पोटका के आदिवासियों का भूषण स्टील कंपनी के खिलाफ एक दशक से बहादुराना प्रतिरोध
झारखण्ड के पोटका क्षेत्र में प्रस्तावित भूषण स्टील कंपनी ने जमीन का सर्वे करने का दुबारा दुशः साहस किया है ज्ञात रहे इस से पहले भी कम्पनी ने 11 सितंबर 2008 को गुर्ररा नदी के पास गुप्त रूप से जमीन का सर्वे करने का प्रयास किया था जहाँ पर आंदोलनकारियों ने भूषण कंपनी के 3 सर्वेयरों को पकड़ लिया था। उसके बाद तीनों सर्वेयर को गोबर पोता, पुआल खिलाया एवं जूते की माला पहनायी गई थी। परंतु कम्पनी ने इस से कोई सबक नहीं लेते हुए जून 2016 में दुबारा से गाँव में सर्वे करने का प्रयास किया है। इस घटना के विरोध में विस्थापन विरोधी एकता मंच ने 24 जून को पोटका अंचलाधिकारी को ज्ञापन दिया है;
सेवा में,
अंचलाधिकारी
पोटका, पूर्वी सिंहभूम झारखण्ड।
विषयः भूषण स्टील कंपनी हेतु जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के विरोध में ज्ञापन
महोदय,
स्थानीय दैनिक प्रभात खबर समाचर पत्र अखबार से यह पता चला है कि भूषण स्टील कंपनी के पहले चरण के निर्माण के लिए आपने अन्य अधिकारियों और कंपनी के अधिकारियों के साथ गांवों का मुआयना किया, ग्रामीणों से बात की और कुछ रैयतों के साथ बठक भी की। एक खबर के मुताबिक कंपनी जरूरी जमीन का एक बड़ा हिस्सा खरीद चुकी है। सरकारी भूमि के अधिग्रहण का निर्णय शीर्ष स्तर पर प्रक्रिया में है और रैयती भूमि के अधिग्रहण के लिए कवायद शुरू हुई है।
आपको ज्ञात होगा कि अधिकांश ग्रामीण इस कंपनी का लगाने तथा भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ एक दशक से संघर्षरत हैं। प्रखण्ड से लेकर उपायुक्त, झारखण्ड सरकार के मुख्य सचिव, राज्यपाल झारखण्ड से उन्होंने बार-बार अपना विरोध प्रकट किया है। तब भी यह प्रक्रिया चलाना जनभावना के विरोध में है।
आपको कंपनी के अधिकारी के साथ गांव क्षेत्र का सभी दौरा करने की जगह सभी ग्राम सभा के अध्यक्ष, ग्राम प्रधानों को इस संदर्भ में लिखित जानकारी देनी चाहिएथी। आपको अगली कोर्ठ भी प्रक्रिया चलाने के पहले सभी गांवों के ग्राम सभा के अध्यक्षों को लिखित रूप में तथा हरेक गांव में ग्राम सभा बुलाकर ग्रामीणों के समक्ष अपनी बात रखनी और ग्रामीणों की बात सुननी चाहिए। आपको इन प्रश्नों का सही जवाब भी देना चाहिए-
- भूषण कंपनी का एम.ओ.यू. रद्द हो गया है। यह जानकारी ग्रामीणों को है। तब यह प्रक्रिया कैसे शुरू हुई ?
- भूषण कंपनी ने किस गांव में किस व्यक्ति से कितनी जमीन खरी दी है, इसकी सम्पूर्ण जानकारी दी जाये।
- सरकारी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया ग्राम सभा की सहमति के बिना कैसे चल सकती है ? गांव की सार्वजनिक भूमि पेसा कानून के अनुसार मूलतः ग्राम सभी की है।
- अखबारों में आये आंकड़ों के हिसाब से भी कंपनी ने 80 प्रतिशत जमीन नहीं खरीदी है। तब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया कैसे चल सकती है ?
- यह अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण काननून क ेकिस संस्करण के तहत किया जा रहा है ?
- भूषण पावर एण्ड स्टील कंपनी का सामाजिक अंकेक्षण हेाना चाहिए ? आपको यह जानना चाहिए कि यह क्षेत्र पांववीं अनुसूची के तहतज आने वाल ेपेसा केजरिये ग्राम सभा को विशेष अधिकार से लैस क्षेत्र है। सामान्य प्रावधान यहां लागू नहीं है। आपका काम भूमि के अवैध हस्तांतरण को रोकना, सी.एप.टी. एक्ट जैसे बुनियादी भूमि रक्षा काननूनों का पालन करना है न कि किसानों के हाथ से जमीन छीनने और कंपनी को देने के लिए कंपनी के अधिकारियों के साथ घूमना और सहयोग करना। पिछले दस वर्षों से ग्रामीणों ने अपनी एकता से अपनी जमीन बचायी हैै। आपको इस सक्रिय जन भावना के साथ होना चाहिए।
- अतः आज दिनांक 24.06.2016 को विभिन्न जनसंगठनों के द्वारा अंचल अधिकारी पोटका को सौंपा जा रहा है।
भवदीय
- भूमि तथा वाहिनी किसान मोर्चा
- भूमि रक्षा संघर्ष समिति
- खुंटकट्टी रैयत भूमि सुरक्षा संघर्ष समिति
- भूमि बचाओ आंदोलन
- ग्राम गणरासज्य परिषद
- विस्थापन विरोधी एकता मंच