मानवाधिकार तो दूर आदिवासियों को जीने का हक़ भी नहीं दे पा रही छत्तीसगढ़ सरकार
छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले एक वर्ष में फर्जी मुठभेड़, बलात्कार, असंवैधानिक गिरफ्तारियां तथा फर्जी आत्मसमपर्ण के तमाम मामले अब तक सामने आए हैं। सबसे दुखद यह है कि इन तमाम हिंसा, उत्पीड़न और प्रताड़नाओं के मामले सामने आने के बावजूद प्रशासन तथा राज्य सरकार इस तरफ से आंखें मूंदे बैठी है। इसी क्रम में बीजापुर जिले में कुछ और ताजा मामलों के सामने आने पर पीयूसीएल की एक 3 सदस्यीय जांच दल जब क्षेत्र में पहुंची तो पता चला कि ऐसे बहुत से मामले हैं जो अभी तक सामने ही नहीं आए हैं। प्रस्तुत है जांच दल की रिपोर्टः
बीजापुर में मानवाधिकार संगठनों की तीन सदस्यों (रिनचिन, शालिनी गेरा और शिवानि तनेजा ) की टीम ने आज पत्रकारो को बताया कि दिनांक 5.7.16 को पालनार गाँव गंगालूर थाना जिला बीजापुर में सीतू हेमला नामक ग्रामीण को पुलिस एवं सुरक्षा बल द्वारा हल चलाते समय खेत से उठाकर मारा गया, और फिर उसे नक्सली कह कर यह हत्या मुठभेड़ के रूप में दर्शाया गया।
इस जाँच दल ने पालनार गाँव जाकर वहाँ के ग्रामीणों और महिलाओं से चर्चा कर पता लगाया कि ,पांच जुलाई इसी माह को सीतू हेमला अपने परिवार के साथ सुबह खेत में काम कर रहा था, जब गश्त पर गई फोर्स वहाँ आई, और कुछ आत्मसम्रर्पित नक्सलियों के कहने पर सीतू हेमला को पकड़ लिया ।
जब उसके परिजनों ने उसे बचाने की कोशिश की तो उन्हें डंडे मारकर वापस गाँव तरफ भेज दिया. उसकी पत्नी लछमी, माँ सोमली और चाची सुकली के सामने सुरक्षा बल द्वारा सीतू के हाथों को उसके पीछे बाँधकर, सुरक्षा बल उसे खेत से घसीटते हुए जंगल की तरफ ले गया, जहाँ पर उसकी हत्या कर दी गई।
ग्रामीणों का कहना है कि इस गश्त में गाँव के ही आत्मसमर्पित नक्सलियों ने सीतू की हत्चा में अहम भूमिका निभाई है, उन्होंने यह भी बताया कि सीतू को जंगल में जाकर एक पेड़ पर कीलों से टाँगा गया था, और वहाँ उसको और पीटा गया, और फिर गोली चलाकर मारा गया।
गाँव की महिलाओं ने बताया कि जब सीतू को उठाया गया, वे तुरन्त चेरपाल पोस्ट एवं गंगालूर थाने घटना के बारे में बताने और सूचना देने गई पर किसी ने उनकी मदद नहीं की, और जब वे लौटी तो उन्होंने सीतू की लाश को पेड़ पर टंगा हुआ पाया।
इस जाँच टीम के सामने यह बात भी आई कि पालनार गाँव में ऐसी गश्त बार-बार आती है और उसके सदस्य ग्रामीणों को प्रताड़ित करते हैं।
हाल ही में दिनांक 18.7.16 को निकली गश्त ने भी बुथरी बाई और उनकी जवान लड़की के साथ अभद्र व्यवहार किया।
उन्होंने टीम को बताया कि सुरक्षा बल के कुछ सदस्य उनके घर में घुस आये और उन्होने उनको डंडे से मारा, उनके कान पकड़कर उठक बैठक करवाई और फिर अपनी पेंट को खोलकर और नीचे कर के उनको धमकाया कि उनके और उनकी बेटी के साथ बलात्कार करेंगे। एक व्यक्ति ने उनसे बलात्कार करने की कोशिश भी की, पर वे वहाँ से अपनी बेटी के साथ निकल गई। उनको ऐसा भी धमकाया गया कि उनको अपनी बेटी सहित घर में जला दिया जायेगा।
सीतू की मां ने एक शिकायती पत्र गंगालूर थानेदार को दी है जिसकी प्रति एसपी और जिला कलेक्टर को भेजी गई है ।
मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल छत्तीसगढ़ एवं डब्ल्यूएसएस ने इस तरह से निहत्थे निरपराध ग्रामीणों की निर्मम हत्या और ऐसे अभद्र व्यवहार की घोर निंदा करते हैं और इन मामलों मे स्वतंत्र जाँच की माँग करते है।
ऐसे मामले बार बार सामने आ रहे हैं जहाँ पुलिस आत्मसमर्पित नक्सलियों का प्रयोग करते हुए गाँव वालों पर अत्यचार को अंजाम दे रही हैं। सुरक्षा बल अपने आप को बचाते हुए इन आत्मसमर्पित आदिवासियों को आगे रख कर इन से गैरकानूनी कृत्य कर रहे हैं।
गत एक वर्ष में ही सुरक्षाबलों द्वारा महिलाओं के साथ यौनिक हिंसा की कई घटनाएँ सामने आई हैं। एफ आई आर भी दर्ज की गई हैं पर न तो उन पर कोई कार्रवाई को आगे बढ़ाया गया है और न ही इस तरह के व्यवहार में कोई रोक आई है। यह बहुत ही शर्मनाक स्थिति है ।