भूमि की लूट और आजीविका संकट के विरोध में भूमि अधिकार आंदोलन का सम्मेलन
प्रिय साथी,
पिछले वर्ष हम सभी अपने संघर्ष स्थली व दिल्ली व जयपुर में अनेक बार मिले। हमारे संघर्षों के कारण भाजपा – आरएसएस की केन्द्र व राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण कानून को ठण्डे बस्ते में डालने को मजबूर हुई। लेकिन सरकार लगातार किसी न किसी परियोजना, डी.एम.आई.सी., स्मार्ट सिटी, रिंग रोड़, कृषि भूमी को लगातर अधिग्रहण कर रही है। डी.एम.आई.सी. की ब्लू प्रिन्ट तैयार हो चूकी है और किसानों को खदेडना शुरू कर दिया हैं। कोटपूतली शुक्लाबास में पिछले माह की 20 तारिख से खनन के विरोध में धरना चल रहा है और नवलगढ में धरने के 5 वर्ष पूरे हो चूके है, किशनगढ में धरना चलते हुए एक वर्ष पूरा होने को है। अलवर के तीजारा क्षेत्र में बी.एस.एफ. का बडे ट्रेनिंग स्कूल बनाने के नाम पर पूरी पहाडी का अधिग्रहण हो रहा है। डूंगरपुर में लगभग 70 साल से वैद्य रूप से काबिज आदिवासी व अन्य कास्तकारों को बेदखल कराने की योजना सरकार ने बना ली थी लेकिन लोगों के संघर्ष के कारण कुछ जीत हासिल हुई व पट्टे बांटे जा रहे है। नीम का थाना के भराला में महिलाओं के नेतृत्व में भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति ने प्रशासन को अनेक बार भागने को मजबूर किया है। डाबला में जनता के लगातार संघर्षो की वजह से अवैद्य खनन व स्टोन क्रेशिंग पर तात्कालीक रोक लगी है। दक्षिण राजस्थान में वन अधिकार कानून के लागू होने के बावजूद सरकार भूमि पर काबिज आदिवासियों जमिनों के पट्टे देने पर आना काना कर रही है इसके खिलाफ लगातार जन संघर्षो द्वारा दबाव बनाया जा रहा है।
आवश्यकता इस बात की है कि इन भूमि के सवाल पर राज्य के विभिन्न हिस्सों में चल रहे जन संघर्षों के बीच समन्वयक कायम करते हुये राज्य स्तर पर एक संयुक्त सशक्त जन आंदोलन का निर्माण किया जाये। जिससे कि केन्द्र व राज्य की किसान व जन विरोधी सरकारों को अपनी किसान विरोधी नितियों में बदलाव के लिए मजबूर किया जा सके। इसी दिशा में प्रयासों को आगे बढाते हुये पिछले वर्ष के राष्ट्रीय स्तर पर भूमि के सवाल पर हुये जबरदस्त आंदोलन और उसकी सफलता से प्रेरणा लेते हुये राज्य में भी भूमि अधिकार आंदोलन के तहत 19 फरवरी, 2016 को दोपहर 12 बजे से मजदूर किसान भवन, हटवाडा रोड़, हसनपुरा, जयपुर में एक संयुक्त सम्मेलन का आयोजन किया गया है। जिसमें की राज्य के किसान, विभिन्न हिस्सों में संघर्षरत आंदोलनकारी, आदिवासी एवं अन्य जनसंगठनों के नेतृत्वकारी साथी उपस्थित होकर राजस्थान में भूमि के सवाल पर व्यापक विचार मंथन कर राज्य में आगे की संघर्ष की रूपरेखा तैयार करेंगे।
अतः आपसे निवेदन है कि अपने साथियों के साथ बैठक में शामिल होकर भूमि व उससे जुडे सवालों पर संघर्ष को आगे बढाने अपना योगदान दे।
हम सब: प्रेमकृष्ण शर्मा, कविता श्रीवास्तव (पी.यू .सी.एल. राजस्थान), सांवल राम यादव, कैलाश मीणा (एन.ए.पी.एम.), जयराम (भौमिया समिति डाबला), राधेश्याम यादव (जीवन बचाओं आंदोलन), प्रताप सिंह राठौड़ (एयरपोर्ट संघर्ष समिति किशनगढ़), नितेन्द्र मानव (जीवन बचाओं संघर्ष समिति), मानसिंह, मधु (बागड मजदूर किसान संगठन, डूंगरपुर), भंवर सिंह (जंगल जमीन जन आंदोलन), किशन मेघवाल, रमेश बैरवा (दलित शोषण मुक्त मंच, राजस्थान), अमराराम, दुली चन्द्र, डॉ. संजय माधव (अखिल भारतीय किसान), तारा सिंह (राजस्थान किसान सभा), निशा सिद्धु (एन.एफ.आई.डब्ल्यू), निखिल डे एवं शंकर सिंह (मजदूर किसान शक्ति संगठन), सवाई सिंह (राजस्थान समग्र सेवा संघ), विरेेन्द्र विद्रोही (इंसाफ), हरकेश बुगालिया (निर्माण मजदूर यूनियन), डी.एल. त्रिपाठी, अनन्त भटनागर (पी.यू.सी.एल. अजमेर), कैप्टन दीप सिंह (नवलगढ़ भूमि अधिग्रहण विरोधी संघर्ष समिति, कपिल सांखला, ममता जैटली, विजयलक्ष्मी जोशी (पी.यू.सी.एल.जयपुुर), जवाहर डांगुर (प्रयास), भंवर मेघवंशी (दलित आदिवसी घूमंतु अधिकार मंच)।