला कर्मचारियों से अभद्र व्यवहार करना, इत्यादि। प्रबन्धन ने प्रोडक्शन कम करने के लिए जानबूझ के लाइन पर तरह-तरह की गतिविधियां शुरु कर दी। काम के समय में मूवमैंट करके उत्पादन कम करवा दिया। और उसका आरोप श्रमिकों पर लगाकर उनके घर चिट्ठी भेजनी शुरु कर दी कि काम जानबूझ कर कम किया जा रहा है। प्रबंधन ने श्रमिकों के घर पर फोन करना व घर जाकर उन पर व परिवार वालों पर मानसिक दबाव बनाना शुरु कर दिया।

दिनांक 3 मई 2017 को सोची-समझी साजिश के तहत कम्पनी ने 20 श्रमिकों को बिना कोई नोटिस या चेतावनी के बगैर बेवजह बाहर कर दिया और सभी श्रमिकों (700) का गेट बन्द कर दिया। कम्पनी द्वारा गेट लॉक कर गेट पर प्रशासन, बाउंसरों व गार्ड की अधिक मात्रा में तैनाती कर दी गयी। 3 तारीख को मजदूरों की वार्ता लेबर डिपार्टमेन्ट, प्रबन्धन व प्रशासन से हुई और उन्होंने मजदूरों की शिकायतें भी सुनी। इसके बाद न तो मजदूरों को काम मिला और ना ही दोबारा किसी ने वार्ता की। 3 मई 2017 के बाद आज तक सभी 700 मजदूर गेट पर ही बैठे हैं, मजदूरों को टैन्ट लगाने की अनुमति भी नहीं मिली और जिस कारण धूप में बैठे रहने से कई मजदूर साथी बीमार हुए और अस्पताल में भर्ती हैं। इतना ही नहीं महिला कर्मचारियों के लिए मोबाइल टॉयलेट के लिये भी मना कर दिया गया। जिस कारण महिला साथियों को खुले में ही शौच को जाना पड़ रहा है। मजदूरों ने डी.सी., एस.पी., डी.एल.सी. सभी को ज्ञापन सौंपा। परन्तु सबने मजदूरों की मदद करने के बजाय उल्टा उन्हें ही दोषी बताया। 7 तारीख को सभी श्रमिकों ने भरी दोपहरी मे 8 घंटे की सामूहिक भूख हड़ताल की। कई साथी बीमार हो जाने पर निर्लज्ज शासन/प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।

8 मई 2017 को लेबर डिपार्टमैंट द्वारा मजदूरों को समझौते के लिए बुलाया गया। वार्तालाप के बाद प्रबंधन व लेबर डिपार्टमैंट से मजदूरों को कोई न्याय नहीं मिला। उल्टा 10 पुराने कर्मचारियों को निलम्बित करने की धमकी दी गयी। दिनांक 9 मई 2017 को कम्पनी गेट के बाहर 170 श्रमिकों को और निकालने का नोटिस लगा दिया गया। 10 मई 2017 को वार्तालाप के लिए फिर लेबर डिपार्टमैंट में बुलाया गया और समझौते की बजाये मजदूरों को गुमराह किया गया। और समझौता नहीं हुआ। इस दौरान मजदूरों ने बीजेपी मंत्री विजेन्द्र सिंह से भी बात कर उन्हें शिकायत बतायी पर उनके द्वारा कारण पूछने की बजाय मजदूरों को ही गलत ठहराया गया।
सभी कर्मचारी पूरी रात बारिश में भीगते रहे लेकिन शासन-प्रशासन ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। और श्रमिकों ने बारिश से भीगने से बचने के लिये जैसे-तैसे तिरपाल का इंतजाम किया लेकिन पुलिस द्वारा मजदूरों को तिरपाल लगाने से मना कर दिया गया।

दिनांक 11 मई 2017 को 11 बजे दोबारा वार्तालाप के लिए मजदूरों को एस.डी.एम, डी.एल.सी. व प्रबन्धकों की उपस्थिति में वार्ता को बुलाया गया। लेकिन प्रबन्धकों द्वारा एक तरफा बातचीत करके शाम 4 बजे का समय दिया और बिना समझौते के चले गये। यूनियन गतिविधियों के दौरान प्रबंधकों द्वारा कम्पनी में आसाजिक तत्वों की भी की गयी अैर उनके लिये स्पेशल 3 मोबाइल टायलेटों का इंतजाम करवाया गया लेकिन महिला कर्मचारियों के लिए एक भी टायलेट नहीं लगाया गया। सभी श्रमिकों की यही मांग है कि सभी श्रमिकों को कम्पनी में वापस लिया जाये और बदले की भावना न रखते हुए काम को सुचारु रूप से चलाया जाये। कुल मिलाकर आइसीन प्रबंधन व प्रशासन मारुति सरीखी परिस्थितियां पैदा करने की ओर बढ़ रहे हैं। तय है इसका मजदूर करारा जवाब देंगे।

ज्ञात रहे कि आइसिन एक जापानी कम्पनी है। यहाँ महँगे दरवाजों का हैंडल बनाता है। इसके सारे बड़े अधिकारी जापानी हैं। कुछ दिन पहले कम्पनी ने बिना कुछ बताए 20 मज़दूरों को बाहर कर दिया। मज़दूर साथ काम करते-करते, सुख-दुख बाँटते हुए, एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। वे अपने साथ काम करने वाले मज़दूरों के लिए खड़े होते हैं। इसलिए जब 20 लोगों को निकाला गया तो बकिया मज़दूरों ने अपने साथी मज़दूरों के समर्थन में आवाज उठाई। अगले दिन सभी मज़दूरों से एक फार्म भरवाया गया, जिसमें यह था कि कम्पनी में काम करते हुए वे कोई माँग नहीं रख सकते। लेकिन, मज़दूरों ने इसे मानने से इन्कार कर दिया और अपने उन 20 साथियों के समर्थन में डटे रहे। बकिया कुछ मज़दूर भी अपने 20 साथियों के साथ कम्पनी के गेट पर जम गये। यह धरना 3 मई से लगातार जारी था। 31 मई को मज़दूरों पर पुलिस ने हमला किया और मार-पीटकर जेल में बन्द कर दिया। इनपर तमाम झूठे और भयानक धाराएँ लगाई गईं। इन मज़दूरों में तमाम स्त्रियाँ भी हैं। आप सोच सकते हैं कि ये सरकारें किनके लिए काम करती हैं। क्या ये मज़दूर इस देश के लोग नहीं हैं ? क्या मज़दूर कोई गलत माँग कर रहे हैं ? आप गंभीरता से सोचेंगे तो पता चलेगा कि सरकारें कंपनियों के लिए काम करती हैं। उनका इस देश और यहाँ की गरीब जनता से कुछ भी लेना-देना नहीं है। सरकार राष्ट्रवाद का ढ़ोल सिर्फ गरीबों के शोषण को छिपाने के लिए पीटतीती है। जैसे चोरी करने वाला चोर ही गाँव वालों के साथ चोर-चोर चिल्लाने लगे।

1 जून को दिल्ली के जंतर मंतर पर हरियाणा के आइसिन मज़दूरों पर हुए बर्बर लाठीचार्ज और गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। 3 मई से अपने जायज़ अधिकारों के लिए संघर्षरत आइसिन मज़दूरों पर पुलिस ने 31 मई की शाम बर्बर लाठीचार्ज किया और तकरीबन 600 मज़दूरों व मज़दूर कार्यकर्ताओं जिनमे 90 करीब महिला मज़दूर भी शामिल थी को गिरफ़्तार कर लिया। सभी पुरुष मज़दूरों पर आई.पी.सी. की धाराएं 323, 186, 114, 341, 342, 332, 353 और 284 लगाई गई है। सभी मज़दूरों को रोहतक की सुनारियां जेल में रखा गया है।

बिगुल मज़दूर दस्ता की तरफ से बात रखते हुए शिवानी ने कहा कि मोदी सरकार का मज़दूर विरोधी चेहरा तो पहले से सबके सामने है और आइसिन के मज़दूरों के साथ हो रहा दमन उसी का एक और उदाहरण है। जो मोदी जी देश में 1 करोड़ नए रोज़गार बनाने की बात कहते थे आज उन्ही की सरकार लोगों से उनके रोज़गार छीन रही है और उनके हक़ों से उन्हें महरूम कर रही है। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों का एक ज्ञापन हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर को भी सौपा।

प्रदर्शनकारियों की मांगें हैं:

  1. सभी गिरफ़्तार मज़दूरों व मज़दूर कार्यकर्ताओं पर लगी धाराएं वापिस ली जाएं और उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए। 
  2. सभी हिरासत में बंद महिला मज़दूरों को भी जल्द से जल्द रिहा किया जाए। 
  3. मज़दूरों की सभी जायज़ मांगों को संज्ञान में लेते हुए उनपर बिना किसी विलम्भ के कार्यवाही की जाए। 
  4. सभी निकाले गए मज़दूरों को काम पर बहाल किया जाए। 
  5. लाठीचार्ज में लिप्त सभी पुलिस कर्मियों और प्रशासन के अधिकारियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही की जाए।

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