साझा संघर्ष ने दिलाई करवास के किसानों को भूमि अधिग्रहण के विरुद्ध जीत
राजस्थान के जयपुर जिले की कोटपुतली तहसील के करवास गांव औऱ आसपास के गावों के ग्रामीणों ने एक इतिहास लिख दिया । अपना वर्तमान बचा लिया औऱ भविष्य बचा लिया। पुराने रबड़ के टायर जलाने की फैक्ट्री जब गांव मे लगी थी तो ग्रामीणों को विकास औऱ रोजगार के सपने दिखा खुशहाली की बातें की गई थी लेकिन इस फैक्ट्री से निकलने वाले धुंए और बदबू ने करवास ही नहीं आसपास के गावों के लोगों का जीना मुश्किल कर दिया । ग्रामीण इससे परेशान हो गये । इस फैक्ट्री को बन्द करवाने के लिये शासन को गुहार लगाई। समस्या के समाधान के बजाय आवाज उठाने वालों को ही धमकाने , डराने औऱ दमन के हथकंडे अपना इसे चालू रखा गया। अवैध खनन से परेशान इलाके के गावों में संघर्ष कर रहे ग्रामीणों , सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ लोगों की पीड़ा साझा करने नर्मदा बचाओ आन्दोलन की अगुवाई कर रही मेधा पाटकर, स्वामी अग्निवेश, हिमांशु कुमार, योगेन्द्र यादव, कविता श्रीवास्तव आये। सूचना के अधिकार औऱ रोजगार अभियान की जबाबदेही यात्रा निखिल डे, शंकर सिंह के नेतृत्व मे इलाके से गुजरने से आयी चेतना का असर करवास के ग्रामीणों मे हुआ।
करवास औऱ आसपास के ग्रामीण एकजुट हुये औऱ इस टायर जलाने वाली फैक्ट्री के विरोध मे संघर्ष की ठानी। फैक्ट्री के सामने ग्रामीणों ने धरना दिया, क्रमिक अनशन किया। पहले सरकार ने फैक्ट्री का बिजली कनेक्शन काट दिया फिर पर्यावरण स्वीकृति रद्द की ग्रामीण डटे रहे अन्त मे सरकार को फैक्ट्री की जमीन का भूमि रूपांतरण भी रद्द करना पड़ा । मानवाधिकार संगठन पी.यू.सी.एल.ने जांच रिपोर्ट तैयार की। मजदूर किसान संगठन, जनआन्दोलनो के राष्ट्रीय समन्वय ने ग्रामीणों के साथ हुये। धरने मे महिलाओं, बच्चों ने हिम्मत औऱ हिस्सेदारी साथ दिया । साथी राधेश्याम यादव शुक्लाबास ने समन्वय, नेतृत्व किया औऱ ग्रामीण एकता, संघर्ष जीत गये।
इस संघर्ष मे सहयोग, मार्गदर्शन करनेवाले सभी सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्ताओं का आभार करते हुये उम्मीद करते हैं कि आप सभी का सहयोग औऱ मार्गदर्शन इलाके मे अवैध खनन से भयावह पैदा हुये हालातों, जबरन भूमिअधिग्रहण के विरोध मे संघर्ष कर रहे ग्रामीणों को भी मिलेगा ।