दुधवा नेशनल पार्क : 20 गांवों के आदिवासियों ने प्रशासन को भेजा चेतावनी नोटिस
24 अगस्त 2016 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी स्थित दुधवा नेशनल पार्क व टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में बसे 20 गांवों की वनाधिकार समितियों द्वारा वनाधिकार मान्यता कानून के तहत प्रशासन को नोटिस भेज कर चेतावनी दी गई है कि 29 अगस्त 2016 को 20 गांवों के आदिवासी पुनः अपने दावे जमा करने आएंगे अगर कोई आना-कानी हुई तो अनिश्चितकालीन धरना दिया जायेगा। हम यहाँ आपसे साझा कर रहे है अखिल भारतीय वनजन श्रमजीवी यूनियन का ज्ञापन;
सूचनार्थ पत्र
प्रति 24 अगस्त 2016
अध्यक्ष उपखण्ड स्तरीय समिति वनाधिकार-पलिया खीरी
उपजिलाधिकारी
पलिया कलां-खीरी, उत्तर प्रदेश
महोदय,
जैसा कि आपको विदित है कि माननीय संसद द्वारा 15 दिसम्बर 2006 को वनाश्रित समुदायों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्यायों की बात को स्वीकार करते हुए केन्द्रीय विशिष्ट कानून ‘‘अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) कानून-2006’’ पारित किया गया था। जिसे तमाम प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए 1 जनवरी 2008 को नियमावली प्रकाशित करके जम्मू-कश्मीर को छोड़कर पूरे भारतवर्ष में लागू भी कर दिया गया था। तत्पश्चात देश में वनविभाग व सरकारों द्वारा इस विशिष्ट कानून की अनदेखी को देखते हुए वनाश्रित समुदायों पर हो रहे लगातार हमलों को देखते हुए सितम्बर 2012 में नियमावली संशोधन भी किया गया। इस संशोधन में वनाश्रित समुदायों के लघुवनोपज पर अधिकारों को और स्पष्ट करते हुए एक तीसरा दावा प्रारूप-ग दिया गया।
इसी प्रारूप ग के तहत हम दुधवा नेशनल पार्क के थारु जनजाति बहुल करीब 20 गांवों का दावा 31 जुलाई व अगस्त-2013 को जिला एकीकृत जनजातीय परियोजना अधिकारी श्री डी.एन. सिंह के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। उस वक्त तय हुआ था कि एक माह के अन्दर-अन्दर इन दावों का निस्तारण कर दिया जाएगा।
लेकिन बहुत बड़े अफसोस की बात है कि आज तीन वर्ष से अधिक बीत जाने पर भी इन दावों का निस्तारण तो नहीं ही किया गया, बल्कि सूडा, छिदिया पश्चिम और बरबटा जैसे कई गांवों की फाईलें परियोजना कार्यालय से लापता भी कर दी गयीं। इनमें सूडा गांव की फाईलों के अवशेष कबाड़ी की दुकान में भी लोगों द्वारा देखे गये। यह सब होना वनाश्रित समुदायों के अधिकारों के प्रति प्रशासनिक अधिकारियों के ना सिर्फ असंवेदनशील रवैये को दर्शाता है, बल्कि ऐसा करके संसद द्वारा विशिष्ट कानून के रूप में पारित ‘‘वनाधिकार कानून’’ की अवमानना के रूप में संसद की अवमानना भी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा की गयी है।
बहरहाल हमने फिर भी वर्तमान परियोजना अधिकारी श्री यू.के. सिंह के आग्रह पर अपनी अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा खुर्द-बुर्द की गयी फाईलों को दुरुस्त किया व गुम हुई फाईलों में सूडा व छिदिया पश्चिम गांव की फाईलों की छाया प्रति फाईलों को परियोजना अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया। लेकिन करीब एक माह का समय बीत जाने पर भी उन फाईलों पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी।
शेष फाईलों के सन्दर्भ में लगातार आपसे व जिला समाज कल्याण अधिकारी से पिछले एक माह से अधिक समय से फाईलों को पुनः प्राप्त कर उन पर अग्रिम कार्रवाई का अनुरोध करने पर आप सभी की तरफ से भी रवैया टालने वाला ही सामने आता रहा। आपका व जिला समाज कल्याण अधिकारी का कहना है कि परियोजना कार्यालय में जमा करवाओ जोकि हम निम्न कारणों से उनके पास कतई तौर पर जमा नहीं करवा सकते।
- चूंकि वनाधिकार कानून की नियमावली के नियम 4(1)ग के अनुरूप दावा ग्राम स्तरीय समिति द्वारा उपखण्डस्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रावधान है और उपखण्ड स्तरीय समिति के अध्यक्ष होने के नाते हम अपने दावे आपकी उपस्थिति में व आपसे पावती लेकर ही जमा करवायेंगे। जिससे कि इन दावों के साथ फिर से कोई छेड़-छाड़ ना हो सके, जिससे हमारे कानून द्वारा मान्यता प्राप्त अधिकारों का हनन करने का मौका किसी अधिकारी को मिले।
- चूंकि हम एक बार तत्कालीन उपजिलाधिकारी महोदय के कहने पर 2013 में अपने दावे परियोजना कार्यालय में जमा करके इस विभाग के अधिकारियों की लापरवाही का शिकार होकर पहले ही पिछले तीन वर्ष में काफी कष्ट भोग चुके हैं अतः हम उसकी पुनरावृति सहने के लिये अब तैयार नहीं हैं।
अतः महोदय हम दुधवा नेशनल पार्क क्षेत्र में बसे ग्राम सूरमा, सारभूसी, किशन नगर, गबरौला, भट्ठा, सिकलपुरवा, बन्दरभरारी, जयनगरा, देवराही, निझौटा, ढकिया, परसिया, बनकटी, छिदिया पश्चिम, बिरिया खेड़ा, सूडा, भूड़ा, सरियापारा, बरबटा व कजरिया की वनाधिकार समितियों के सदस्यगण व दावाकर्तागण अपनी दावा फाईलें दिनांक 29 अगस्त 2016 को आपके समक्ष प्रस्तुत करने आयेंगे, आपसे अनुरोध है कि आप हमारी फाईलें उक्त तिथि को अपनी सुपुर्दगी में लेकर हमें पावती प्रदान करें व अग्रिम कार्रवाई को पूर्ण करें। हम आपके संज्ञान में यह बात भी स्पष्ट रूप से लाना चाहतें हैं कि अगर उक्त तिथि को हमारी दावा फाईलें लेने में आना-कानी की गई तो हम तमाम दावाकर्तागण अनिश्चित कालीन धरने पर जाने को मजबूर होंगे।
सादर भवदीय
ग्राम स्तरीय वनाधिकार समितियों के अध्यक्ष, सदस्यगण व दावाकर्तागण
प्रतिलिपि
1. अध्यक्ष जिला स्तरीय समिति व जिलाधिकारी खीरी।
2. अध्यक्ष उ0प्र0 वनाधिकार निगरानी समिति व मुख्य सचिव महोदय उ0प्र0 शासन।
3. माननीय मुख्यमंत्री महोदय उ0प्र0 शासन।
4. केन्द्रीय जनजातीय मंत्री भारत सरकार।
5. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग।
6. समस्त स्थानीय, राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय मीडिया।