जल-हल पदयात्रा : मराठवाड़ा से बुंदेलखंड; 21 – 31 मई 20 16
स्वराज अभियान, किसान संघर्ष समिति, एकता परिषद, जल बिरादरी और जनांदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की एक संयुक्त पहल के तहत 21 मई से 31 मई 20 16 तक मराठवाड़ा से बुंदेलखंड तक दस दिवसीय पदयात्रा की जाएगी । इस दौरान यह संगठन सूखे की मार झेल रहे किसानों की हालत का जायजा लेने और जमीनी हकीकत का आकलन करने के बाद वह आगे की राह तय करेंगे;
देश के बहुत बड़े इलाके में सूखा पड़ा है। पानी, खाना, चारा, रोजगार—सबका संकट है। बुंदेलखंड तो इस संकट के केंद्र में है। कई महीनों तक सोने के बाद सरकारें जाग रही हैं। नेता लोग हेलीकाप्टर से आते हैं, फोटो खिंचा कर चले आते हैं, फोटो खिंचा कर चले जाते हैं। अफसर अपने एयर कंडीशन्ड कमरों में मीटिंग कर रहे हैं।
लेकिन हम लोग वैसा तमाशा करने नहीं आए हैं। हम मराठवाड़ा से बुंदेलखंड को जोड़ने के लिए पैदल यात्रा कर रहे हैं। हम लोग आज नहीं कई बरसों से पानी और किसानी की समस्या को सुलझाने में लगे हुए हैं। हम पहले दिन से इस सूखे के बारे में पूरे देश को बता रहे हैं। हम पैदल चल कर आपके दुख-सुख में आपके साथ शामिल होना चाहते हैं। आपके साथ मिलकर एक संकल्प लेना चाहते हैं—कोई प्यासा और भूखा न होगा, बस अब और सूखा न होगा।
आप सोचेंगे य कैसे हो सकता है? सरकार कहती है हम क्या करें, बारिश ही नहीं हुई। हम मान लेते हैं। लेकिन वे पूरा साथ नहीं है। सूखा सिर्फ प्रकृति या हमारी नियती का खेल नहीं है। बारिश तो हर तीन-चार साल में एक बार कम होती थी। लेकिन हर बार पानी, चारे, खेती और रोजगार का ऐसा संकट नहीं होता था। सच ये है कि यह संकट प्रकृति की नियती से ज्यादा सरकार की नीति से बना है। समाज और सरकार चाहें तो जल के संकट का हल है।
सूखा राहत और सूखा मुक्ति किसी एक व्यक्ति के बस रका काम नहीं है, चाहे वह प्रधानमंत्री ही क्यों न हो। इसके लिए समाज को एक साथ जुड़ना होगा, संगठन बनाना होगा। जल-संग्रह भी करना होगा। इसी लिए हम यह पदयात्रा कर रहे हैं। हम इसे सूखे के दो केंद्र बिंदुओं मराठवाड़ा और बुंदेलखंड से जोड़ेंगे। इस बहाने हम जल और हल को जोड़ेंगे, पानी और किसानी को जोड़ेंगे, समस्या और समाधान को जोड़ेंगे और इस चुनौती से देश की जवानी को जोड़ेंगे।