मजदूरों को कुचलने के लिए ट्रेड यूनियन पर प्रतिबंध
9 फरवरी 2018 को गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली के हाॅल में विभिन्न ट्रेड यूनियन और अन्य संगठनों के प्रतिनीधियों ने ‘ट्रेड यूनियन पर प्रतिबंध और मजदूर आंदोलन की चुनौतियां’ विषय पर विचार विमर्श के लिए बैठे। भागीदार संगठन में इफ्टू, एनटीयूआई, इंकलाबी मजदूर केंद्र, वर्कर्स सोलिडेरिटी सेंटर, टीयूसीआई, हिंद किसान काउंसिल, लोक शिक्षक मंच, मजदूर पत्रिका, वर्कर्स सोलिडेरिटी काउंसिल, मजदूर एकता मंच, दिल्ली जनरल मजदूर फ्रंट, दरख्त सांस्कृतिक मुहिम, लाॅ स्टूडेंट इनिटिएटिव, प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक स्टूडेंट सेंटर, अम्बेडकरनगर विश्वविद्यालय, पीडीएफआई और अन्य संगठनों के प्रतिनीधि और पत्रकार उपस्थित थे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मजदूर संगठन समिति पर झारखंड सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबंध, दिल्ली के बवाना में फैक्टरी में आग और बारूद से मजदूरों के जलकर मरने की घटना, मजदूर संगठन और आंदोलन पर लगातार हमले और मजदूरों के हालात पर चर्चा कर आगामी कार्यक्रम की योजना बनानी थी।
इस बैठक में चर्चा की गई कि जनवादी संगठनों पर प्रतिबंध का सिलसिला चला आ रहा है और यह फासीवादी प्रवृत्ति को दिखाता है। मजदूर आंदोलन को आमतौर पर राज्य, पुलिस और कई बार मीडिया भी अपराध के तौर पर देखता है और इस तरह मजदूर संगठन और उसके नेतृत्व को भी इसी तरह देखने की एक प्रवृत्ति को देखा जा सकता है। मजदूर आंदोलन को समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक जनवादी संकेतक के बजाय अपराधी की तरह पेश करना, उस पर प्रतिबंध लगाना, गिरफ्तारियां करना और अधिकतम सजा देना हमारे लिए चुनौती है। हम मजदूर आंदोलन करते हुए जेल जाने वाले साथियों को राजनीतिक कैदी के रूप में देख ही नहीं पाते। जबकि यह एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई है।
मजदूर आंदोलन पर काम करते हुए आर्थिक लड़ाईयों के नजरीये के साथ उसके राजनीतिक अप्रोच पर जोर देना चाहिए। वस्तुतः मजदूर आंदोलन हमारे समाज, राजनीति और अर्थव्यवस्था से गहरे तौर पर और सीधा जुड़ा हुआ है। मजदूर संगठन समिति इसी तरह का एक संगठन था। इस पर प्रतिबंध और बवाना जैसी घटना हमारे लिए चुनौती है।
इस चर्चा के दौरान तय हुआ: मजदूर संगठन समिति पर प्रतिबंध और बवाना जैसी इंडस्ट्रीयल एरिया में मजदूरों की मौत और मजदूर अधिकारों पर हो रहे हमले के खिलाफ एक राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली में सम्मेलन। इसके पहले पर्चा तैयार कर मजदूरों और छात्रों के बीच जाना और उनके बीच कार्यक्रम करना। इस मसले पर कार्यक्रम पर और ठोस राय बनाने के लिए 20 फरवरी 2018 को एक बार फिर सारे संगठनों की मीटिंग तय की गई।
Anjani Kumar के वाल से साभार