संघर्ष संवाद
Sangharsh Samvad

कॉर्पोरेट खेती की ओर बढ़ता भारत : न रहेगा किसान न किसानी का संकट

शायद भारत अब किसानोंका देश नहीं कहलायेगा। यहां खेती तो की जायेगी लेकिन किसानों के द्वारा नही, खेती करने वाले कार्पोरेट्स होंगे, कार्पोरेट किसान। पारिवारिक खेती की जगह कार्पोरेट खेती। आज के अन्नदाता किसानों की हैसियत उन बंधुआ मजदूरों या गुलामों की होगी, जो अपनी भूख मिटाने के लिये कार्पोरेट्स के आदेश पर काम करेंगे। उनके लिये किसानों की समस्याओं का…
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