छत्तीसगढ़ सरकार महावीर कोल वाशरी की जन सुनवाई के लिए उड़ा रही है नियमों की धज्जियां
जन सुनवाई की खानापूर्ति पूरी करने जिला प्रशासन ने छग शासन के अपने ही नियमों को दरकिनार कर दिया है। इसका ताजा उदहारण हैरायगढ़ के भेंगारी ग्राम में 16 जनवरी को होने वाली महावीर कोल वाशरी की जन सुनवाई।
छत्तीसगढ़ खनिज (खनन,परिवहन तथा भंडारण) नियम 2009 का नियम 15 उपनियम (2) के अनुसार रिहायसी बस्ती, स्कूल, अस्पताल से 300 मीटर के भीतर भंडारण की अनुमति नहीं दी जायेगी। जब कोल वाशरी लगनी है तो कोयले का भंडारण तो होगा ही और उद्योग को भंडारण लाइसेंस भी लेना होगा। जबकिस्वयं उद्योग महावीर कोल वाशरीश की ई आई ए रिपोर्ट के पेज सी 3-26 पर दिये गये टेबल 3.5.1 (बी) के अनुसार प्रस्तावित कोल वाशरी से नवापारा बाजार की दूरी मात्र 200 मीटर एवं ग्राम नवापारा की दूरी महज 300 मीटर है। बस्ती के अलावा नवापारा में सरकारी स्कूल और हॉस्पिटल भी है।
दरअसल जन सुनवाई के लिये बनाई गई रिपोर्ट न तो पर्यावरण विभाग खुद पढता है और न ही कोई अन्य जिम्मेदार प्रशासासनिक अधिकारी । जन सुनवाई की तिथी और स्थान जिले के कलेक्टर द्वारा किया जाता है। कुछ समय पहले तक कोल वाशरी की जन सुनवाई की तारीख निर्धारित करने से पहले जिला कलेक्टर द्वारा पर्यावरण विभाग से कोल वाशरी की निकतम कोयला खदान से दूरी और कोल बेयरिंग एरिया नहीं होने की पुष्टी करने के लिये कहा जाता था । साथ ही वाशरी मालिक से इस बाबत एक शपथ पत्र भी लिया जाता था।
लेकिन लगता है महावीर कोल वाशरी के मामले में न तो कलेक्टर द्वारा कोई रिपोर्ट मांगी गई और न ही पर्यावरण विभाग ने कलेक्टर को बताया । वर्ना इतनी बड़ी चूक नहीं होती।
अब सवाल उठता है कि प्रशासन जन सुनवाई करवा लेता है और केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति मिल भी जाती है तब क्या वर्तमान खनिज नियमों के रहते कोल वाशरी लगाने की अनुमति दी जा सकती है। और अगर वाशरी लगाने की अनुमति नहीं दी जा सकती तो जन सुनवाई के लिये इतना तामझाम करने की जरुरत ही क्या है।
अहमसवाल ये भी है कि वर्तमान में भेंगारी में ही इसी कंपनी का महावीर बायोमास पावर प्लांट भी है और इसी से बिल्कुल सटे हुये परिसर में वाशरी लगनी है तो पावर प्लांट की अनुमति देते समय पावर प्लांट से नवापारा बाजार और ग्राम की दूरीका ध्यान क्यों नहीं रखा गया।
– जन चेतना