फर्जी मुठभेड़, सरेंडर, गिरफ्तारियां बयां करती हैं बस्तर की असली तस्वीर : एआईपीएफ जाँच दल की रिपोर्ट
रायपुर, 12 जून। अखिल भारतीय लोक मंच का 8 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल डॉ. सुनीलम, कविता कृष्णन, आराधना भार्गव, विनोद सिंह, अजय दत्ता, अमलेन्दु चौधरी, अबलान भट्टाचार्या, बृजेन्द्र तिवारी ने प्रेसवार्ता को रायपुर प्रेस क्लब में संबोधित करते हुए बताया कि अखिल भारतीय लोक मंच का 8 सदस्यीय जांच दल ने 8 जून से 11 जून के बीच बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा तथा बीजापुर जिलों का दौरा किया। टीम के साथ बेला भाटिया, सोनी सोरी एवं अन्य स्थानीय लोगों ने भी दौरा किया। टीम के सामने ईसाईयों के खिलाफ साम्प्रदायिक हिंसा, फर्जी मुठभेड़, बलात्कार, असंवैधानिक गिरफ्तारियां तथा फर्जी आत्मसमर्पण के कई प्रकरण सामने आए।
ईसाईयों के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे
करमरी, बड़े ठेगली, बेलर, सिरिसगुड़ा आदि ग्रामों में छत्तीसगढ़ ग्राम पंचायत अधिनियम की धारा 129 (ग) के तहत प्रस्ताव पारित कर गैरहिन्दुओं को (ईसाई) को रहने, घर बनाने, पूजा घर बनाने से रोका गया है। हालांकि सिरिसगुड़ा और करमरी के ग्राम सभा के प्रस्तावों को उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा निरस्त कर दिया गया है। ग्राम पंचायत भड़ीसगांव में पंचायत द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया कि पंचायत अधिनियम 1993 की धारा 55 (1) और (2) के तहत ईसाई मंच चर्च भवन के निर्माण पर रोक लगा दी। निर्णय का आधार भड़ीसगांव में हिन्दू धर्म को मानने वाले विभिन्न जाति तथा समुदाय के लोगों द्वारा देवी-देवता रक्षा हेतु माता मंदिर, भगवान मंदिर एवं गांव की रक्षा करना तथा दशहरा पर्व में रूपशिला देवी मां का शामिल होना बताया गया। सार्वजनिक कब्रिस्तान में ईसाईयों द्वारा अंतिम संस्कार नहीं करने दिया जा रहा है। भड़ीसगांव की सरोदी बाई की मौत 25 मई 2016 को हुई, जिनको अंतिम संस्कार करने से रोका गया। इसी तरह सरोदी बाई के पति सुखदेव नेताम की मृत्यु 6 जून 2016 को हुई जिन्हें भी अंतिम संस्कार से रोका गया। बाद में विवाद बढऩे पर पुलिस प्रशासन ने अंतिम संस्कार कराया। गांव के दो सौ ईसाई परिवारों द्वारा जिलाधीश, तहसीलदार, ग्राम पंचायत को अलग से कब्रिस्तान की जमीन आबंटित करने के लिए आवेदन दिया। लेकिन अभी तक ईसाईयों को अंतिम संस्कार करने के लिए भूमि आबंटित नहीं की गई है।
5 जून 2016 को ग्राम आरा, बारियो चौकी, जिला सरगुजा में पास्टर अलविस बारा की पत्नी तथा तीन अन्य लोग एवं बच्चों को बजरंग दल के 25 कार्यकर्ताओं ने छोटू जायसवाल, सोनू गुप्ता, विपिन गुप्ता, छोटू गुप्ता के नेतृत्व में पीटा गया तथा पिटाई का वीडियो लिया गया और उसको सार्वजनिक किया गया। तीन दिन तक थाने में रखने के बाद पत्नी और अन्य को छोड़ दिया गया तथा पास्टर को अभी तक जमानत नहीं हुई है। गांव सिरिसगुड़ा में ईसाई विश्वासियों को राशन नहीं दिया गया, खाद्य अधिकारियों द्वारा हस्तक्षेप करने पर पीटा गया, उसके बाद भी उन्हें राशन मिल रहा है। मारपीट के दौरान लोगों को इलाज के लिए सरकारी अस्पताल ले जाया गया, इसके लंबे प्रयासों के बाद प्रथम सूचना पत्र लिखा गया है।
विश्व हिन्दू परिषद तथा बजरंग दल के कार्यकर्ताओं तथा ग्रामवासियों को जिलाधीश ने गांव में बैठक के लिए बुलाया, तब विश्व हिन्दू परिषद एवं बजरंग दल के लोगों ने कहा कि ईसाई समाज के लोगों की घरवापिसी कराया, नहीं तो हम धारा 29 (ग) के तहत ईसाईयों को गांव में नहीं रहने देंगे।
वन अधिकारों का उल्लंघन एवं राज्य का दमन
कांकेर जिले के अंतागढ़ थाना क्षेत्र के ग्राम कोहचे क्षेत्र के एक ग्रामीण ने बताया कि ग्रामवासियों, ग्राम पंचायत, ग्रामसभा को जानकारी दिए बिना 25 हेक्टेयर जमीन रावघाट माईंस के लिए दे दिया गया, लेकिन उत्खनन प्राइवेट कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। पेड़ों की कटाई चल रही है, और 50 साल से काबिज आदिवासियों की जमीन कब्जा कर ली गई है। पूरे क्षेत्र में कई देवी-देवताओं के स्थान है, उनको भी नहीं छोड़ा गया है। गांव का श्मशान घाट कंपनी को सौंप दिया गया है। पूरे क्षेत्र में सीआरपीएफ के कई कैम्प स्थापित कर दिए गए हैं ताकि ग्रामवासी विरोध न कर सके।
फर्जी मुठभेड़
जांच दल ने दंतेवाड़ा जिला के नागरगुड़ा गांव का दौरा किया। जहां रामे, पाण्डी, सन्नी, मासे महिलाओं को फोर्स द्वारा गोली मार दी गई। मासे के साथ प्रधान आरक्षक बदरू ने बलात्कार किया, इसके बाद उसको मार डाला। घटना सुबह 7 बजे की है। इस घटना के लिए 22 जवानों को पुरस्कृत किया गया जो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ है। जांच टीम सुकमा जिले के दोरनापाल तहसील के अरलमपल्ली गांव गई, जहां पता चला कि 3 नवंबर 2015 को गांव के नौजवान दुद्धी भीमा उम्र 23 साल, सोधी मुया उम्र 21 साल और वेट्टी लच्छू उम्र 19 साल की हत्या कर दी गई। 3 नवंबर 2015 को सुबह तीनों नौजवान सीन (खजूर रस) पीने गए थे, जहां से वे नजदीकी बाजार जा रहे जहां भीमा की मां इंतजार कर रही थी। गांव के पास नाले के बगल में एक नौजवान वेट्टी लच्छू साइकिल से उतर गया। बाकी दोनों आगे बढ़े। वहां पुलिस पहले से घात लगाई बैठी थी और उन्होंने दोनों नौजवानों को पकड़कर पीटना शुरू किया। इसे देख तीसरा नौजवान वेट्टी लच्छू भागने की कोशिश किया, और उसे पुलिस ने गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस बाकी दोनों लड़कों से कहा कि अपने मित्र के शव को ढोकर पोलमपल्ली थाना ले चलो। रास्ते में पिकप वाहन बुलाया और शव रखवा दिया, फिर जब दोनों लड़के घर की ओर जाने लगे तो पुलिस ने उन्हें भी मार डाला। इस घटना के दो बुजुर्ग गवाह हैं।
जांच दल उसके बाद पालमगडू गई, जहां के बारे में पुलिस ने बताया था कि 31 जनवरी 2016 को दो माओवादी महिलाएं एक घंटे चले फायर में मारी गई हैं। गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने बताया कि सिरियम पोज्जे उम्र 14 वर्ष, मंजम शांति की उम्र 13 साल थी। सीरियम पोज्जे की मां ने बताया कि उनकी बेटी मुर्गी खोलने घर से बाहर निकली थी और नदी में छोड़कर लौट रही थी, रास्ते में दोनों को गोली मार दी। मंजम शांति के पिता ने भी इस बात की पुष्टि की।
ग्राम कड़ेनार जिला बीजापुर में मनोज हपका एवं उनकी पत्नी पांडी हपका (जिसे तंती पांडी भी कहा जाता है) को एनकाउंटर में मारा गया। गांव जाने पर पांडी हपका की मां ने बताया कि 31 मई 2016 की रात 8 बजे पुलिस वाले उनके घर आए, उस समय मनोज पत्नी के साथ भोजन कर रहा था। हमारी बेटी और दामाद को पुलिस पकड़कर ले गई, साथ ही उसके सामान के साथ 13 हजार रूपए भी ले गई। पांच साल पहले बेटी और दामाद नक्सलियों के साथ थे, लेकिन बेटी को टीबी की बीमारी होने के कारण वापस आ गए। पांच साल से घर पर रहकर खेती का काम कर रही थी।
सुकमा जिले के पडिय़ा गांव में 21 मई 2016 को सुबह 10 बजे दो-तीन सौ की फोर्स आई, जलाशय में काम करने वाले मजदूरों को कहा कि तुमने 19 मई को एस्सार की पाईप लाईन तोड़ी है, पुलिस 11 आदिवासियों को लेकर गई, 2 को बाद में छोड़ दिया गया, 9 अभी भी जेल में हैं। पुलिस सरपंच मरकाम खड़मा को जांच दल के पहुंचने वाले दिन की रात को लेकर गई तथा पुलिस की वर्दी पहनाकर गांव में घुमाया, 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इस तरह पुलिस ने षडय़ंत्रपूर्वक पुलिस एजेंट होने का प्रयास किया है। सरपंच पर माओवादी हमले की आशंका हो गई है।
जांच दल को जोगा उम्र लगभग 12 वर्ष से मिला। उसने बताया कि पुलिस थाने ले गई और 7 दिन तक अवैध रूप से हिरासत में रखा था, जहां उससे थाने की सफाई, बर्तन धोने, पानी भरने इत्यादि काम कराया जाता था। बाद में उसे छोड़ दिया गया। जिस दिन जांच दल पहुंचा, उसी रात में जोगा के पिता को तीन अन्य लोगों के साथ हिरासत में ले लिया गया था। गादीरास के थाना प्रभारी ने बताया कि बार-बार गिरफ्तारियां इसलिए की जा रही हैं कि जोगा की बहन महिला कमांडर है जबकि जांच दल के समक्ष डेढ़ सौ से अधिक ग्रामवासियों ने बताया कि लड़की गांव में ही रहती है, तथा उसे फर्जी तौर पर फंसाया जा रहा है। जांच दल को आशंका है कि जोगा की बहन को नक्सली बताकर फर्जी एनकाउंटर कर दिया जाएगा। सरपंच को भी फंसाया जा सकता है।
सीआरपीएफ जवान द्वारा नाबालिग लड़की का बलात्कार
8 जून 2016 को 14 साल की एक लड़की पोडम गांव थाना दंतेवाड़ा में अपनी किराने की दुकान को बंद कर रही थी जब एक सीआरपीएफ का जवान आया और रात भर उसके साथ बलात्कार किया। वो अपने जीजाजी से शिकायत की जिसमें थाने में रिपोर्ट लिखवाई। 11 जून 2016 को जांच दल दंतेवाड़ा पहुंचकर पीडि़ता से बात कर पाई और थाने में इस मसले को उठाने में सोनी सोरी का साथ दिया। पीडि़ता को 11 जून की रात को मेडिकल जांच के लिए भेजा गया। सीआरपीएफ जवान ने लड़की को अपना नाम (आरआर नेताम) लिखवाया था और नंबर भी लिखवाया था पर टीआई ने बताया कि इस नाम का गांव के नजदीक जारूम सीआरपीएफ कैम्प में कोई जवान नहीं है। इससे पता लगता है कि जवान ने गलत नाम दिया था।
फर्जी सरेंडर
चिंतलनार इलाके में 70 फर्जी सरेंडर हुए हैं। जांच दल चिंतलनार गांव पहुंची जहां कई लोगों ने हमें बताया कि उन पर दबाव डालकर ‘सरेंडरÓ कराया गया। एक छोटे दुकानदार ने हमें बताया कि एक एसपीओ ने उन्हें फोन करके पोलमपल्ली थाना बुलाया, यह कहकर कि तुम्हारे खिलाफ वारंट है। जब वे थाना पहुंचे तो उन्हें और उनके जैसे 25 लोगों को पुलिस ने बताया कि अगर आप ‘सरेंडरÓ नहीं करते हैं तो आपको नागेश नाम के एसपीओ की हत्या के केस में फंसा दिया जाएगा। (नागेश दो साल पहले मारे गए थे) ये छोटे दुकानदार 55 साल के हैं। उन्होंने कहा कि अन्य 25 लोगों में भी एक भी असली सरेंडर का केस नहीं था। उन सबको 10-10 हजार रूपए स्पॉट पर ही दिए गए। कई दूसरों के साथ भी ऐसा ही हुआ पर वे माओवादियों के डर से बोलना नहीं चाहते थे। हमें बताया गया कि गांव के सरपंच, कोसा को भी माओवादियों से दबाव मिल रहा है क्योंकि उन्होंने फर्जी सरेंडर कराने में पुलिस की मदद की।
गांवों के हालात
पूरी यात्रा में दो एआईपीएफ दल 1650 किलोमीटर की दूरी तय किए, और 25 गांवों का दौरा किए। यहां उन्हें 60 से भी अधिक पुलिस और सीआरपीएफ के कैम्प मिले। इन गांवों में गांव वाले बेहद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और एक-दूसरे को शक की नजरिए से देख रहे हैं। चार जिलों- बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर- में राजनीतिक दल और अन्य संगठनों की गतिविधियां काफी कम है जिससे महसूस होता है कि लोकतंत्र का दायरा संकुचित हुआ है। बीजापुर के केतुलनार में दो बच्चियां आंगनबाड़ी में दिए गए दूध को पीकर खत्म हो गए, वहां हमारे दल ने पाया कि गांव में 8 मितानिन हैं जिनके पास उल्टी-दस्त के लिए भी दवाईयां नहीं हैं और अस्पताल 10 किलोमीटर दूर है। अब बच्चों की मौत के बाद दवाईयां तो दी गई हैं पर दूध सप्लाई करने वालों के खिलाफ अब तक गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज नहीं हुआ है।